नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का सुझाव RBI के लिए एक मौका भी है और चुनौती भी!
By विकास कुमार | Published: February 6, 2019 04:10 PM2019-02-06T16:10:21+5:302019-02-06T16:15:10+5:30
चुनावी साल में मोदी सरकार इकॉनमी को पूरी तरह से मिडिल क्लास और ग्रामीण भारत के इर्द-गिर्द रखना चाहती है ताकि राहुल गांधी द्वारा दिए जा रहे 'उद्योगपतियों की सरकार' के तमगे को ध्वस्त किया जा सके.
आरबीआई 7 फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने जा रहा है. इससे पहले केंद्रीय बैंक पर ब्याज दर कम करने का दबाव बढ़ता जा रहा है. कई आर्थिक विश्लेषकों के बाद अब नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा है कि RBI को अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए अपने मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर कम करना चाहिए. राजीव कुमार के मुताबिक अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए इससे उचित समय नहीं मिलेगा.
ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
हाल ही में सरकार ने पेश किए अपने अंतरिम बजट में किसानों और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कई बड़ी योजनाओं का एलान किया है. छोटे किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' लांच किया है जिसके कारण सरकार को हर साल 75 हजार करोड़ का अतरिक्त भार सहना पड़ेगा.
फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य असंभव
मोदी सरकार ने 2019-20 के लिए फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को बढ़ा दिया है जो कूल जीडीपी का 3.4 प्रतिशत रहने वाला है. इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 फीसदी रखा था. लेकिन अंतिम बजट में लोकलुभावन वादों के कारण सरकार के लिए 3.4 प्रतिशत का लक्ष्य भी पूरा होते हुए नहीं दिख रहा है.
फिंच और मूडीज का अनुमान
क्रेडिट एजेंसी फिंच ने भी सरकार के फिस्कल डेफिसिट का अनुमान इस वित्त वर्ष में 3.6 फीसदी लगाया है. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी सरकार के बजट को फिसल डेफिसिट बढ़ाने वाला बताया था, जिसमें राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए कोई दूरदर्शिता नहीं है. वहीं मोदी सरकार ने इस बजट को प्रो मिडिल क्लास और किसानों की आय के साथ ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला बताया था.
RBI की मौद्रिक समीक्षा
सरकार और नीति आयोग का सोचना है कि आरबीआई के ब्याज दर घटाने से लोगों की क्रय क्षमता में बढ़ोतरी होगी. आयकर की सीमा को 5 लाख करने के बाद बाजार से अच्छा फीडबैक मिलने के बाद सरकार उत्साहित है और यही उम्मीद वो आरबीआई के आगामी मौद्रिक समीक्षा से लगाये बैठी है. मिडिल क्लास के सेविंग्स बढ़ने के कारण उनकी परचेजिंग कैपेसिटी बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा.
रोजगार के नए मौके पैदा होंगे. चुनावी साल में सरकार इकॉनमी को पूरी तरह से मिडिल क्लास और ग्रामीण भारत के इर्द-गिर्द रखना चाहती है ताकि राहुल गांधी द्वारा दिए जा रहे 'उद्योगपतियों की सरकार' के तमगे को ध्वस्त किया जा सके.