आरबीआई की 10,000 करोड़ रुपये की बांड पुनर्खरीद की घोषणा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 22, 2019 09:49 PM2019-01-22T21:49:32+5:302019-01-22T21:49:32+5:30

अब तक रिजर्व बैंक 30,000 करोड़ रुपये की खरीद कर चुका है। 

RBI announces remittance bonds worth Rs 10,000 crore | आरबीआई की 10,000 करोड़ रुपये की बांड पुनर्खरीद की घोषणा

फाइल फोटो

बाजार में पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के साथ रिजर्व बैंक ने 10,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की बृहस्पतिवार को पुनर्खरीद की घोषणा की है। 

इससे पहले केंद्रीय बैंक ने खुले बाजार में पूंजी डालने की अपनी योजना के तहत जनवरी में कुल 50,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी। अब तक रिजर्व बैंक 30,000 करोड़ रुपये की खरीद कर चुका है। 

रिजर्व बैंक ने कहा कि बाजार में नकदी की स्थिति के आकलन के बाद ओएमओ का फैसला किया गया। 

रिजर्व बैंक के साथ बैठक में उद्योग ने वृद्धि को प्रोत्साहन को ब्याज दर में कटौती का मुद्दा उठाया

पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक तथा उद्योग जगत के बीच बृहस्पतिवार को हुई बैठक में ब्याज दरों में कटौती का मुद्दा उठा। मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले हुई इस बैठक में उद्योगों ने केंद्रीय बैंक से वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए नीतिगत दर और नकद आरक्षित अनुपात में कटौती की मांग की है। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास के साथ मुंबई में हुई इस बैठक में उद्योग मंडलों ने मुद्रास्फीति में गिरावट के बीच नकदी की सख्त स्थिति से निपटने तथा ऋण की ऊंची लागत को कम करने के लिए कई उपाय सुझाए। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सुझाव दिया कि नकदी की सख्त स्थिति से निपटने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कम से कम आधा प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। साथ ही उद्योग विशेषरूप से एमएसएमई तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र को ऋण के प्रवाह बढ़ाने के उपाय किए जाने चाहिए। 

सीआईआई ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार निचले स्तर पर बनी हुई है ऐसे में ऋण की ऊंची लागत को कम करने के लिए प्रमुख नीतिगत दर रेपो में आधा प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। ये सुझाव केंद्रीय बैंक की चालू वित्त वर्ष की छठी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा से पहले आए हैं। मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजे 7 फरवरी को आएंगे। 

रिजर्व बैंक के पास आरक्षित कोष के रूप में जमा राशि का जो हिस्सा रखा जाता है उसे सीआरआर कहते हैं। फिलहाल सीआरआर चार प्रतिशत है। केंद्रीय बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों को जिस दर पर कुछ समय के लिये कर्ज देता है उसे रेपो दर कहा जाता है। अभी रेपो दर 6.50 प्रतिशत है। 

सीआईआई ने रीयल एस्टेट क्षेत्र के समक्ष आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। सीआईआई के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई उसके अध्यक्ष उदय कोटक ने की। 

एक अन्य उद्योग मंडल फिक्की ने भी रेपो दर और सीआरआर में कटौती की मांग उठाई। 

फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि रेपो दर और सीआरआर में कटौती से देश में निवेश चक्र में सुधार आ सकेगा और साथ ही इससे उपभोग बढ़ेगा और वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। 

सोमानी ने कहा कि आज समय की जरूरत एक सामंजस्य बैठाने वाली मौद्रिक नीति की है, जो वृद्धि पर केंद्रित हो। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति का उद्देश्य सिर्फ मूल्य स्थिरता तक सीमित नहीं रहे, बल्कि यह वृद्धि और विनिमय दर स्थिरता पर भी ध्यान दे। 

उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था को सुगम कर्ज की जरूरत है। 

उद्योग मंडल ने कहा कि एनबीएफसी-एचएफसी की कर्ज जुटाने की क्षमता काफी कम हो गई है, ऐसे में उन्हें सरकार के समर्थन की जरूरत है। उन्हें धन जुटाने की वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराई जानी चाहिए। यह सिर्फ एनबीएफसी-एचएफसी की सेहत के लिए नहीं जीडीपी की वृद्धि दर की रफ्तार को कायम रखने के लिए भी जरूरी है।

Web Title: RBI announces remittance bonds worth Rs 10,000 crore

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