Coronavirus Pandemic: ऐतिहासिक गिरावट, अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की कमी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 31, 2020 06:53 PM2020-08-31T18:53:23+5:302020-08-31T21:49:40+5:30

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए। इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है। सकल घरेलू उत्पाद में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

Q1 GDP growth contracts by 23.9 pc as COVID-19 cripples economic activities | Coronavirus Pandemic: ऐतिहासिक गिरावट, अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की कमी

चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।  (file photo)

Highlightsसरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था। इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की।ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है।

नई दिल्लीः कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए। इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है। सकल घरेलू उत्पाद में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था। इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की। ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है। इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। 

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिये लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से देश की पहले से नरमी पड़ रही अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर पड़ा है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अथर्व्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आयी है।

इस दौरान कृषि को छोड़कर विनिर्माण, निर्माण और सेवा समेत सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहा है दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में 3.1 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल-जून में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। तिमाही आंकड़े 1996 से जारी किये जा रहे हैं और उस समय से यह अबतक की सबसे बड़ी गिरावट है। इतना ही नहीं विश्लेषक जो अनुमान जता रहे थे, गिरावट उससे भी बड़ी है। महामारी की वजह से दुनिया के विभिन्न देशों में जीडीपी में ऐतिहासिक गिरावट हो रही है लेकिन भारत में स्थिति बिगड़ रही है।

एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 78,000 से अधिक मामले आने के साथ कुल आंकड़ा 35 लाख को पार कर गया है। भारत इस मामले में केवल अमेरिका और ब्राजील से पीछे है। रूस की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून के दौरान 8.5 प्रतिशत की गिरावट आयी। हालांकि चीन में इसी दौरान 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चीन में इस साल जनवरी-मार्च में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। उस समय वहां कोरोना वायरस महामारी चरम पर थी। पहली तिमाही में रूस में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

अमेरिका में अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में रिकार्ड 32.9 प्रतिशत, इटली में 12.8 प्रतिशत और तुर्की की अर्थव्यवस्था में 9.9 प्रतिशत की गिरवट आयी। अमेरिका में महामारी को रोकने के लिये कारोबारी गतिविधियां बंद होने से करोड़ों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है और बेरोजगारी दर बढ़कर 14.7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गयी। मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमणियम ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पहली तिमाही के आर्थिक प्रदर्शन पर मुख्य रूप से बाह्य कारकों का प्रभाव पड़ा और यह असर वैश्विक स्तर पर महसूस किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्व आर्थिक परिदृश्य में में दुनिया भर के देशों में खराब आर्थिक स्थिति का जिक्र किया गया है जहां प्रति व्यक्ति जीडीपी में 1870 के बाद सबसे बड़ी गिरावट आएगी।

ऐसी बात एक-डेढ़ शताब्दी में एक बार दिखती है। सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘हम भी इसी स्थिति से गुजर रहे हैं।’’ चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान कृषि एकमात्र क्षेत्र रह जहां 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। देश के सेवा क्षेत्र में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाला वित्तीय सेवा में आलोच्य तिमाही में 5.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि व्यापार, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्र 47 प्रतिशत नीचे आये। विनिर्माण क्षेत्र में 39.3 प्रतिशत, निर्माण में 50.3 प्रतिशत, खनन उत्पादन में 23.3 प्रतिशत और बिजली तथा गैस खंड में 7 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि लॉकडाउन में ढील के बाद अर्थव्यवस्था में तीव्र गिरावट के बाद तीव्र वृद्धि (V आकार में) देखी जा रही है।

हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह सालाना रिपोर्ट में कहा कि अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भी गिरावट की आशंका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही आगाह कर चुकी हैं कि ‘दैवीय घटना’ के कारण अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में गिरावट आ सकती है। देश में पुनरूद्धार का रास्ता लंबा और कठिन जान पड़ता है। नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती और 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज जैसे मौद्रिक और राजकोषीय उपायों के बावजूद अर्थव्यवस्था में अबतक तेजी नहीं लौटी है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि लॉकडाउन में ढील के बाद घरेलू मांग में के साथ विनिर्माण और सेवा खेत्रों में तेजी के साथ अर्थव्यवस्था में अगले साल ही वृद्धि आने की उम्मीद है।

देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से 2020-21 की पहली तिमाही में करीब आधे समय में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप रही। उसके बाद इसमें कुछ ढील दी गयी लेकिन कई राज्यों ने पाबंदियों को जारी रखा। होटल, परिवहन और शिक्षा क्षेत्रों पर लगातार पाबंदी से पुनरुद्धार संभावना प्रभावित हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि ‘लॉकडाउन’ के कारण लाखों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा और कंपनियों पर असर पड़ा। महामारी से पहले ही ही अर्थव्यवस्था में नरमी दिख रही थी।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट से नये कर्ज पर असर पड़ा और इसका प्रभाव खपत पर पड़ा। जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में धीमी पड़कर 4.2 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2018-19 में 6.1 प्रतिशत और 2017-18 में 7 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बयान में कहा, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की पहली तिमाही में 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था। यानी इसमें 23.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ है जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।’’

बयान के अनुसार, ‘‘कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के इरादे से 25 मार्च से लोगों की आवाजाही समेत गैर-जरूरी आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी लगायी गयी।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि पाबंदी को धीरे-धीरे हटाया गया है, लेकिन उसका असर आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ आंकड़ा संग्रह व्यवस्था पर भी पड़ा।’’ बयान के अनुसार सांविधिक रिटर्न जमा करने की समयसीमा को ज्यादातर नियामकीय संगठनों से आगे बढ़ाया है। एनएसओ ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में सामान्य आंकड़ा स्रोत के बजाए जीएसटी, पेशेवर निकायों से बातचीत आदि जैसे दूसरे विकल्पों का उपयोग किया गया। और ये सब स्पष्ट तौर पर सीमित रही हैं।’’

राजकोषीय घाटा जुलाई में ही वार्षिक बजट अनुमान से ऊपर निकला

केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा लॉकडाउन के कारण कमजोर राजस्व संग्रह के चलते वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल- जुलाई) में ही पूरे साल के बजट अनुमान को पार कर गया है। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई के दौरान राजकोषीय घाटा इसके वार्षिक अनुमान की तुलना में 103.1 प्रतिशत यानी 8,21,349 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। एक साल पहले इन्हीं चार माह की अवधि में यह वार्षिक बजट अनुमान का 77.8 प्रतिशत रहा था।

सरकार का राजकोषीय घाटा उसके कुल खर्च और राजस्व के बीच का अंतर होता है। पिछले साल अक्ट्रबर में यह वार्षिक लक्ष्य से ऊपर निकल गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश वित्त वर्ष 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। कोरोना वायरस महामारी के फैलने से उत्पन्न स्थिति को देखते हुये इन आंकड़ों को संशोधित करना पड़ा। कोराना वायरस की वजह से लागू किये गये लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में काफी व्यवधान खड़ा हुआ। केन्द्र सरकार ने 25 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया था ताकि कोविड- 19 के प्रसार पर अंकुश लगाया जा सके।

इसके बाद मई से धीरे धीरे लॉकडाउन में ढील दी जान लगी। पिछले वित्त वर्ष 2019- 20 में राजकोषीय घाटा देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले सात साल के उच्चस्तर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गया। वर्ष के दौरान राजस्व प्राप्ति कमजोर रही जो कि मार्च आते आते और कमजोर पड़ गई। महा लेखा नियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार माह के दौरान सरकार की राजस्व प्राप्ति 2,27,402 करोड़ रुपये रही। यह राशि वर्ष के बजट के वार्षिक लक्ष्य का 11.3 प्रतिशत है।

पिछले साल इसी अवधि में कुल राजस्व प्राप्ति बजट अनुमान का 19.5 प्रतिशत रही थी। अप्रैल से जुलाई के दौरान कर राजस्व 2,02,788 करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 12.4 प्रतिशत रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह बजट अनुमान का 20.5 प्रतिशत रहा था।

आलोच्य अवधि में सरकार की कुल प्राप्ति 2,32,860 करोड़ रुपये रही जो कि बजट अनुमान का 10.4 प्रतिशत रही। सरकार ने बजट में वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान कुल 22.45 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान लगाया है। वहीं जुलाई अत तक सरकार का कुल व्यय 10,54,209 करोड़ रुपये यानी बजट में पूरे वित्त वर्ष के दौरान होने वाले खर्च का 34.7 प्रतिशत तक पहुंच गया। हालांकि इससे पिछले वर्ष इसी अवश्धि में कुल व्यय पूरे साल के बजट अनुमान का 34 प्रतिशत था। 

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