RBI के पूर्व गर्वनर रघुराम का तंज, सरकार के लिए कार की सीट बेल्ट की तरह है रिजर्व बैंक, स्वायत्तता का सम्मान जरूरी
By भाषा | Published: November 6, 2018 06:10 PM2018-11-06T18:10:32+5:302018-11-06T18:12:49+5:30
आरबीआई निदेशक मंडल की 19 नवंबर को होने वाली बैठक के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन कहा कि बोर्ड का लक्ष्य संस्था की रक्षा करना होना चाहिए, न कि दूसरों के हितों की सुरक्षा।’
रिजर्व बैंक और सरकार में बढ़ते टकराव के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बैंक किसी सरकार के लिए कार की सीट बेल्ट की तरह होता है जिसके बिना नुकसान हो सकता है।
संस्थान के रूप में आरबीआई की स्वायत्तता का सम्मान किए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए पूर्व गवर्नर राजन ने कहा कि सरकार अगर आरबीआई पर लचीला रुख अपनाने का दबाव डाल रही हो तो केंद्रीय बैंक के पास ‘ना’ कहने की आजादी है।
राजन ने कहा- आरबीआई सीट बेल्ट की तरह है, सरकार चालक है
आरबीआई निदेशक मंडल की 19 नवंबर को होने वाली बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि बोर्ड का लक्ष्य संस्था की रक्षा करना होना चाहिए, न कि दूसरों के हितों की सुरक्षा।’
राजन ने ‘सीएनबीसी टीवी18’ से बातचीत में कहा, “आरबीआई सीट बेल्ट की तरह है। सरकार चालक है, चालक के रूप में हो सकता है कि वह सीट बेल्ट न पहने। पर, हां यदि आप आप अपनी सीट बेल्ट नहीं पहनते हैं और दुर्घटना हो जाती है तो वह दुर्घटना अधिक गंभीर हो सकती है।”
अतीत में आरबीआई और सरकार के बीच रिश्ता कुछ इसी प्रकार का रहा है- सरकार वृद्धि तेज करने की दिशा में काम करना चाहती है और वह आरबीआई द्वारा तय सीमा के तहत जो कुछ करना चाहती है करती है। आरबीआई ये सीमाएं वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखकर तय करता है।
उन्होंने कहा, “इसलिए सरकार आरबीआई पर अधिक उदार रुख अपनाने के लिए जोर देती है।”
राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रस्ताव की ठीक ढंग से पड़ताल करता है और वित्तीय स्थिरता से जुड़े खतरों का आकलन करता है।
उन्होंने कहा, “हमारी (आरबीआई की) जिम्मेदारी वित्तीय स्थिरता को बनाये रखना है और इसलिए हमारे पास ना कहने का अधिकार है।”
उल्लेखनीय है कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि उर्जित पटेल की अगुवाई वाले आरबीआई और सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के एक वक्तव्य के बाद केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सतह पर आ गए थे।
डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा-सरकारें अपने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं
डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें अपने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं उन्हें देर सबेर ‘बाजारों के आक्रोश ‘ का सामना करना पड़ता है। इसके बाद यह सामने आया कि सरकार ने एनपीए नियमों में ढील देकर कर्ज सुविधा बढ़ाने सहित कई मुद्दों के समाधान के लिए आरबीआई अधिनियम के उस प्रावधान का इस्तेमाल किया है, जिसका उपयोग पहले कभी नहीं किया गया था ताकि वृद्धि दर तेज की जा सके। हालांकि केंद्रीय बैंक की सोच है कि इन मुद्दों पर नरमी नहीं बरती जा सकती है।
राजन ने कहा, “निश्चित तौर पर आरबीआई यूं ही ना नहीं कहता है। वह ऐसा तब कहता है, जब परिस्थितियों की जांच के बाद उसे लगता है कि प्रस्तावित कदम से बहुत अधिक वित्तीय अस्थिरता आएगी।”
पूर्व गवर्नर ने कहा, “मेरे ख्याल से यह रिश्ता लंबे समय से चलता आ रहा है और यह पहला मौका नहीं है जब आरबीआई ने ना कहा हो। सरकार लगातार यह कह सकती है कि इस पर गौर कीजिए, उस पर गौर कीजिए लेकिन साथ ही वह कहती है कि ठीक है, मैं आपके फैसले का सम्मान करती हूं, आप वित्तीय स्थिरता को बनाये रखने वाले नियामक हैं और मैं (अपना प्रस्ताव) वापस लेती हूं।”
उन्होंने कहा, “जब आपने इन डिप्टी गवर्नरों और गवर्नर को नियुक्त किया है तो आपको उनकी बात सुननी होगी क्योंकि आपने इसी काम के लिए उनकी नियुक्ति की है, वे सेफ्टी बेल्ट हैं।”