देश के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार (24 अगस्त) को एम्स में निधन हो गया, वह 67 वर्ष के था। जेटली लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें तबीयत बिगड़ने पर 9 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया।
एम्स में भी जेटली की हालत में सुधार नहीं आया और उन्हें पिछले कई दिनों से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।
खराब स्वास्थ्य की वजह से ही जेटली 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे। अरुण जेटलीमोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014-19) के दौरान देश के वित्त मंत्री रहे थे।
डीडीसीए के 14 साल अध्यक्ष रहे थे अरुण जेटली
अरुण जेटली का क्रिकेट से भी नाता रहा और वह 1999 से 2013 तक दिल्ली एंव जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष भी रहे। डीडीसीए अध्यक्ष पद के तौर पर जेटली का नाम विवादों में भी घिरा था।
ये विवाद उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उन पर डीडीसीए में कथिति वित्तीय अनियमितताओं के लिए लगाए गए आरोपों के बाद सुर्खियों में आ गया था।
डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा
दरअसल, डीडीसीए के पूर्व सदस्यों और पूर्व क्रिकेटरों बिशन सिंह बेदी और कीर्ति आजाद ने जेटली के डीडीसीए अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान उसके संचालन में कई तरह की अनियमितताएं और कुप्रबंधन का आरोप लगाया था।
कॉर्पोरेट मामलों के अंतर्गत आने वाले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने 28 सितंबर 2012 को एनसी बख्शी की शिकायत के आधार की गई जांच में 2006 से 2012 के बीच डीडीसीए के ट्रांजैक्शन में 23 कथित वित्तीय अनियमितताएं पाईं।
इनमें फंड्स की हेराफेरी, करों का भुगतान न करना, निविदा मार्ग का पालन न करना, दागी लेखा परीक्षकों को काम पर रखना और सदस्यता के प्रबंधन, टिकटिंग और अन्य के संबंध में अनियमितताएं शामिल हैं।
इसके अलावा SFIO ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि फिरोजशाह कोटला स्टेडियम जिस जमीन पर बना है उस पर डीडीए का मालिकाना हक है और डीडीसीए की लीज 2002 में खत्म हो रही है, ये जानने के बावजूद डीडीसीए ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया और निर्माण कार्य जारी रखा, इसके अलावा 2015 में SFIO ने अपनी जांच में पाया था कि फिरोजशाह कोटला स्टेडिेयम के अंदर 13 जगहों पर अवैध निर्माण किए गए थे और मई 2015 में स्टेडियम के पास पूर्णता और सुरक्षा प्रमाणपत्र भी नहीं थे।
अनियमितताओं की जांच में जेटली को मिली थी क्लीन चिट
इन कथित वित्तीय अनियमितताओं के दौरान अरुण जेटली भी डीडीसीए के अध्यक्ष थे, इसलिए इस विवाद से उनका नाम भी जुड़ा।
SFIO ने अपनी जांच में जेटली को इस मामले में ये कहते हुए क्लीन चिट दे दी थी कि जेटली डीडीसीए के गैर-कार्यकारी चेयरमैन थे और उनका उसके रोजमर्रा के कामों से लेनादेना नहीं था।
जेटली ने किया था आरोपों का खंडन
अरुण जेटली ने उन पर लगे डीडीसीए में हुई वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को गलत बताते हुए उनकों खारिज किया था।
डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान ने भी इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा था कि जेटली डीडीसीए के रोजमर्रा के कामों में दखल नहीं देते हैं, ऐसे में उनका इन आरोपों से कोई लेनादेना नहीं है।
जेटली ने किया था मानहानि का मुकदमा, केजरीवाल ने मांगी थी माफी
जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उनका नाम डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओँ में घसीटने के लिए उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर किया था।
अप्रैल 2018 में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के चार नेताओँ संजय सिंह, आशुतोष, राघव चड्ढा और दीपक वाजपेयी ने जेटली पर डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने के लिए कोर्ट में माफी मांगी थी, जिसके बाद जेटली ने मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया था।