RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में की कटौती, अब कम हो सकती है होम लोन की EMI
By रामदीप मिश्रा | Published: June 6, 2019 12:03 PM2019-06-06T12:03:24+5:302019-06-06T12:11:11+5:30
रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती की है। रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत की गई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार (जून) को मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती की है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% कटौती की है। अब यह 6% से घटकर 5.75 फीसदी पर आ गया है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती की है। रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत की गई। रेपो रेट में कटौती वजह से होम लोन की ईएमआई सस्ती हो सकती है।
रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति 3-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। पिछली समीक्षा में यह अनुमान 2.90-3.0 प्रतिशत का था।
इससे पहले विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की रिपोर्ट में कहा गया था कि मुद्रास्फीति संतोषजनक स्तर पर है, जिस वजह से केंद्रीय बैंक परंपरागत से हटकर ब्याज दरों में कुछ अधिक की कमी कर सकता है।
RBI cuts repo rate by 25 basis points, now at 5.75% from 6%. Reverse repo rate and bank rate adjusted at 5.50 and 6.0 per cent respectively. pic.twitter.com/greB9paac3
— ANI (@ANI) June 6, 2019
ज्यादातर विश्लेषकों की राय है थी कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। वृद्धि दर की चिंता में केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद जताई जा रही थी।
मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ गई थी जो इसका पांच साल का निचला स्तर था। मुख्य मुद्रास्फीति हालांकि अप्रैल में बढ़कर 2.92 प्रतिशत हो गई।
बोफाएमएल के विश्लेषकों का मानना था कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 0.35 प्रतिशत की कटौती करेगी, जबकि मई महीने की मुख्य मुद्रास्फीति 3.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। हालांकि यह सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के लिए तय दो से छह प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर ही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया था कि नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद राजकोषीय तथा करेंसी के मोर्चे पर जोखिम कम हुआ है।