निजी बैंकों ने बट्टेखाते का रिकॉर्ड बनाया, सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार के बावजूद एनपीए बेलगाम

By हरीश गुप्ता | Published: March 7, 2021 12:33 PM2021-03-07T12:33:59+5:302021-03-07T12:35:47+5:30

सरकार ने कहा कि उसके द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों के कारण सार्वजनिक बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) मार्च 2018 में 8.96 लाख करोड़ थीं और घटकर सितंबर 2020 में 6.09 करोड़ रुपये रह गयीं.

rbi npaPrivate banks record estimated to be Rs 6-09 lakh crore betting unbridled despite public sector reforms pm narendra modi | निजी बैंकों ने बट्टेखाते का रिकॉर्ड बनाया, सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार के बावजूद एनपीए बेलगाम

निजी बैंकों द्वारा एनपीए बट्टे खाते में डालने की दर पीएसयू बैंकों की तुलना में साल दर साल बढ़ती जा रही है. (file photo)

Highlightsसार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2020-21 के दौरान शेयर एवं बांड के जरिये 50,982 करोड़ रुपये एकत्र किए.देश के निजी बैंकों ने एनपीए को बट्टे खाते में डालने का नया रिकॉर्ड बनाया है. 49 निजी बैंकों ने पिछले वर्षों की तुलना में 2019-20 के दौरान एनपीए के रूप में रिकॉर्ड मात्रा में डूबे कर्जों को बट्टे खाते में डाला.

नई दिल्लीः मोदी सरकार को देश पर राज करते हुए लगभग सात वर्ष होने को आ रहे हैं लेकिन बैंकों की गैर निष्पादित अस्तियों (एनपीए) पर लगाम नहीं लग पायी है.

सरकार का हालांकि दावा है कि उसकी आक्रामक रणनीतियों की वजह से बैंकों के एनपीए में 30 सितंबर, 2020 तक 2,27,388 करोड़ रुपये की तेज गिरावट आई है,लेकिन सितंबर 2020 तक सकल एनपीए 8,08,799 करोड रुपये था. दिलचस्प यह है कि एनपीए में कमी पिछले तीन वर्षाें के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र(पीएसयू ) के बैंकों द्वारा एनपीए भारी मात्रा में बट्टे खाते में डालने के कारण हो सकती है, जैसा संलग्न तालिका में दिखाया गया है.

हैरानी तो इस बात की है कि देश के निजी बैंकों ने एनपीए को बट्टे खाते में डालने का नया रिकॉर्ड बनाया है. अगर प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो एक और जहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कुछ बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो निजी क्षेत्र के बैंक साल दर साल अधिक एनपीए बट्टेखाते में डाल रहे हैं.

संलग्न तालिका के अवलोकन से साफ पता चलता है कि तकरीबन 25 पीएसयू बैंकों ने 2019-20 के दौरान पिछले वर्षाें की तुलना में कम एनपीए बट्टेखाते में डाला जबकि 49 निजी बैंकों ने पिछले वर्षों की तुलना में 2019-20 के दौरान एनपीए के रूप में रिकॉर्ड मात्रा में डूबे कर्जों को बट्टे खाते में डाला.

पूर्ववर्ती सरकार पर दोष दरअसल निजी बैंकों द्वारा एनपीए बट्टे खाते में डालने की दर पीएसयू बैंकों की तुलना में साल दर साल बढ़ती जा रही है. यह अलग बात है कि सरकार ने इस गड़बड़ी के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया था कि उनके शासनकाल में बैंकों ने अनाप शनाप तरीके से कर्ज बंटे.

31 मार्च, 2008 तक जहां 25.03 लाख करोड़ रु पये के कर्ज बंटे थे वहीं आक्रामक तरीके से 31 मार्च, 2014 तक 68.75 लाख करोड़ रुपये के ऋण दिए गए. वर्तमान सरकार का मानना है कि यह एनपीए में वृद्धि का एक प्रमुख कारण था.

तालिका

तीन वर्षाें के दौरान सभी बैंकों के एनपीए (राशि करोड़ रु में)

बैंक 2017-18 2018-19 2019-20

पीएसयू बैंक (25) 1, 61,362 2, 01,309 1, 89,624

निजी बैंक (49) 30010 34956 44491

कुल (74) 1,91,372 2,36,265 2,34,115

2019-20 के दौरान बैंकों द्वारा बट्टेखाते में एनपीए (राशि करोड़ रु में)

एसबीआई: 52362

आईओसी: 16405

बीओबी: 15912

पीएनबी: 13365

यूको: 12479

यूनियन बैंक: 8417

महाराष्ट्र बैंक: 5698

आईसीआईसीआई: 10952

एचडीएफसी: 8254

एक्सिस: 9019.

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