प्याज की बढ़ती कीमतः केंद्र सरकार ने व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाई, लागू किए कई नियम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 23, 2020 08:06 PM2020-10-23T20:06:21+5:302020-10-23T21:21:23+5:30

खुदरा व्यापारी केवल दो टन तक प्याज का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि थोक व्यापारियों को 25 टन तक रखने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि सरकार को आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून लागू करना पड़ा - जिसे पिछले महीने ही संसद में पारित किया गया।

Onion prices rise Central government imposes stock limit traders many rules implemented | प्याज की बढ़ती कीमतः केंद्र सरकार ने व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाई, लागू किए कई नियम

विक्रेताओं को दो टन और थोक विक्रेताओं को 25 टन तक स्टॉक रखने की सीमा तय की गई है।

Highlightsप्याज की घरेलू उपलब्धता की स्थिति में सुधार लाया जा सके और घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।कानून, सरकार को असाधारण मूल्य वृद्धि की स्थिति में खराब होने वाली वस्तुओं को विनियमित करने की अनुमति देता है। बढ़ती प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने और जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है।

नई दिल्लीः घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने और प्याज की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को खुदरा और थोक विक्रेताओं दोनों पर तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू कर दी।

खुदरा व्यापारी अपने गोदाम में अब केवल दो टन तक प्याज का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि थोक व्यापारियों को 25 टन तक प्याज रखने की अनुमति होगी। यह कदम प्याज की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिये उठाया गया है पिछले कुछ हफ्तों में भारी बारिश के कारण उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की खरीफ फसल को पहुंचे नुकसान और उसके साथ-साथ इसकी जमाखोरी के कारण प्याज की कीमतें बढ़कर 75 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गई हैं।

उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने मीडिया को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘यह एक निर्णायक कदम है। हमने प्याज व्यापारियों पर तत्काली प्रभाव से 31 दिसंबर तक के लिये स्टॉक सीमा तय कर दी है। इस बात को लेकर चिंता बढ़ी कि व्यापारीगण अपने संग्रहीत स्टॉक को धीरे-धीरे बाजार में ला रहे हैं, जिससे कृत्रिम रूप से मूल्य वृद्धि की स्थिति पैदा हो रही है।’’

आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करना पड़ा

उन्होंने कहा कि सरकार को हाल ही में पारित आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करना पड़ा, जो केवल असाधारण मूल्य वृद्धि की स्थिति में कृषि-वस्तुओं के विनियमन का अधिकार सरकार को देता है। उन्होंने कहा कि प्याज के मामले में, 21 अक्टूबर को प्याज की औसत अखिल भारतीय खुदरा कीमत 55.60 रुपये प्रति किलो थी, जो आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम के तहत निर्दिष्ट फार्मूले के अनुसार वहन योग्य सीमा को पार कर गई।

प्याज का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 55.60 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो पिछले साल के 45.33 रुपये के मुकाबले 22.12 प्रतिशत ऊंचा रहा जबकि पिछले पांच साल के औसत दाम के मुकाबले 114.96 प्रतिशत बढ़ गया। इस लिहाज से खुदरा मूलय वास्तव में दुगुने से अधिक हो गया। यही वजह है कि इस जिंस पर स्टॉक सीमा लागू करने का फैसला किया गया।

उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने बाद में ट्वीट किया कि मोदी सरकार ने जमाखोरी रोकने और दाम पर अंकुश के लिए यह कदम उठाया है। प्याज के खुदरा विक्रेताओं और थोक व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाई गई है। प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए किए गए अन्य उपायों पर प्रकाश डालते हुए, सचिव ने कहा कि सरकार ने आयात के जरिये घरेलू आपूर्ति बढ़ाने का फैसला किया गया है। सरकारी स्वामित्व वाली एमएमटीसी जल्द ही लाल प्याज का आयात करने के लिए निविदा जारी करेगी।

सचिव ने कहा कि सरकार ने 14 सितंबर को ही प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करके पहले से ही एक निदानात्मक उपाय की शुरुआत कर दी थी। उन्होंने कहा, '' इस प्रकार, खुदरा मूल्य वृद्धि कुछ हद तक कम हुई, लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्याज उत्पादक जिलों में भारी बारिश की खबरों ने खरीफ फसल को नुकसान होने की चिंता पैदा की है। ''

उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए, सरकार ने 2019-20 में बनाए गए प्याज के एक लाख टन के बफर स्टॉक को सितंबर उत्तरार्द्ध से प्याज को बाजार में तेजी से उतारना शुरू कर दिया है, लेकिन इसको तयशुदा तरीके से किया जा रहा है। सरकार ने कहा कि खरीफ की फसल अगले महीने से मंडियों में आ सकती है। उन्होंने कहा कि उम्मीद के मुताबिक 37 लाख टन खरीफ प्याज के आगमन से इसकी उपलब्धता में सुधार होगा।

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