Prayagraj Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से 26 फरवरी, 40 करोड़ श्रद्धालु और 1200000 नौकरी?, एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलुग ने दी जानकारी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 20, 2025 06:32 PM2025-01-20T18:32:41+5:302025-01-20T18:33:54+5:30
Prayagraj Mahakumbh 2025: पर्यटन एवं आतिथ्य उद्योग में ही महाकुंभ के दौरान लगभग 4.5 लाख अस्थायी रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

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Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज में संगम तट पर चल रहे महाकुंभ के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में करीब 12 लाख अस्थायी रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। एनएलबी सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सचिन अलुग ने सोमवार को यह जानकारी दी। वैश्विक प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल प्रतिभा समाधान प्रदाता एनएलबी सर्विसेज का यह आकलन आंतरिक डेटा विश्लेषण और उद्योग से मिली रिपोर्टों पर आधारित है। उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं।
अलुग ने कहा कि संगम तट पर होने वाला यह ऐतिहासिक समागम आर्थिक विकास और अस्थायी रोजगार के नजरिये से एक ऊर्जा-केंद्र के रूप में सामने आया है। उन्होंने कहा, ‘‘महाकुंभ का आर्थिक प्रभाव कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। बुनियादी ढांचा विकास, कार्यक्रम प्रबंधन, सुरक्षा सेवाएं, स्थानीय व्यापार, पर्यटन, मनोरंजन और बागवानी जैसे क्षेत्र पारंपरिक एवं आधुनिक दोनों तरह के व्यवसायों में विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।’’ अलुग ने कहा कि अकेले पर्यटन एवं आतिथ्य उद्योग में ही महाकुंभ के दौरान लगभग 4.5 लाख अस्थायी रोजगार सृजित होने का अनुमान है।
इनमें होटल स्टाफ, टूर गाइड, पोर्टर, यात्रा सलाहकार और कार्यक्रम समन्वयक जैसी भूमिकाएँ शामिल हैं। इसी तरह परिवहन एवं लॉजिस्टिक क्षेत्र में लगभग तीन लाख नौकरियों के सृजन की उम्मीद है। इनमें ड्राइवर, आपूर्ति शृंखला प्रबंधक, कूरियर कर्मियों और अन्य सहायक कर्मचारियों के पद शामिल हैं।
करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले महाकुंभ में लगाए गए अस्थायी चिकित्सा शिविरों में लगभग 1.5 लाख फ्रीलांस नर्सों, अर्ध-चिकित्सा स्टाफ और संबद्ध स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को अवसर मिलने की उम्मीद है। अलुग ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी इस दौरान मांग में उछाल आने की उम्मीद है, जिसमें लगभग दो लाख पेशेवरों की जरूरत होगी।
इस बीच, श्रद्धालुओं की जरूरतों को पूरा करने वाले खुदरा व्यवसायों में भी करीब एक लाख रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। खुदरा व्यवसाय धार्मिक वस्तुओं, स्मृति चिन्हों और स्थानीय उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए जमीनी स्तर पर बिक्री एवं ग्राहक सहायता कर्मचारी तैनात करते हैं।