Ratan Tata Passed Away: आप देख सकते हैं 1 रुपये का एसएमएस क्या कर सकता?, 4 दिन में सबकुछ बदल गया, पश्चिम बंगाल से गुजरात में नैनो...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 10, 2024 08:16 PM2024-10-10T20:16:51+5:302024-10-10T20:18:16+5:30
Ratan Tata Passed Away: दुनिया की सबसे सस्ती कार बतायी जा रही नैनो के इतिहास में एक अध्याय समाप्त हो गया था और दूसरा अध्याय शुरू हो गया था।
Ratan Tata Passed Away: गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रतन टाटा को एक शब्द का एसएमएस ‘वेल्कम’ (स्वागत है) भेजा था, जिसके बाद 2008 में टाटा नैनो परियोजना पश्चिम बंगाल से गुजरात स्थानांतरित हो गई थी। इससे दुनिया की सबसे सस्ती कार बतायी जा रही नैनो के इतिहास में एक अध्याय समाप्त हो गया था और दूसरा अध्याय शुरू हो गया था।
पश्चिम बंगाल में 2006 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा टाटा समूह के वास्ते सिंगूर में नैनो कार उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए किये गए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे।
मोदी ने टाटा को यह एसएमएस उस समय भेजा था जब उद्योगपति कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे और पश्चिम बंगाल से टाटा नैनो परियोजना बाहर ले जाने की घोषणा कर रहे थे। मोदी ने 2010 में साणंद में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश से बने टाटा नैनो संयंत्र का उद्घाटन करते हुए कहा था, ‘‘जब रतन टाटा ने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे पश्चिम बंगाल छोड़ रहे हैं, तो मैंने उन्हें एक छोटा सा एसएमएस भेजा था जिसमें मैंने लिखा था, ‘वेल्कम’ और अब आप देख सकते हैं कि एक रुपये का एसएमएस क्या कर सकता है।’’
टाटा ने तीन अक्टूबर, 2008 को पश्चिम बंगाल से नैनो परियोजना को बाहर ले जाने की घोषणा की थी और कहा था कि अगले चार दिन के भीतर गुजरात के साणंद में संयंत्र स्थापित किया जाएगा। मोदी ने तब कहा था कि कई देश नैनो परियोजना के लिए हरसंभव मदद देने को उत्सुक हैं, लेकिन गुजरात सरकार के अधिकारियों ने सुनिश्चित किया कि परियोजना भारत से बाहर न जाए।
उन्होंने सरकारी मशीनरी की भी प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह दक्षता में कॉर्पोरेट संस्कृति से मेल खा रही है और राज्य के तेज विकास में प्रमुख भूमिका निभा रही है। साणंद में प्लांट से जून 2010 में पहली नैनो कार के बाहर निकलने के समय, टाटा ने इकाई स्थापित करने में मदद के लिए मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार की सराहना की थी।
टाटा ने कहा था, ‘‘जब हमने एक अन्य नैनो संयंत्र के लिए जमीन की तलाश की, तो हम शांति और सद्भाव की ओर बढ़ना चाहते थे। गुजरात ने हमें वह सब कुछ दिया जिसकी हमें जरूरत थी। मोदी ने हमसे कहा, 'यह सिर्फ टाटा की परियोजना नहीं, यह हमारी परियोजना है।' हम पर जो समर्थन और भरोसा जताया गया है, उसके लिए हम उनके बहुत आभारी हैं।’’ टाटा ने 2018 में नैनो कारों का उत्पादन बंद कर दिया।