रघुराम राजन ने पूछा, "अडानी समूह में भारी निवेश करने वाली मॉरीशस के कंपनियों की जांच क्यों नहीं की SEBI ने"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 6, 2023 09:16 AM2023-03-06T09:16:27+5:302023-03-06T09:22:46+5:30
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडानी विवाद में SEBI की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा है कि आखिर SEBI ने अभी तक टैक्स हेवन मॉरीशस के रजिस्टर्ड उन फंडिंग कंपनियों के स्वामित्व की जांच क्यों नहीं की, जो अकेले अडानी समूह में अपनी पूंजी का 90 फीसदी निवेश कर रहे थे।
दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडानी विवाद में गंभीर सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि आखिर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अभी तक मॉरीशस के उन चार कंपनियों के निवेश और उनके स्वामित्व की जांच क्यों नहीं की, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अडानी समूह के शेयरों में अपनी 90 फीसदी की हिस्सेदारी यानी 6.9 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
राजन ने कहा कि एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, क्रेस्टा फंड, एल्बुला इनवेस्टमेंट फंड और एपीएमएस इनवेस्टमेंट की ओर से हो रहे अडानी समूह में भारी निवेश को पिछले कुछ वर्षों से संदेह की निगाह से देखा जा रहा था और ऐसा आरोप लगा था कि ये शेल कंपनियां हो सकती हैं।
ये कंपनियां जनवरी 2023 में उस समय एक बार फिर चर्चा में आईं, जब अमेरिका के शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग समूह ने आरोप लगाया कि अडानी समूह ने अपने शेयर के भाव बढ़ाने के लिए ऑफशोर शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया है। अडानी ग्रुप ने बार-बार सभी आरोपों का खंडन किया है।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने पूछा, "यह मुद्दा सरकार और उद्योग के बीच गैर-पारदर्शी लिंक को दर्शाता है। आखिर SEBI ने अभी तक टैक्स हेवन मॉरीशस के रजिस्टर्ड उन फंडिंग कंपनियों के स्वामित्व की जांच क्यों नहीं की, जो अकेले अडानी समूह में अपनी पूंजी का 90 फीसदी निवेश कर रहे थे क्योंकि उन कंपनियों का स्ट्रक्चर बेहद संदिग्ध है। आखिर जांच एजेंसियों को किस तरह के मदद की जरूरत है?''
राजन ने पीटीआई को दिये एक ईमेल इंटरव्यू में कहा कि निजी कारोबार और पारिवारिक कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए लेकिन उसमें भी सभी के लिए समान अवसर होने चाहिए, ऐसा न हो किसी एक अवसर मिले और बाजार में उसका एकाधिकार हो जाए।
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के स्कूल ऑफ बिजनेस से गधुराम राजन ने कहा, "किसी औद्योगिक समूह के पास बाजार का एकाधिकार हो जाए यह किसी भी देश के लिए बेहतर नहीं है। सरकार व्यवसायों को उनके कौशल के आधार पर फलने-फूलने दें न कि संबंधों के आधार पर।"
मालूम हो कि इस साल की 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी करके अडानी समूह पर स्टॉक के हेरफेर और अन्य तरह की वित्तिय अनियमितताओं का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह के स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए कई शेल कंपनियों का उपयोग किया। वहीं अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों का खंडन किया था और उन्हें "दुर्भावनापूर्ण" "आधारहीन" और "भारत पर सुनियोजित हमला" बताया था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी बीते गुरुवार को SEBI को आदेश दिया कि वो अडानी समूह द्वारा शेयर की कीमत में हेरफेर के आरोपों की जांच दो महीने के भीतर जांच करने रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज एएम सप्रे की अगुवाई में 6 सदस्यी एक विशेष कमेटी बनाई है, जो भारतीय निवेशकों की सुरक्षा की जांच करेंगी।