मोदी सरकार ने इन योजनाओं को जरिए भरा खजाना, आमजन ने भी दिया साथ
By रामदीप मिश्रा | Published: March 23, 2018 02:46 PM2018-03-23T14:46:48+5:302018-03-23T14:51:08+5:30
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना की शुरुआत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 1 जनवरी 2013 को की थी। शुरुआत में यह योजना भारत के 20 चुनिंदा शहरों में शुरू थी, जिसका मोदी सरकार ने विस्तार कर पूरे देश में लागू किया।
नई दिल्ली, 23 फरवरीः नरेंद्र मोदी सरकार की कई योजनाओं ने देश का खजाना भरा है। इन योजनाओं में वह भी शामिल हैं जिनमें प्रधानमंत्री ने आमजन से सीधा मुखातिब होकर अपील की वह सरकार का साथ दे और मिलकर देश को आगे बढ़ाया जाए। अगर कुछ लोग सामर्थ्यवान हैं तो गरीबों के लिए दी जा रही चीजों को न लें और उन्हें उनका हक मिलने दें, जिसमें सरकार को भी सहयोग मिलेगा। आइए आपको बताते हैं किन योजनाओं के तहत मोदी सरकार ने करोड़ों रुपए अपने खजाने में जुटाए हैं?
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना की शुरुआत भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1 जनवरी 2013 को की थी। शुरुआत में यह योजना भारत के 20 चुनिंदा शहरों में शुरू थी, जिसका मोदी सरकार ने विस्तार कर पूरे देश में लागू किया। मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने इस योजना के जरिए अभी तक करीब 82 हजार 985 करोड़ रुपए बचाए हैं। इस योजना में सब्सिडी को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है। जनवरी 2018 तक यानि 10 महीन में 25,956 करोड़ रुपये की बचत हुई है। मार्च 2017 तक 57,029 करोड़ बचाए गए, जिसके बाद इस आंकड़े में 45 फीसदी से अधिक की वृद्धि का दर्ज की गई। इस चीज का जिक्र पीएम मोदी भी कर चुके हैं।
रसोई गैस से सब्सिडी छोड़ने की अपील
पीएम मोदी ने सत्ता पर काबिज होने के बाद आमजन से अपील की थी कि जो लोग संपन्न हैं क्या वह रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ सकते हैं। इसके बाद करीब एक करोड़ लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी, जिससे सरकार के खजाने में भारी इजाफा हुआ। इसके अलावा सरकार ने उन उपभोक्ताओं के खिलाफ डंडा चलाया जो नकली दस्तावेजों के जरिए सब्सिडी हासिल कर रहे थे। ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या करीब 2.29 करोड़ रुपए आंकी गई। वहीं अपनी ओर से सब्सिडी छोड़ने (गिव इट अप) करने वाले संख्या 1.04 करोड़ है। कुल मिलाकर सरकार सब्सिडी से लगभग 38,877 करोड़ रुपये बचाए हैं।
रेलवे में इस सब्सिडी से भी सरकार ने बचाए करोड़ों
मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे में सीनियर सिटीजन को सब्सिडी छोड़ने का विकल्प दिया था। इसके बाद लाखों वरिष्ठ नागरिकों ने सब्सिडी छोड़ दी। भारतीय रेलवे ने इस आकड़े जारी किए। सब्सिडी छोड़ने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यात्री किराए में 100 प्रतिशत तक रियायत छोड़ने का विकल्प उपलब्ध कराया गया था। भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को 22 जुलाई 2017 से यह विकल्प दिया गया था कि या तो वे रेल टिकटों पर उपलब्ध पूर्ण रियायत या इसके आधी रियायत का लाभ उठाएं। 22 फरवरी 2018 तक 9.08 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने यात्री किराये पर शत-प्रतिशत सब्सिडी छोड़ दी, जबकि 8.55 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने यात्री किराए पर 50 प्रतिशत सब्सिडी छोड़ दी। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान वरिष्ठ नागरिकों द्वारा सब्सिडी छोड़ने के कारण 28.98 करोड़ रुपये की बचत हुई है।