उर्जित पटेल दे सकते हैं इस्तीफा, आइए जानें RBI बनाम मोदी सरकार के विवाद की 10 अहम बातें
By पल्लवी कुमारी | Published: November 1, 2018 05:12 AM2018-11-01T05:12:53+5:302018-11-01T09:54:52+5:30
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि आरबीआई 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा कि बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की मौजूदा समस्या का यही कारण है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दो को लेकर इन दिनों टकराव चल रहा है। विवाद इतना बढ़ गया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल के इत्तीफे की अफवाह जोर पकड़ने लगी है। हालांकि इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि उर्जित पटेल कभी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। जिसकी वजह हो सकती है नरेंद्र मोदी सरकार का रिजर्व बैंक की धारा 7 लागू करना। रिजर्व बैंक के धारा 7 के तहत सरकार को ये अधिकार है कि वो आरबीआई के गवर्नर को गंभीर और जनता के हित के मुद्दों पर काम करने के लिए निर्देश दे सकती है।
सरकार बैंकों में त्वरित सुधारात्मक कदम (पीसीए) की रूपरेखा से लेकर नकदी प्रबंधन तक के मुद्दों पर रिजर्व बैंक से असहमत है। आइए जानते हैं भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बनाम केंद्र सरकार की तकरार की 10 अहम बातें...
1- रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को
भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को मुंबई में होगी। सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर विवाद के बीच यह बैठक बुलाई गई है। सूत्रों ने बताया कि यह बैठक पहले से तय और नियमित बैठक है। बोर्ड की पिछली बैठक इसी महीने आयोजित की गई थी।
रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल में कुल 18 सदस्य हैं। इनमें सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से संबंधित मुद्दा उठाया था। उनके इस बयान के बाद यह बोर्ड की पहली बैठक होगी।
2- केन्द्र सरकार ने कहा- रिजर्व बेंक की स्वायत्तता जरूरी
केन्द्र सरकार की ओर से रिजर्व बैंक पर मतभेदों को दूर करने के लिये दबाव बनाये जाने की रिपोर्टों को लेकर चिंतित निवेशकों को शांत करने का प्रयास करते हुये सरकार ने बुधवार को कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता ‘‘जरूरी’’ है और इसे ‘सहेज’ कर रखा जायेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विवाद में उलझने से बचते हुये कहा कि रिजर्व बैंक के साथ जो भी विचार विमर्श अथवा परामर्श होता है उसे कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है।
3- आज तक कभी लागू नहीं हुआ रिजर्व बैंक का धारा 7
भारतीय रिजर्व बैंक कानून, 1934 की धारा 7(1) का सरकार ने अब तक कभी इस्तेमाल नहीं किया है। समूचे घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर कम से कम तीन पत्र भेजे हैं। आरबीआई कानून की धारा सात केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केन्द्रीय बैंक के गवर्नर को सीधे निर्देश जारी करने का अधिकार देती है।
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा कि नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय बैंक के साथ विवादों का निपटान करने के लिए रिजर्व बैंक कानून के तहत उपलब्ध इस धारा का उल्लेख किया है। धारा 7 प्रबंधन से संबंधित है।
आरबीआई कानून, 1934 की धारा 7(1) कहती है कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ विचार विमर्श के बाद जनहित में समय-समय पर केंद्रीय बैंक को निर्देश जारी कर सकती है।
इसके अलावा धारा 7(2) सरकार को रिजर्व बैंक के कामकाज का संचालन उसके केंद्रीय निदेशक बोर्ड को देने का अधिकार देती है।
4- केन्द्र और रिजर्व बैंक के बीच इन मुद्दों को लेकर मतभेद
वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल के बीच कई मसलों पर विवाद है। इसमें वित्तीय दबाव वाले बिजली क्षेत्र को राहत, सार्वजनिक क्षेत्र के कमजोर बैंकों की स्थिति, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के समक्ष आ रही नकदी की दिक्कतों को दूर करने और रिजर्व बैंक से अलग स्वतंत्र भुगतान नियामक प्राधिकरण का गठन शामिल है।
इसके अलावा दोनों के बीच ब्याज दरों के मसले पर भी विवाद की स्थिति है।
5- कांग्रेस और विरोधियों पार्टियों का आरबीआई के मुद्दे पर पक्ष
सरकार और आरबीआई के बीच चल रही तकरार को लेकर विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि भाजपा नीत राजग सरकार देश में हर संस्था की स्वायत्ता में दखलंदाजी कर उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। विपक्षी पार्टियों ने यह आरोप भी लगाया है कि कर्ज नहीं चुका पाने वाली निजी कंपनियों को धन मुहैया करने के लिए केंद्रीय बैंक (आरबीआई) को मजबूर किया जा रहा है।
कांग्रेस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से यह बताने को कहा कि ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई है कि सरकार केंद्रीय बैंक को निर्देश जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम के उस प्रावधान का सहारा लेने को मजबूर हो गई, जिसका कभी उपयोग नहीं किया गया है।
6- पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने भी की आलोचना
पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने जारी विवाद को लेकर ट्वीट में कहा कि यदि सरकार ने रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात का इस्तेमाल किया तो आने वाले समय में और भी बुरी खबरें सामने आएंगी।
उन्होंने कहा कि पूवर्वर्ती सरकारों ने 1991 में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण, 1997 के एशियाई वित्तीय संकट और 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के समय भी इसका इस्तेमाल नहीं किया था। उन्होंने कहा कि यदि धारा सात के इस्तेमाल की खबरें सही हैं तो इससे यह पता चलता है कि मौजूदा सरकार अर्थव्यवस्था से जुड़े तथ्यों को छुपाना चाहती है।
7- कब से है सरकार और आरबीआई में कलह
सबसे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये यह दावा किया गया कि सरकार और आरबीआई के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। इसी बीच आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का बयान सामने आया। आचार्य ने सरकार को चेतावनी दी कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को हल्के में लेना विनाशकारी हो सकता है, जिसके बाद ये पूरा मामला गर्मा गया।
विरल आचार्य ने कहा, 'जो सरकारें केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का आदर नहीं करतीं, उन्हें आज नहीं तो कल बाजार की नाराजगी और आर्थिक आग की आंच झेलनी पड़ती है. इसके बाद वे उस दिन को कोसेंगे जब उन्होंने महत्वपूर्ण नियामक संस्थान की अनदेखी की थी।'
उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने तथा उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रुप देखा जा रहा है।
8- उर्जित पटेल के कई नियमों से इंडस्ट्री नाराज
उर्जित पटेल ने गवर्नर बनने के बाद पिछले दो साल में आरबीआई ने कई फैसले लिए हैं। जिसमें बैड लोन के मामलों को दिवालिया अदालत में भेजने के साथ एक दिन के डिफॉल्ट पर बैंकों के लोन रेजॉलुशन पर काम शुरू करने जैसे फैसले शामिल हैं। प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क के तहत कई सरकारी बैंकों पर कार्रवाई की गई है। सूत्रों के मुताबिक इस तरह के फैसले और कई नियमों के लागू होने के बाद से इंडस्ट्री नाराज है।
9-आरबीआई के विवाद पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की टिप्पणी
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सीबीआई तथा आरबीआई में छिड़े विवादों के बीच ़बुधवार को कहा कि वित्तीय संस्थानों तथा सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को नैतिक आचरण करना चाहिए क्योंकि उनके काम और व्यवहार से आम लोगों का जीवन प्रभावित होता है।
राष्ट्रपति ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस सभागार में मौजूद लोग सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों तथा सरकार के शीर्ष अधिकारी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण होगा कि आप ईमानदारी, पारदर्शिता तथा सत्यनिष्ठा के वास्तविक अर्थ को समझें। ईमानदारी का व्यापक अर्थ, काम के प्रति समर्पण और संस्थागत अनुशासन दोनों है।
10- अंधाधुंध कर्ज बांटने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रही पर रिजर्व बैंक
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि आरबीआई 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा कि बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की मौजूदा समस्या का यही कारण है।
वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनाव बढ़ने की रिपोर्ट आ रही है।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)