RBI Monetary Policy: आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाकर 4.8% किया, खाद्य पदार्थों की कीमतें रहेंगी हाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 6, 2024 01:59 PM2024-12-06T13:59:22+5:302024-12-06T13:59:30+5:30

RBI MPC Meet 2024: गवर्नर ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति से उपभोक्ताओं के पास उपलब्ध व्यय योग्य आय कम हो जाती है और निजी खपत पर असर पड़ता है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

RBI Monetary Policy Reserve Bank of India raised inflation forecast for current financial year to 4.8 percent | RBI Monetary Policy: आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाकर 4.8% किया, खाद्य पदार्थों की कीमतें रहेंगी हाई

फाइल फोटो

RBI MPC Meet 2024: खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को शुक्रवार को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया। गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि खाद्य कीमतों पर दबाव बने रहने से दिसंबर तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहने की आशंका है। खाद्य कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर तथा अक्टूबर 2024 में तेजी से बढ़ी। मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति हालांकि कम स्तर पर थी, पर अक्टूबर में भी इसमें वृद्धि दर्ज की गई।

दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए कहा, ‘‘ निकट भविष्य में कुछ नरमी के बावजूद खाद्य कीमतों के दबाव से तीसरी तिमाही में कुल मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने के आसार हैं।’’ आरबीआई ने कहा कि 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में इसके 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई या खुदरा मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान है।

केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा था। गवर्नर ने कहा, ‘‘ भविष्य में खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए रबी की अच्छी फसल जरूरी होगी। मिट्टी में पर्याप्त नमी और जलाशय के स्तर जैसे प्रारंभिक संकेत रबी की बुवाई के लिए अनुकूल है।’’ खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई-अगस्त में औसत 3.6 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्टूबर 2024 में 6.2 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन के अनुमान से चावल और तुअर दाल की बढ़ी कीमतों में राहत मिलेगी।

सब्जियों की कीमतों में भी सर्दियों में सुधार की उम्मीद है। सकारात्मक पक्ष पर दास ने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि और वैश्विक कीमतों में वृद्धि के बाद घरेलू खाद्य तेल की कीमतों की बदलती दिशा पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। दास ने कहा, ‘‘ अक्टूबर की नीति के बाद से भारत में निकट अवधि की मुद्रास्फीति और वृद्धि के परिणाम कुछ हद तक प्रतिकूल हो गए हैं। मुद्रास्फीति मध्यम अवधि में लक्ष्य के अनुरूप रहने का अनुमान है, जबकि वृद्धि में तेजी आने की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा कि लगातार उच्च मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम करती है और खपत तथा निवेश मांग दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। वृद्धि पर इन कारकों का नकारात्मक असर होता है। दास ने कहा, ‘‘ इसलिए सतत विकास के लिए मूल्य स्थिरता आवश्यक है। दूसरी ओर वृद्धि में नरमी यदि एक सीमा से अधिक बनी रहती है तो नीतिगत समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।’’ गवर्नर ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति से उपभोक्ताओं के पास उपलब्ध व्यय योग्य आय कम हो जाती है और निजी खपत पर असर पड़ता है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम, भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं और वित्तीय बाजार में अस्थिरता मुद्रास्फीति के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। दास ने साथ ही कहा कि विकसित तथा उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) दोनों के लिए मुद्रास्फीति कम करने का अंतिम चरण लंबा और कठिन होता जा रहा है। सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया हुआ है। 

Web Title: RBI Monetary Policy Reserve Bank of India raised inflation forecast for current financial year to 4.8 percent

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