आरबीआई ने लगातार पांच बार घटाने के बाद इस बार रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, 5.15% पर बरकरार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 5, 2019 12:05 PM2019-12-05T12:05:03+5:302019-12-05T12:08:09+5:30
RBI: भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को घोषित अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में इस साल पहली बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए रेपो रेट, रिवर्स रेट और बैंक रेट को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया।
आरबीआई ने ये फैसला अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा की तीन दिवसीय बैठक के बाद लिया। आरबीआई के इस फैसले से रेपो रेट 5.15%, रिवर्स रेपो रेट 4.90 और बैंक रेट 5.40% पर बरकरार है। आरबीआई के सभी छह सदस्यों ने दरों को घटाने के खिलाफ वोट दिया।
आरबीआई ने साथ ही 2019-20 के लिए भारत का जीडीपी विकास अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है।
आरबीआई ने फैसले से चौंकाया
माना जा रहा था कि अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक लगातार छठी बार रेपो दर में कटौती करेगा, लेकिन आरबीआई ने मौद्रिक नीति में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया।
देश की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई। यह दर पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम रही है।
इस साल पांच बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है आरबीआई
रिजर्व बैंक ने इस वर्ष फरवरी में रेपो दर में की गई 0.25 प्रतिशत की कटौती सहित अक्टूबर तक हुई पांच समीक्षाओं में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती की है। फरवरी से अक्टूबर 2019 तक की पांच समीक्षाओं में रेपो दर 6.50 प्रतिशत से घटकर 5.15 प्रतिशत पर आ गई। लेकिन इस दौरान बैंकों ने केवल 0.29 प्रतिशत कटौती ही आगे ग्राहकों तक पहुंचाई है।
रिपोर्ट में कहा गया है मौद्रिक नीति की समयसीमा को देखते हुये इस तरह की प्रतीक्षा करो और देखो की नीति उचित लगती है। रिजर्व बैंक ने हाल ही में कर्ज दरों का लाभ आगे पहुंचाने के लिये कई प्रयास किये हैं। इसके लिये उसने बैंकों की ब्याज दर को बाहरी बेंचमार्क दर से जोड़ने की भी जरूरत बताई है।
रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि उपभोक्ता और कारोबारी धारणा में सुधार अभी आना बाकी है, इस लिहाज से निकट भविष्य में आर्थिक वृद्धि में नीचे की ओर जाने का जोखिम दिखाई देता है।