नयी दिल्ली, पांच अगस्त उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को नौ वर्षों में लगभग 129 करोड़ रुपये वापस किए हैं।
सेबी द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2012 के अपने एक आदेश में सहारा की दो कंपनियों के लगभग तीन करोड़ निवेशकों को ब्याज सहित धन वापस करने के लिए कहा था, लेकिन बड़ी संख्या में बॉन्डधारकों द्वारा दावा नहीं करने के चलते सेबी ने पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में सिर्फ 14 करोड़ रुपये ही वापस किए थे, जबकि उस साल सेबी-सहारा वापसी खाते में शेष राशि बढ़कर 1,400 करोड़ रुपये हो गई थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसे 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले, जिसमें लगभग 81.6 करोड़ रुपये के धन वापसी के दावे थे।
सेबी ने बताया कि उसने 16,909 मामलों में (129 करोड़ रुपये, जिसमें 66.35 करोड़ रुपये मूलधन और 62.34 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है) रिफंड जारी किए हैं, जबकि 483 आवेदनों में कमियों को दूर करने के लिए निवेशकों को उसे वापस भेज दिया गया है।
नियामक ने कहा कि सात आवेदन विवादित श्रेणी में रखे गए हैं, सहारा के पास 332 आवेदन लंबित हैं, 122 आवेदन सेबी के पास लंबित हैं और 2,487 मामले निवेशकों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने और रिकॉर्ड नहीं होने के चलते बंद कर दिए गए हैं।
सेबी की जानकारी पर प्रतिक्रिया देते हुए सहारा समूह ने कहा कि उसके अपने अनुमान के अनुसार सहारा-सेबी खाते में ब्याज सहित जमा राशि लगभग 25,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए और आरोप लगाया कि ‘‘सेबी ने बिना किसी कारण के सहारा और उसके निवेशक के 25,000 करोड़ रुपये रोककर रखे हैं।’’
सेबी द्वारा धनवापसी के दावे आमंत्रित करने के लिए अखबारों में दिए गए विज्ञापनों का उल्लेख करते हुए सहारा ने कहा कि नियामक ने पिछले विज्ञापन में स्पष्ट कर दिया था कि वह जुलाई 2018 के बाद प्राप्त किसी भी दावे पर विचार नहीं करेगा।
सहारा ने एक बयान में कहा, ‘‘इसका मतलब है कि सेबी को अब किसी अन्य दावेदार को भुगतान नहीं करना है और सहारा द्वारा जमा किए गए पूरे 25,000 करोड़ रुपये अनुचित रूप से सेबी के पास हैं और उन्हें सहारा को वापस कर दिया जाना चाहिए। सहारा ने अपने तीन करोड़ निवेशकों से संबंधित सभी मूल दस्तावेज नौ साल पहले सत्यापन के लिए सेबी को सौंप दिए हैं और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 25,000 करोड़ रुपये की यह राशि अंत में सहारा को वापस मिलेगी।’’
समूह ने आगे कहा कि सेबी के लिए सहारा द्वारा जमा किए गए धन को रोकना ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य’’ है।
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