मोदी सरकार को एक और झटका, वर्ल्ड बैंक ने घटाया भारत के विकास दर का अनुमान

By भाषा | Published: October 13, 2019 01:58 PM2019-10-13T13:58:37+5:302019-10-13T13:58:37+5:30

World Bank Report: रिपोर्ट में कहा गया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा शहरी क्षेत्रों में युवाओं की बेरोजगारी की ऊंची दर के साथ ही जीएसटी और नोटबंदी ने गरीब परिवारों की समस्याएं बढ़ा दी। हालांकि, प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर में हालिया कटौती से कंपनियों को मध्यम अवधि में लाभ होगा लेकिन वित्तीय क्षेत्र में दिक्कतें सामने आती रहेंगी।

World Bank removed India's growth rate by 6% says, Bangladesh-Nepal to grow faster than India | मोदी सरकार को एक और झटका, वर्ल्ड बैंक ने घटाया भारत के विकास दर का अनुमान

वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर, वित्त वर्ष 2017-18 के 7.2 प्रतिशत से नीचे 6.8 प्रतिशत रही थी।

Highlightsभारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर रविवार को छह प्रतिशत कर दिया।वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी।

विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर रविवार को छह प्रतिशत कर दिया। वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी। हालांकि, दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस के ताजा संस्करण में विश्वबैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति अनुकूल है और यदि मौद्रिक रुख नरम बना रहा तो वृद्धि दर धीरे-धीरे सुधर कर 2021 में 6.9 प्रतिशत और 2022 में 7.2 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की संयुक्त वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान व्यक्त किया गया है। वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर, वित्त वर्ष 2017-18 के 7.2 प्रतिशत से नीचे 6.8 प्रतिशत रही थी। विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गयी, जबकि कृषि और सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर क्रमशः 2.9 और 7.5 प्रतिशत रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 की पहली तिमाही में मांग के मामले में निजी खपत में गिरावट तथा उद्योग एवं सेवा दोनों में वृद्धि कमजोर होने से अर्थव्यवस्था में सुस्ती रही।

विश्वबैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2018-19 में चालू खाता घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत हो गया। एक साल पहले यह 1.8 प्रतिशत रहा था। इससे बिगड़ते व्यापार संतुलन का पता चलता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 में आर्थिक गति तथा खाद्य पदार्थों की कम कीमत के कारण खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 3.4 प्रतिशत रही। यह रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ठीक-ठाक कम है।

इससे रिजर्व बैंक को जनवरी 2019 से अब तक रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती करने तथा मौद्रिक परिदृश्य को बदल कर नरम करने में मदद मिली। वित्तीय मोर्चे पर पहली छमाही में पूंजी की निकासी हुई। हालांकि अक्टूबर 2018 के बाद रुख बदलने से पिछले वित्त वर्ष के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 411.90 अरब डॉलर रहा।

इसी तरह, डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति खराब रही। मार्च से लेकर अक्टूबर 2018 के बीच इसमें 12.1 प्रतिशत की गिरावट रही। हालांकि उसके बाद मार्च 2019 तक यह करीब सात प्रतिशत मजबूत हुआ। विश्वबैंक ने कहा कि गरीबी में कमी जारी है, लेकिन इसकी रफ्तार सुस्त हो गयी है। वित्त वर्ष 2011-12 और 2015-16 के दौरान गरीबी की दर 21.6 प्रतिशत से कम होकर 13.4 प्रतिशत पर आ गयी थी।

रिपोर्ट में कहा गया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा शहरी क्षेत्रों में युवाओं की बेरोजगारी की ऊंची दर के साथ ही जीएसटी और नोटबंदी ने गरीब परिवारों की समस्याएं बढ़ा दी। हालांकि, प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर में हालिया कटौती से कंपनियों को मध्यम अवधि में लाभ होगा लेकिन वित्तीय क्षेत्र में दिक्कतें सामने आती रहेंगी।

Web Title: World Bank removed India's growth rate by 6% says, Bangladesh-Nepal to grow faster than India

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