मुकेश अंबानी ने अपने भाई अनिल को जेल जाने से बचाने के लिए करवाया था ये काम
By अनुराग आनंद | Published: June 4, 2020 01:56 PM2020-06-04T13:56:01+5:302020-06-04T13:58:42+5:30
जस्टिस आरएफ नरीमन और विनीत सरन की पीठ ने अनिल अंबानी को चार सप्ताह के भीतर एरिक्सन को करीब 460 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था।
नई दिल्ली: ब्लूमबर्ग के रिपोर्ट की मानें तो देश के बड़े उद्योगपति व रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक मुकेश अंबानी ने अपने ही भाई अनिल अंबानी को जेल जाने से बचाने के बदले में पैसों के लिए उनसे काफी मिन्नतें मंगवाईं थी। रिपोर्ट में इस बात की जिक्र है कि पिछले साल एरिक्शन मामले में जब कोर्ट के आदेश पर पुलिस अनिल अंबानी को गिरफ्तार करने वाली थी, तब 460 करोड़ रुपये चुकाने के लिए मुकेश ने अपने भाई अनिल अंबानी से भीख मंगवाई थी।
इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि अनिल ने जेल जाने से बचने के लिए अपने भाई से कई सप्ताह तक बात की थी। इस बातचीत के बाद अनिल अंबानी ने अपने मुंबई ऑफिस बिल्डिंग की 99 साल की दो लीज अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी को सौंपी थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एरिक्सन मामले में रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी को अवमानना का दोषी करार दिया था। अदालत ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्वीडन की दूरसंचार कंपनी एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये नहीं चुकाने का आरोपी पाया था।
अदालत ने एरिक्सन मामले में अनिल अंबानी को दोषी पाया था-
अदालत ने इस मामले में अनिल अंबानी के अलावा कंपनी के दो डायरेक्टरों को भी अवमानना का दोषी पाया था। कोर्ट ने प्रत्येक पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अगर एक महीने के भीतर जुर्माने की रकम जमा नहीं कराई गई तो एक महीने की जेल हो सकती है।
इसके बाद ही दोनों भाईयों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। अंत में अनिल अंबानी पैसा जमा कर जेल जाने से बचे थे। दरअसल, इस मामले में जस्टिस आरएफ नरीमन और विनीत सरन की पीठ ने अनिल अंबानी को चार सप्ताह के भीतर एरिक्सन को करीब 460 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने के जेल की सजा भुगतने का फैसला सुनाया था।
एरिक्सन इंडिया मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान अनिल अंबानी पर निशाना साधने के लिए राफेल सौदे का जिक्र करते हुए कहा था कि कंपनी के पास राफेल सौदे में निवेश करने के लिए पैसा है लेकिन कंपनी को पैसा चुकाने के लिए पैसा नहीं है।
उन्होंने पीठ को बताया था, ‘उनके पास राफेल के लिए पैसा है लेकिन हमें 550 करोड़ रुपये चुकाने के लिए पैसा नहीं है।’
अनिल अंबानी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि आरकॉम की संपत्तियों को जियो को बेचने पर सशर्त सहमति बनी थी लेकिन जियो के साथ यह सौदा नहीं हो पाया था।