ऑनलाइन खाना डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो ने 100 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 8, 2019 07:17 PM2019-08-08T19:17:15+5:302019-08-08T19:17:15+5:30

कंपनी ने कहा है यह छंटनी ग्राहक देखभाल विभाग में ‘आवश्यकता से अधिक कर्मचारी’ होने के कारण की गयी है। कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में हमारी सेवा गुणवत्ता सुधरी है। मिलने वाले ऑर्डरों के लिए ग्राहक सहायता के लिए कर्मचारियों की जरूरत कम हुई है।

Zomato axes around 100 employees in cost-cutting drive | ऑनलाइन खाना डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो ने 100 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

इसमें हमारे आंतरिक अदला-बदली के तहत अन्य विभागों में भेजे गए लोग भी शामिल हैं। 

Highlightsइस वजह से हमारा कार्यबल जरूरत से करीब एक प्रतिशत (60 कर्मचारी) ज्याद हो गया था।बयान के मुताबिक इसमें से अधिकतर छंटनी ग्राहक देखभाल विभाग से की गयी है।

ऑनलाइन खाना डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो ने अपने गुरुग्राम कार्यालय में आवश्यकता से अधिक 100 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।

कंपनी ने कहा है यह छंटनी ग्राहक देखभाल विभाग में ‘आवश्यकता से अधिक कर्मचारी’ होने के कारण की गयी है। कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में हमारी सेवा गुणवत्ता सुधरी है। मिलने वाले ऑर्डरों के लिए ग्राहक सहायता के लिए कर्मचारियों की जरूरत कम हुई है।

इस वजह से हमारा कार्यबल जरूरत से करीब एक प्रतिशत (60 कर्मचारी) ज्याद हो गया था।’’ बयान के मुताबिक इसमें से अधिकतर छंटनी ग्राहक देखभाल विभाग से की गयी है। इसमें हमारे आंतरिक अदला-बदली के तहत अन्य विभागों में भेजे गए लोग भी शामिल हैं। 

टाटा स्टील के मुनाफे में 64 प्रतिशत गिरावट

टाटा स्टील का एकीकृत शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 63.6 प्रतिशत गिरकर 701.97 करोड़ रुपये रहा। इसकी वजह मांग का कमजोर पड़ना और लागत का बढ़ना रही। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी का एकीकृत शुद्ध लाभ 1,933.80 करोड़ रुपये था।

शेयर बाजार को दी जानकारी में कंपनी ने बताया कि समीक्षावधि में उसकी एकीकृत कुल आय 36,198.21 करोड़ रुपये रही जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 35,846.92 करोड़ रुपये थी। कंपनी के मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक टी. वी. नरेंद्रन ने कहा कि इस्पात उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसलिए इसका असर कंपनी की कुल लाभ प्रदता पर पड़ा है। 

टाटा मोटर्स ने पंतनगर संयंत्र में पिक-अप ट्रकों का उत्पादन 17 प्रतिशत घटाया

देश की सबसे बड़ी वाणिज्यिक वाहन कंपनी टाटा मोटर्स ने उत्तराखंड के अपने पंतनगर कारखाने में इस महीने एसएमएमएल पिक-अप ट्रकों का उत्पादन घटाकर 15,000 इकाई कर दिया है। पिछले महीने यह उत्पादन 18,000 इकाइयों का रहा था। बिक्री में भारी गिरावट के बीच कंपनी ने यह कदम उठाया है।

वाहन उद्योग पिछले दो दशक में सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहा है। ऐेसे में वाहन कंपनियां अपना उत्पादन घटा रही हैं और साथ ही डीलर भी अपना भंडार कम कर रहे हैं। टाटा मोटर्स की घरेलू स्तर पर वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री जुलाई में 36 प्रतिशत घटकर 22,453 इकाई रह गई।

जुलाई, 2018 में यह 34,817 वाहन रही थी। इसी तरह एससीवी और पिक अप की बिक्री जुलाई में 30 प्रतिशत घटकर 10,937 इकाई रह गई। एक सूत्र ने पीटीआई -भाषा से कहा कि पिछले महीने पंतनगर संयंत्र में 18,000 वाहनों का उत्पादन हुआ था। इस महीने उत्पादन 17 प्रतिशत घटाकर 15,000 इकाई कर दिया गया है। पंतनगर कारखाने में एक टन से कम के मिनी ट्रक टाटा एस श्रृंखला और इंट्रा ट्रक (छोटे वाणिज्यिक वाहन) का उत्पादन होता है।

टाटा मोटर्स की वाहन बिक्री जुलाई में 34 प्रतिशत घटी

टाटा मोटर्स की घरेलू बाजार में वाहन बिक्री जुलाई में 34 प्रतिशत घटकर 32,938 वाहन रही। पिछले साल इसी महीने में कंपनी ने कुल 50,100 वाहन बेचे थे। कंपनी ने एक बयान में बताया कि समीक्षावधि में उसके यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री पिछले साल जुलाई के मुकाबले 31 प्रतिशत घटकर 10,485 वाहन रही।

वहीं इस दौरान कंपनी ने घरेलू बाजार में 22,453 वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री की जो पिछले साल जुलाई में 34,817 वाहन थी। इस दौरान कंपनी का यात्री एवं वाणिज्यिक वाहनों का कुल निर्यात 32 प्रतिशत घटकर 3,374 वाहन रहा। 

दो सालों में करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं

देश में बढ़ रही बेरोजगारी से जुड़ी एक रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। जिसके मुताबिक, पिछले दो सालों में करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं। यह दावा द स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2019 की रिपोर्ट में किया गया है। इसे मंगलवार को बेंगलुरु की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने जारी किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 से 2018 के बीच करीब 50 लाख बेरोजगार हुए। कहा गया है कि बेरोजगारी बढ़ने की शुरुआत नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के साथ हुई। हालांकि, रिपोर्ट में आगे यह भी लिखा है कि नौकरी कम होने और नोटबंदी के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं हो पाया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, बेरोजगारी के शिकार उच्च शिक्षा ग्रहण कर चुके लोग और कम पढ़े लिखे लोग दोनों हैं। भारत की लेबर मार्केट पर जारी इस रिपोर्ट का आधार कन्ज्यूमर पिरामिड सर्वे रहा। यह सर्वे सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकॉनमी करवाता है। मुंबई की एक बिजनस इनफॉर्मेशन कंपनी होने के साथ-साथ स्वतंत्र रूप से काम करनेवाला थिंक टैंक भी है। उनके द्वारा ऐसा सर्वे हर चार महीने में किया जाता है, जिसमें 1.6 लाख परिवारों और 5.22 लाख लोगों को शामिल किया जाता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, बेरोजगारी 2011 के बाद से ही तेजी से बढ़ रही है। लेकिन 2016 के बाद से उच्च शिक्षा धारकों के साथ कम पढ़े लिखे लोगों की नौकरियां छिनी और उन्हें मिलनेवाले काम के अवसर कम हुए। 

रिपोर्ट में शहरी महिलाओं में बढ़ती बेरोजगारी के भी आंकड़े हैं। इसके मुताबिक, ग्रेजुएट महिलाओं में से 10 प्रतिशत काम कर रही हैं, वहीं 34 प्रतिशत बेरोजगार हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 20 से 24 साल के शहरी युवाओं में बेरोजगारी काफी है। माना गया है कि कामगार लोगों में इस उम्र के लोगों का प्रतिशत 13.5 होता है, लेकिन उनमें से 60 प्रतिशत फिलहाल बगैर काम के हैं। 

Web Title: Zomato axes around 100 employees in cost-cutting drive

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