7 दिन और 10 करोड़ से अधिक का सोना?, तस्करी केंद्र बिहार, सिलीगुड़ी, इस्लामपुर, किशनगंज, दलखोला, रायगंज है हब
By एस पी सिन्हा | Updated: April 23, 2025 15:43 IST2025-04-23T15:42:50+5:302025-04-23T15:43:51+5:30
डीआरआई की टीम ने मंगलवार को दो सोना तस्करों को पकड़ा था। टीम ने 2 करोड़ 34 लाख रुपये का सोना बरामद किया है।

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पटनाः सोना और चांदी की तस्करी के लिए बिहार एक केंद्र बन गया है। उत्तर-पूर्व से दिल्ली और मुंबई ले जाते समय यह एक ट्रांजिट रूट के रूप से विकसित होता जा रहा है। म्यांमार से सोना तस्करी करने के लिए बिहार एक मुख्य केंद्र बन गया है। बीएसएफ और डीआरआई टीम ने पिछले दिनों लगभग डेढ़ करोड़ मूल्य के तस्करी के सोने के साथ तस्कर को दबोचा थ। दरअसल, सिलीगुड़ी, इस्लामपुर, किशनगंज, दलखोला, रायगंज क्षेत्र सोना तस्करी का हब है। इन इलाकों में रोजाना करोड़ों की सोने की स्मगलिंग होती है। पिछले दो सालों में बिहार में पकड़ी गई सोना और चांदी की मात्रा के बारे में स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन डीआरआई ने पिछले एक सप्ताह के भीतर बिहार में 10 करोड़ से अधिक का सोना पकड़ा है। हालांकि, कुछ हालिया घटनाओं से पता चलता है कि डीआरआई ने कुछ मामलों में बड़ी मात्रा में सोना और चांदी जब्त की है। डीआरआई की टीम ने मंगलवार को दो सोना तस्करों को पकड़ा था। टीम ने उनके पास से 2 करोड़ 34 लाख रुपये का सोना बरामद किया है।
तस्कर मोकामा के हाथीदह जंक्शन के पास एक कार से 3 किलो 262 ग्राम सोना लेकर जा रहे थे, तभी डीआरआई के अधिकारियों ने उन्हें धर दबोचा। तस्करों के पास सोना के 28 बिस्कुट थे। वहीं, डीआरआई ने पिछले दिनों पटना जंक्शन पर 2 करोड़ 25 लाख का सोना बरामद किया था। इस मामले में महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले शख्स को गिरफ्तार किया गया है।
सोना म्यांमार से तस्करी कर भारत लाया गया था। डीआरआई के अनुसार इंटेलिजेंस इनपुट मिली थी कि तस्करी के जरिए सोना लाया जा रहा है। इसके आधार पर शुक्रवार को दोपहर करीब 12.45 बजे 05955 डिब्रूगढ़-नई दिल्ली स्पेशल ट्रेन के कोच नंबर बी-4 से संजय काटकर नाम के एक व्यक्ति को पकड़ा गया।
जांच के दौरान उसके पास से 4316.380 ग्राम सोने के 26 बिस्कुट बरामद किए गए। पूछताछ के दौरान वह कोई भी वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाया। जानकारों के अनुसार भारत-बांग्लादेश, भारत-भूटान, भारत-नेपाल की सीमा से नजदीक होने और तस्करी के सोने से मोटा मुनाफा होने के कारण इस धंधे में सैकड़ों लोग (कई सफेदपोश भी शामिल) लगे हुए हैं।
इस कार्रवाई के बाद सोने की तस्करी करने वाले कई बड़े गिरोह डीआरआई और बीएसएफ के रडार पर आ गए हैं। जानकारों के अनुसार सोना तस्करी में मार्जिन का खेल होता है, जिससे तस्कर जिस देश से सोना लाने में अधिक बचत होती है, उस नेटवर्क पर स्विच कर जाते हैं। तस्कर ट्रेन रूट को अधिक सुरक्षित मानते हैं, जिससे बिहार के रास्ते सोना तस्करी अधिक आम हो गई है।
जानकार बताते हैं कि किशनगंज और आसपास के इलाकों में ज्यादातर कारखानों में धड़ल्ले से यह अवैध कारोबार कई दशकों से चलता आ रहा है। सूत्रों की मानें तो तस्कर किशनगंज सहित रायगंज, सिलीगुड़ी, दलखोला, इस्लामपुर में स्थित कई सोना गलाने वाले कारखानों के जरिए बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के सोने की खेप लाते हैं।
कारखानों में डिलीवरी के 2 मिनट के अंदर सोने को गलाकर भारत की मुहर लगा दी जाती है। कई बार गुप्त सूचनाओं के आधार पर इन कारखानों में कस्टम विभाग द्वारा छापामारी भी की जाती रहती है, लेकिन कस्टम अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही दूसरे देश के सोने को गलाकर भारत की मुहर लगा दी जाती है।
यह सारा सोना भारत की मुहर लगाने के बाद एक नंबर का हो जाता है। फिर इसे पश्चिम बंगाल की मालदा, कोलकाता जैसी सोने की बड़ी मंडियों में खपा दिया जाता है। सोना तस्करी में मार्जिन का खेल, म्यांमार से लाने में मुनाफा अधिक जांच एजेंसियां मान रही हैं कि सोना की तस्करी में मार्जिन का खेल है। जिस देश से सोना लाने में अधिक बचत होती है, तस्कर उस नेटवर्क पर शिफ्ट हो जाते हैं।
जाहिर है म्यांमार से तस्करी में मुनाफा अधिक है। जांच एजेंसियों के अनुसार कोई भी व्यक्ति विदेशों से सीधे सोना का आयात नहीं कर सकता है। उसे बैंकों के जरिए ही सोना लाना होता है। साढ़े 12 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी भी देनी होती है। दरअसल, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में गोल्ड पर कोई टैक्स नहीं है और इन देशों में दुबई से गोल्ड की आवक होती है।
वहीं भारत के बाजार से तुलना करें तो भारत से लगभग 10 फीसदी सस्ते में समीपवर्ती तीनों देशों में गोल्ड मिलता है। साथ ही यहां अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव में सोना बिकता है। वहीं भारत में कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी जुड़ जाती है, जिस कारण समीपवर्ती तीनों देशों के बनिस्पत भारत में गोल्ड का मूल्य 10 फीसदी अधिक है।
अगर 10 ग्राम के सोने के बिस्किट की बात करें तो अभी के बाजार मूल्य के हिसाब से भारत में लगभग 72,000 रुपए दाम है। वहीं बांग्लादेश, भूटान में यह 65 हजार से कम में बिकता है। इसी फर्क के कारण सिलीगुड़ी, इस्लामपुर, किशनगंज, दलखोला, रायगंज तस्करों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। इस कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार सिलीगुड़ी से लेकर रायगंज तक सोने की तस्करी रोजाना बड़े पैमाने पर होती है।