एयर इंडिया अधिग्रहण, टाटा संस ने लगाई बोली, 60074 करोड़ का कर्ज, जानें मामला
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 15, 2021 06:23 PM2021-09-15T18:23:14+5:302021-09-15T21:12:25+5:30
टाटा संस के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने एयरलाइन के लिए बोली सौंपी है। एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए कई वित्तीय बोलियां मिली हैं।
नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को कहा कि उसे राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए कई वित्तीय बोलियां मिली हैं। इस बीच, टाटा संस के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने एयरलाइन के लिए बोली सौंपी है। वर्तमान में एयर इंडिया पर 60074 करोड़ का कर्ज है।
भारत के सबसे बड़े व्यापार समूह टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बुधवार को वित्तीय बोली सौंपी। विनिवेश की प्रक्रिया चला रहे विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने वित्तीय "बोलियां" मिलने के बारे में ट्वीट किया, लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी कंपनियों ने बोलियां सौंपी हैं।
Financial bids for Air India disinvestment received by Transaction Adviser. The process now moves to the concluding stage: Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM)
— ANI (@ANI) September 15, 2021
(File photo) pic.twitter.com/o100kf7FYm
टाटा संस के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की कि समूह ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी के लिए बोली सौंपी है। बजट एयरलाइन स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह को कर्ज में डूबी एयरलाइन को खरीदने के लिए एक और इच्छुक पार्टी माना जा रहा है। उन्होंने इस बात पुष्टि कराने के लिए भेजे गए संदेश का जवाब नहीं दिया कि क्या उन्होंने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में बोली सौंपी है। वित्तीय बोलियों का मूल्यांकन एक अघोषित आरक्षित मूल्य के आधार पर किया जाएगा और उस मानक से अधिक मूल्य की पेशकश करने वाली बोली को मंजूरी दी जाएगी।
मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास सिफारिश भेजने से पहले लेनदेन सलाहकार शुरुआत में बोली की समीक्षा करेंगे। टाटा की बोली सफल हुई तो यह 67 वर्षों के बाद टाटा की एयर इंडिया में वापसी होगी। टाटा समूह ने अक्टूबर, 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी जिसे बाद में एयर इंडिया का नाम दिया गया। सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण किया था। टाटा सिंगापुर एयरलाइंस के साथ साझेदारी में एक प्रीमियम विमान सेवा विस्तार का संचालन करती है। हालांकि यह पता नहीं चला है कि समूह ने खुद से या बजट एयरलाइन एयरएशिया इंडिया के माध्यम से बोली लगायी है। एयरएशिया इंडिया टाटा संस और मलेशिया की एयरएशिया इन्वेस्टमेंट लि. का संयुक्त उपक्रम है।
Tatas have submitted a bid for Air India disinvestment, today: Government Sources
— ANI (@ANI) September 15, 2021
(File photo) pic.twitter.com/uuyYQxwN6N
खबरों के मुताबिक सिंगापुर एयरलाइंस विनिवेश कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इच्छुक नहीं थी क्योंकि इससे विस्तार और उसकी अपनी वित्तीय समस्याएं ही बढ़ेंगी। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा, "लेनदेन सलाहकार को एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां मिली हैं। प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है।" उन्होंने ना तो बोलीदाताओं की जानकारी दी और ना ही यह बताया कि कितनी बोलियां मिली हैं।
केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं। जनवरी, 2020 से शुरू हुई विनिवेश की प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई है। सरकार ने अप्रैल, 2021 में संभावित बोलीदाताओं को वित्तीय बोली सौंपने के लिए कहा था। बुधवार (15 सितंबर) बोली सौंपने का आखिरी दिन था।
टाटा समूह उन इकाइयों में शामिल था, जिन्होंने एयरलाइन को खरीदने के लिए दिसंबर, 2020 में प्रारंभिक रुचि पत्र (ईओआई) दिया था। 2017 के बाद से, पिछले प्रयासों में कोई महत्वपूर्ण रुचि हासिल करने में विफल रहने और संभावित निवेशकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद, सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में एयर इंडिया के ऋण को नए निवेशक को हस्तांतरित करने से संबंधित ईओआई के नियम में ढील दी थी। इससे बोलीदाताओं को उस विशाल ऋण का आकार तय करने की छूट मिली जिसकी वे जिम्मेदारी लेना चाहते हैं।
जनवरी, 2020 में दीपम द्वारा जारी एयर इंडिया के ईओआई के अनुसार, 31 मार्च, 2019 तक एयरलाइन के कुल 60,074 करोड़ रुपये के ऋण में, खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये के ऋण की जिम्मेदारी लेनी होगी। बाकी ऋण एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) को हस्तांतरित किया जाएगा, जो एक विशेष इकाई (एसपीवी) है।
एयर इंडिया, 2007 में घरेलू विमान सेवा इंडियन एयरलाइंस के साथ अपने विलय के बाद से घाटे में चल रही है। एयरलाइन के लिए सफल बोली लगाने वाली कंपनी को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग एवं पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशी हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट का नियंत्रण हासिल होगा। इसके अलावा, कंपनी को एयरलाइन की कम लागत वाली सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का 100 प्रतिशत और एआईएसएटीएस का 50 प्रतिशत स्वामित्व मिलेगा। एआईएसएटीएस प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करती है।
(इनपुट एजेंसी)