लेदर-फुटवेयर एक्सपोर्ट पर नई पॉलिसी, 20000 लोगों को रोजगार?, तमिलनाडु के बाद यूपी दूसरा राज्य, उद्यमी पाएंगे सब्सिडी-स्टांप ड्यूटी में छूट
By राजेंद्र कुमार | Updated: April 24, 2025 18:39 IST2025-04-24T18:36:27+5:302025-04-24T18:39:03+5:30
यूपी में लेदर व फुटवियर एक्सपोर्ट के लिहाज से आगरा, कानपुर और उन्नाव प्रदेश के सबसे बड़े व प्रमुख केन्द्र हैं.

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लखनऊः बीते छह वर्षों से संकट में घिरे प्रदेश के लेदर और फुटवेयर कारोबार को योगी सरकार बढ़ावा देने में जुटेगी. बांग्लादेश में हो रही उथल-पुथल के चलते प्रदेश सरकार को अब यह महसूस हो रहा है कि प्रदेश के लेदर और फुटवेयर कारोबार को बढ़ावा देने से निर्यात में इजाफा होगा. इसी सोच के तहत ही अब प्रदेश में नई लेदर व फुटवियर पॉलिसी-2025 लागू करने का फैसला किया गया है. इस नई पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार किया जाने लगा है और जल्दी ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जाएगा. प्रदेश सरकार का मनाना है कि इस पॉलिसी के लागू होने से प्रदेश में लेदर व फुटवियर प्रोडक्शन बढ़ेगा. और लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा कानपुर शहर को फिर से लेदर और फुटवेयर कारोबार का प्रमुख सेंटर बनाया जा सकेगा.
यूपी में लेदर कारोबार को लेकर सरकार का दावा
- देश के कुल लेदर एक्सपोर्ट में यूपी की भागीदारी 46 प्रतिशत है.
- यूपी में लेदर व फुटवियर एक्सपोर्ट के लिहाज से आगरा, कानपुर और उन्नाव प्रदेश के सबसे बड़े व प्रमुख केन्द्र हैं.
- आगरा शहर की देश और विदेश में फुटवियर कैपिटल के तौर पर ख्याति है.
- कानपुर शहर को देश और विदेश में सेफ्टी फुटवियर, लेदर एक्सेसरीज व गार्मेंट के बड़े हब के तौर पर जाना जाता है.
- कानपुर, उन्नाव व आगरा शहर प्रदेश के सबसे बड़े लेदर व नॉन लेदर हब के रूप में मशहूर हैं जहां 200 से अधिक टेनरी ऑपरेशनल हैं.
- लेदर व नॉन लेदर हब के रूप में लखनऊ और बरेली शहर उभरते हुए केंद्र के तौर पर जाने जाते हैं.
20 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
एक समय था जब प्रदेश के कानपुर शहर को ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी लेदर व फुटवियर एक्सपोर्ट के बड़े केन्द्र के तौर पर जाना जाता था. परंतु गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने तथा चमड़े के कारोबार को लेकर योगी सरकार के कुछ नियमों के कारण कानपुर का यह उद्योग संकट में घिरा और शहर में कार्यरत कुछ उद्यमियों ने बांग्लादेश में भी अपने कारोबार को फैला लिया.
इसका असर प्रदेश में बने लेदर व फुटवियर उत्पाद के एक्सपोर्ट पर पड़ा. विदेशों में कानपुर में बने लेदर व फुटवियर उत्पाद की मांग घट गई. अब प्रदेश सरकार ने नई लेदर व फुटवियर पॉलिसी लाकर इस कारोबार को बढ़ावा देने की सोची है. राज्य के औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह जो प्रदेश के मुख्य सचिव भी हैं.
वह कहते हैं कि नई लेदर व फुटवियर पॉलिसी प्रदेश में लेदर व फुटवियर क्लस्टर्स को बढ़ाने और प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की दिशा में सहायक सिद्ध होगी. इस नीति के चलते प्रदेश में प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने वाले डेवलपर्स को सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी में छूट समेत विभिन्न प्रकार की सहूलियतें उपलब्ध कराई जा सकेगी. इसके अलावा इस पॉलिसी के जरिए स्टैंडअलोन फुटवियर व लेदर उत्पाद निर्माण इकाई, फुटवियर व लेदर मशीनरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तथा मेगा एंकर यूनिट को 50 से 150 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित किया जा सकेगा.
यही नहीं क्लस्टर के विकास के लिए कम से कम 200 करोड़ तथा एलाइड फुटवियर व लेदर यूनिट से संबंधित संयंत्र और प्राइवेट पार्क आदि को विकास करने के लिए कम से कम 150 करोड़ रुपए की धनराशि निवेश की जा सकेगी. स्थापित होने वाली प्रत्येक इकाई से 1000 से 3000 रोजगार के उपलब्ध होंगे. कुल मिलाकर इस नई पॉलिसी के जरिए सूबे में 20 हजार लोगों को रोजगार देने का रास्ता खुलेगा.
नई पॉलिसी में मिलेगी यह छूट
मनोज कुमार सिंह के अनुसार, यूपी की लेदर- फुटवियर पॉलिसी प्रदेश के लिए लाभदायक साबित होगी. अभी देश में सिर्फ तमिलनाडु ही ऐसा राज्य है जिसकी खुद की फुटवियर व लेदर प्रोडक्ट्स पॉलिसी है. ऐसे में, यूपी की पॉलिसी के अंतर्गत प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना 25 से 100 एकड़ में करने वाले डेवलपर्स को अधिकतम 45 करोड़ रुपए तक की धनराशि पूंजीगत सब्सिडी के तौर पर मिल सकेगी.
भूमि क्रय में भी 100 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी में छूट मिलेगी. नई पॉलिसी का लाभ उन्हीं निवेशकों को मिलेगा जो यूपी में अपने उद्यम की स्थापना, निर्माण और संचालन का कार्य पांच वर्षों में पूरा करेंगे. इसी प्रकार नई पॉलिसी के तहत यूपी में बड़े प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में करनी होगी.
तभी सरकार की तरफ से अधिकतम पूंजीगत सब्सिडी 80 करोड़ रुपए तक प्राप्त की जा सकेगी और भूमि क्रय करने में 100% स्टांप ड्यूटी में छूट मिलेगी. नई पॉलिसी के तहत उद्यम की स्थापना और निर्माण करते हुए परिसर के 25% क्षेत्र को खुले व हरित क्षेत्र तथा मूलभूत सुविधाओं के लिए विकसित करना होगा.