लोकसभा चुनाव 2019: इस बार टाटा का चुनावी खर्च 20 गुना ज्यादा, सबसे ज्यादा फंड बीजेपी को दिया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 30, 2019 02:43 PM2019-04-30T14:43:16+5:302019-04-30T14:43:16+5:30
Lok Sabha Elections 2019: रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास मौजूद एसोसिएशन के आर्टिकल के मुताबिक अब तक इलेक्शन फंडिंड का आधा हिस्सा राजीनितिक पार्टियों को चुनाव से पहले दिया जाता था और आधा हिस्सा चुनाव के बाद लेकिन अब इसमें बदलाव हुआ है जिसके तहत एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के हिस्से में गया है।
Lok Sabha Elections 2019: टाटा ग्रुप ने अपने इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिये इस बार के लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा योगदान दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप ने 17वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव के लिए विभिन्न पार्टियों के लिए 500-600 रुपये खर्च किए। टाटा ग्रुप के इलेक्शन फंड का लेखाजोखा रखने वाले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2014-15 वित्त वर्ष में राजनीतिक पार्टियों के लिए 25.11 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
टाटा ग्रुप द्वारा सबसे ज्यादा फंड सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हिस्से गया है। कहा जा रहा है संसद में पार्टियों के सदस्यों की संख्या के हिसाब से फंड दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को मिले फंड के आंकलन के हिसाब से भारतीय जनता पार्टी को इस बार टाटा ग्रुप की तरफ से 300 से 350 करोड़ रुपये के बीच फंडिंग हुई है। कांग्रेस के हिस्से में करीब 50 करोड़ रुपये पहुंचे हैं। बाकी राशि को तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सीपीआईएम और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के दिया गया है।
टाटा ग्रुप की तरफ से इस बार योगदान दी गई कुल राशि में से करीब 220 करोड़ रुपये टाटा कंसल्टेंसी सर्विस की तरफ से आया है।
2014-15 वित्त वर्ष में टाटा कंसल्टेंसी सर्विस ने प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट को 1.48 करोड़ रुपये दिए थे। टाटा स्टील ने काफी बड़ी राशि 14.13 करोड़ रुपये खर्च की थी जबकि टाटा कि पैरेंट कंपनी टाटा संस ने 4.74 करोड़ रुपये, टाटा मोटर्स ने 1.84 करोड़, टाटा केमिकल्स ने 1.49 करोड़ रुपये, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज ने 1.23 करोड़ और टाटा पावर ने 14.47 लाख रुपये खर्च किए थे।
सूत्रों के मुताबिक देश का चुनावी खर्च बढ़ने के साथ-साथ टाटा ग्रुप की इलेक्शन फंडिंग में भी इजाफा हुआ है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास मौजूद एसोसिएएशन के आर्टिकल के मुताबिक अब तक इलेक्शन फंडिंड का आधा हिस्सा राजीनितिक पार्टियों को चुनाव से पहले दिया जाता था और आधा हिस्सा चुनाव के बाद लेकिन अब इसमें बदलाव हुआ है जिसके तहत एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के हिस्से में गया है।
ग्रुप में शामिल टाटा संस को राजनीतिक पार्टियों की ओर से निवेदन किया गया था कि चुनाव से पहले पूरा फंड मिले तो उसका उपयोग हो पाएगा।
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के मुताबिक 2014 से 2019 के बीच चुनाव ट्रस्टों की संख्या 20 से बढ़कर 30 हो गई है। जानकारों के मुताबिक 2014 में जहां चुनाव को लेकर ट्रस्टों की ओर से किया गया कुल अनुमानित खर्च 5 बिलियन डॉलर था तो 2019 में यह बढ़कर 7-8 बिलियन डॉलर हो गया है।