आरबीआई के नीतिगत कदम से रुपये, बाजार पर पड़ेगा विपरीत असर: बैंक अधिकारी
By भाषा | Published: October 6, 2018 06:40 AM2018-10-06T06:40:08+5:302018-10-06T06:40:08+5:30
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा लेकिन अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ की जगह ‘नपे-तुले तरीके से कड़ा करने’ की घोषणा की।
मुंबई, 6 अक्टूबर: बैंक अधिकारियों ने नीतिगत दर में बदलाव नहीं करने के रिजर्व बैंक के अप्रत्याशित फैसले को जोखिम भरा कदम बताया है। वास्तव में बाजार रुपये के मूल्य में गिरावट तथा इसका अन्य संपत्ति पर पड़ रहे असर को देखते हुए नीतिगत दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहा था। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा लेकिन अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ की जगह ‘नपे-तुले तरीके से कड़ा करने’ की घोषणा की।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरूआ ने कहा, ‘‘आरबीआई का यह जोखिम भरा कदम है। बाजार रुपये के बचाव में नीतिगत दर में वृद्धि के लिये तैयार था।’’ उन्होंने कहा कि रेपो दर में वृद्धि नहीं होने से मुद्रा तथा अन्य संपत्ति बाजार में तीव्र गिरावट आ सकती है। आरबीआई के कदम के बाद रुपया 74.23 के निम्न स्तर पर पहुंच गया। वहीं शेयर बाजार 2.5 प्रतिशत टूटा।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि आरबीआई का नीतिगत दर में बदलाव नहीं करने तथा रुख में तब्दीली लाने का फैसला मुख्य रूप से मुद्रास्फीति में नरमी का अनुमान है। इसके अलावा वैश्विक बाजारों में बढ़ते उतार-चढ़ाव, वैश्विक व्यापार में कमजोर संभावना तथा वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखकर यह निर्णय किया गया।
भारतीय बैंक संघ के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा कि आरबीआई ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखकर बाजार को अचंभित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को लेकर भरोसा दिखाया है। इससे बाजार का भरोसा बढ़ेगा और त्योहारों में कर्ज में वृद्धि होगी।
बैंक आफ इंडिया के प्रमुख दीनबंधु महापात्र ने कहा कि आरबीआई का इरादा निकट भविष्य में वृद्धि का समर्थन करना है। उन्होंने कहा कि नीतिगत कदम को नकदी की चिंता दूर होने की उम्मीद है।