World Cup के वो 5 मौके, जिसे कभी भुला नहीं सकता इतिहास

By भाषा | Published: May 26, 2019 07:55 AM2019-05-26T07:55:57+5:302019-05-26T07:55:57+5:30

5 World Cup matches, Which can never be forgotten in history | World Cup के वो 5 मौके, जिसे कभी भुला नहीं सकता इतिहास

World Cup के वो 5 मौके, जिसे कभी भुला नहीं सकता इतिहास

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क्रिकेट विश्व कप ने अपने 44 साल के इतिहास में कई रोमांचक मुकाबले देखे हैं लेकिन यहां पांच यादगार मैचों का जिक्र कर रहे हैं। 

1975 विश्व कप: गिलमौर का शानदार प्रदर्शन टूर्नामेंट का मेजबान इंग्लैंड चिर प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल से पहले डेनिस लिली और जेफ थामसन से मिलने वाली चुनौती से वाकिफ था। लेकिन उसे उनके बजाय गैरी गिलमौर की स्विंग गेंदबाजी ने पस्त कर दिया। इस 23 साल के गेंदबाज ने 14 रन देकर छह विकेट अपने नाम किये जिससे इंग्लैंड की टीम महज 93 रन पर सिमट गयी। गिलमौर के प्रदर्शन के बाद हालांकि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 39 रन पर छह विकेट खो दिये। इसके बाद क्रिस ओल्ड ने अपने घरेलू मैदान हेडिंग्ले में तीन विकेट चटका दिये। फिर गिलमौर बल्लेबाजी के लिये उतरे। गिलमौर की 28 रन की नाबाद पारी और डग वाल्टर्स के साथ नाबाद भागीदारी से ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंच गया। 

1983 विश्व कप: कपिल का शतक, पर प्रसारण नहीं हुआ जिम्बाब्वे ने डंकन फ्लेचर के हरफनमौला प्रदर्शन के बूते ऑस्ट्रेलिया को हराया था। वह एक और उलटफेर करने की ओर बढ़ रही थी और उसने भारत के 17 रन पर पांच विकेट उखाड़ लिये थे। लेकिन भारतीय कप्तान कपिल देव ने 138 गेंद में 175 रन की शानदार पारी खेली लेकिन इस पारी का लुत्फ टनब्रिज वेल्स में नेविल मैदान में मौजूद दर्शक की उठा सके क्योंकि बीबीसी टैक्नीशियन हड़ताल पर थे जिससे इस मैच का टीवी पर प्रसारण नहीं हो पाया था। कपिल की शतकीय पारी से भारत ने 266 रन का स्कोर बनाया जो जिम्बाब्वे के लिये काफी ज्यादा साबित हुआ। कपिल का शतक उनकी शानदार नेतृत्व क्षमता का उदाहरण था क्योंकि एक हफ्ते बाद ही भारत को चैम्पियन बना दिया गया। 

1999 विश्व कप: ऑस्ट्रेलिया टाई मैच में जीता यह शायद विश्व कप का सबसे रोमांचक मैच था, एजबेस्टन में इस सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 213 रन बनाये जिसमें दक्षिण अफ्रीका के शॉन पोलाक ने 36 रन देकर पांच विकेट चटकाये थे। जोंटी रोड्स और जाक कैलिस दक्षिण अफ्रीका को जीत की ओर ले जा रहे थे और अंतिम ओवर में उनकी टीम को केवल नौ रन की दरकार थी। फिर एक रन और एक विकेट बचा था। लेकिन लांस क्लूजनर ने गेंद मिड-आफ की ओर भेजा और एक रन के लिये भाग लिये। नान-स्ट्राइकर छोर पर खड़े एलेन डोनल्ड ने उनकी आवाज नहीं सुनी और अपना बल्ला गिरा दिया। मार्क वॉ ने गेंद लेकर इसे गेंदबाज डेमियन फ्लेमिंग की ओर फेंक दिया। फ्लेमिंग ने तुंरत ही इसे विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट की ओर फेंक दिया जिन्होंने रन आउट कर दिया। हालांकि मैच टाई रहा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बेहतर नेट रन रेट की बदौलत फाइनल में पहुंच गया। 

2011 विश्व कप: ओब्रायन ने इंग्लैंड को पस्त किया इंग्लैंड ने आयरलैंड (तब टेस्ट दर्जा प्राप्त नहीं था) के खिलाफ बल्ले से काफी अच्छा प्रदर्शन किया और सात विकेट पर 327 रन बनाये। विश्व कप मैच में पहले कभी भी किसी टीम ने इस स्कोर का पीछा नहीं किया था। लेकिन बेंगलूर में केविन ओब्रायन ने विश्व कप इतिहास में सबसे तेज शतक जड़ते हुए आयरलैंड को तीन विकेट से शानदार जीत दिलायी। उन्होंने ऐसा महज 50 गेंद में किया जिसमें 13 चौके और छह छक्के जड़े थे। ओब्रायन के आने से पहले आयरलैंड की टीम पांच विकेट पर 111 रन पर थी। 

2015 विश्व कप: इलियट ने दक्षिण अफ्रीका का दिल तोड़ा फाफ डु प्लेसिस और एबी डिविलियर्स ने आकलैंड सेमीफाइनल में पांच विकेट पर 281 रन बनाये थे लेकिन बारिश के कारण इसे 43-43 ओवर का कर दिया गया। लेकिन न्यूजीलैंड के लिये आल राउंडर ग्रांट इलियट ने अपनी जिंदगी की बेहतरीन पारी खेली। जोहानिसबर्ग में जन्में इलियट 2001 में न्यूजीलैंड में चले गये थे। न्यूजीलैंड को जीत के लिये पांच रन की दरकार थी और उसकी दो गेंद बची थी जब इलियट ने तेज गेंदबाज डेल स्टेन की गेंद पर मिड-आन पर शानदार छक्का जड़कर टीम को जीत दिलायी। यह उनकी नाबाद 84 रन की मैच विजयी पारी का अंतिम शॉट था, जिससे न्यूजीलैंड की टीम अपने पहले विश्व कप फाइनल में पहुंची। इससे पहले उसे छह सेमीफाइनल में हार मिली थी।

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