मौद्रिक नीति समीक्षा: आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव , 2018-19 में जीडीपी 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान
By विकास कुमार | Published: December 5, 2018 03:55 PM2018-12-05T15:55:10+5:302018-12-05T17:25:41+5:30
मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया। रेपो दर 6.5 फीसदी पर बरकरार रहा है और रिवर्स रेपो रेट भी 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रहेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया। रेपो दर 6.5 फीसदी पर बरकरार रहा है और रिवर्स रेपो रेट भी 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रहेगा। पिछले दो बार से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम और डॉलर के मुकाबले कमजोरे होते रुपये को देखते हुए ये आशा की जा रही थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।
इस दौरान आरबीआई ने वित वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति 2.7 से 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है और अगले वित्त वर्ष की छमाही में यह 3।8 से 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान आरबीआई ने जताया है।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।
आरबीआई ने हाल ही में जीडीपी के 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान अपने पिछले पूर्वानुमान को बरकरार रखा है। जबकि इसी दौरान वर्ल्ड बैंक ने विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में औद्योगिक विकास दर में कमी आई है जिसका असर देश के जीडीपी पर दिख रहा है।
मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक की खास बातें
... घरेलू वृहद आर्थिक बुनियाद को मजबूत करने का उपयुक्त समय।
... निजी निवेश के लिये गुंजाइश और कोष की उपलब्धता को लेकर राजकोषीय अनुशासन महत्वपूर्ण।
... रबी फसलों की कम बुवाई से कृषि, ग्रामीण मांग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका।
... वित्तीय बाजार उतार-चढ़ाव, कमजोर वैश्विक मांग और व्यापार तनाव बढ़ने से निर्यात के लिये जोखिम।
... कच्चे तेल के दाम में गिरावट से वृद्धि संभावना को मजबूती मिलने की उम्मीद।
... वैश्विक वित्तीय स्थिति तंग होने के बाद भी कर्ज उठाव मजबूत।
... मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5- 7 फरवरी 2019 को।
(भाषा एजेंसी के इनपुट के साथ )