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'गुप्ता बंधुओं से जुड़ी दक्षिण अफ्रीकी कंपनियों को सरकारी निगमों से अनियमित ढंग से 49 अरब रैंड मिले'

By भाषा | Updated: May 26, 2021 10:52 IST

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(फाकिर हसन)

जोहानिसबर्ग, 26 अप्रैल भारतीय मूल के गुप्ता बंधुओं से जुड़ी कंपनियों को दक्षिण अफ्रीका में कई सरकारी निगमों से अनियमित रूप से कुल 49 अरब रैंड से अधिक की राशि मिली।

‘स्टेट कैपचर’ में जांच आयोग के समक्ष एक गवाह ने यह दावा किया है।

गुप्ता परिवार के संरक्षक भारतीय मूल के कारोबारी अजय, अतुल और राजेश गुप्ता पर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा से कथित नजदीकियों का फायदा उठाते हुए सरकारी निगमों से बेइमानी से अरबों रैंड लेने का आरोप है।

मूलत: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के इस परिवार के पास कई दक्षिण अफ्रीकी कंपनियों का नियंत्रण है और उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया है।

लंदन स्थित ‘शैडो वर्ल्ड इन्वेस्टिगेशन’ के शोधकर्ता पॉल एडवर्ड होल्डन ने रिपोर्ट में दर्ज धन शोधन के लिए इस्तेमाल की गई कंपनियों एवं धन के स्रोत का पता लगाने के लिए हजारों वित्तीय लेनदेन तथा बैंक विवरण का अध्ययन किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार अनियमित भुगतान करने वाली सरकारी कंपनियों में ‘नियोटेल’ शामिल है, जिसमें 2016 तक टाटा कम्युनिकेशंस की बहुसंख्यक हिस्सेदारी थी।

रिपोर्ट में कहा गया कि नियोटेल को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क ऑपरेटर ट्रांसनेट से नेटवर्क सेवाओं और सीसीटीवी लगाने के लिए 5.6 अरब से अधिक रैंड मिले।

ट्रांसनेट ने रेजिमेंट्स कैपिटल को लगभग 42 अरब रैंड का भुगतान किया, जो गुप्ता के एक करीबी सहयोगी सलीम ईसा द्वारा संचालित कंपनी है। इसके अलावा ट्रिलियन नामक कंपनी को एक अरब रैंड दिए गए, जिसमें ईसा की भी हिस्सेदारी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2013 और जनवरी 2016 के बीच कंबाइंड प्राइवेट इनवेस्टीगेशन (सीपीआई) गुप्ता एंटरप्राइज

को हर महीने भुगतान कर रही थी, और ये राशि पांच लाख रैंड से शुरू होकर एक अरब रैंड से अधिक तक पहुंच गई।

ऐसे ही अनियमित भुगतान सार्वजनिक बिजली वितरक ईस्कॉम सहित कई सरकारी निगमों ने किए।

गुप्ता परिवार इस समय दुबई में है और दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से उन्हें प्रत्यर्पित करने का प्रयास जारी रखा है, क्योंकि दुबई के साथ उसकी कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है।

गुप्ता परिवार ने आयोग में विभिन्न गवाहों द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया है।

गुप्ता परिवार 1990 के दशक में सहारनपुर से आया था, और इसी साल नेल्सन मंडेला की रिहाई के साथ दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी। गुप्ता परिवार ने जुतों के खुदरा स्टोर से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी, खनन और मीडिया जैसे क्षेत्रों में एक विशाल कारोबारी साम्राज्य तैयार किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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