ITR 2025: पहली बार ITR भरने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स जान लें ये जरूरी बातें, नहीं होगी कोई परेशानी

By अंजली चौहान | Updated: June 18, 2025 13:59 IST2025-06-18T13:59:23+5:302025-06-18T13:59:27+5:30

ITR 2025: ITR 2025 में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि नई कर व्यवस्था को वेतनभोगियों के लिए डिफ़ॉल्ट बना दिया गया है।

ITR 2025 Salaried taxpayers filing ITR for first time should know these important things there will be no problem | ITR 2025: पहली बार ITR भरने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स जान लें ये जरूरी बातें, नहीं होगी कोई परेशानी

ITR 2025: पहली बार ITR भरने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स जान लें ये जरूरी बातें, नहीं होगी कोई परेशानी

ITR 2025: सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने का सिलसिला शुरू हो गया है। आईटीआर फाइल करने के लिए नौकरीपेशा करदाता को फॉर्म 16 भरना होगा जिसे कंपनियों ने देना शुरू कर दिया है। यह आवश्यक टैक्स डॉक्यूमेंट डिजिटल रूप में भी उपलब्ध है, जिसे ऑनलाइन रिटर्न जमा करने के लिए आसानी से एक्सेस और उपयोग किया जा सकता है।

फॉर्म 16 आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 203 के तहत जारी किया गया एक वैधानिक टीडीएस प्रमाणपत्र है। यह वित्तीय वर्ष के दौरान नियोक्ता द्वारा भुगतान किए गए कुल वेतन और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को रेखांकित करता है। सीबीडीटी नियमों के अनुसार, नियोक्ताओं को हर साल 15 जून तक सभी वेतनभोगी कर्मचारियों को फॉर्म 16 जारी करना चाहिए।

पहली बार टैक्स भरने वाले कर्मचारियों को अगर इन बातों का पता न हो तो उन्हें थोड़ी दिक्कत आ सकती है। कई बार फॉर्म 16 को सही से न भरने की वजह से आपको आयकर विभाग की तरफ से नोटिस भी मिल सकता है। ऐसे में पहली बार टैक्स भरने वाले टैक्सपेयर्स को इन बातों को जान लेना जरूरी होता है....

फॉर्म 16 दो सेक्शन में होता है डिवाइड

भाग ए: इसमें नियोक्ता और कर्मचारी का पैन, टैन, रोजगार की अवधि और सरकार के पास जमा किए गए टीडीएस का विवरण शामिल है।

भाग बी: वेतन घटकों का विस्तृत विवरण, विभिन्न खंडों के तहत छूट, अध्याय VI-A के तहत दावा की गई कटौती और परिणामी कर योग्य आय। 

डिजिटल फॉर्म 16 को कहां और कैसे एक्सेस करें 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) फॉर्म 16 को दो मुख्य मार्गों से एक्सेस करने की अनुमति देता है: 

नियोक्ताओं के माध्यम से: अधिकांश कंपनियां ईमेल द्वारा फॉर्म 16 भेजती हैं या इसे अपने आंतरिक HR/पेरोल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उपलब्ध कराती हैं।

TRACES पोर्टल के माध्यम से: https://www.tdscpc.gov.in पर जाएं।

अपने पैन क्रेडेंशियल (अगर लागू हो) का उपयोग करके लॉग इन करें। 

TDS विवरण सत्यापित करने के लिए “फॉर्म 26AS देखें” अनुभाग पर जाएँ। 

नोट: पूरा फॉर्म 16 यहाँ डाउनलोड करने योग्य नहीं है, लेकिन नियोक्ताओं से TDS रिकॉर्ड की सटीकता के लिए क्रॉस-चेक किया जा सकता है।

वेतनभोगी करदाताओं को अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने से पहले जान लेनी चाहिए ये बातें

1- सही टैक्स रिजीम का चुनाव 

भारत में दो टैक्स रिजीम हैं: पुरानी टैक्स रिजीम और नई टैक्स रिजीम।

पुरानी रिजीम कई कटौतियों (जैसे 80C, 80D, HRA, LTA आदि) का लाभ देती है।

नई रिजीम कम टैक्स दरें प्रदान करती है, लेकिन इसमें अधिकांश कटौतियों का लाभ नहीं मिलता है।

आपको अपनी आय, निवेश और खर्चों के आधार पर यह तय करना होगा कि आपके लिए कौन सी रिजीम अधिक फायदेमंद है। अगर आप पुरानी रिजीम चुनना चाहते हैं, तो आपको अपने नियोक्ता को सूचित करना होगा।

2- आवश्यक दस्तावेज एकत्र करें (Gather necessary documents):

फॉर्म 16: यह आपके नियोक्ता द्वारा जारी एक TDS (स्रोत पर कर कटौती) प्रमाणपत्र है। इसमें आपकी आय, कटौतियाँ और TDS विवरण होते हैं। यह जून के मध्य तक जारी किया जाता है।

फॉर्म 26AS: यह एक समेकित विवरण है जिसमें विभिन्न स्रोतों से काटे गए आपके TDS और आपके द्वारा भुगतान किए गए अग्रिम कर या स्व-मूल्यांकन कर का विवरण होता है। यह आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है।

वार्षिक सूचना विवरण (AIS) और करदाता सूचना सारांश (TIS): ये आपके PAN से जुड़े सभी वित्तीय लेनदेन का विस्तृत विवरण प्रदान करते हैं, जैसे उच्च-मूल्य वाले लेनदेन, बचत खाते का ब्याज, सावधि जमा आदि।

भुगतान पर्ची (Payslips): अपनी मासिक वेतन पर्ची को अपने कुल आय और भत्तों के लिए देखें।

बैंक विवरण: बचत खाते के ब्याज, FD के ब्याज या किसी अन्य आय के लिए अपने बैंक विवरण की जाँच करें।

निवेश के प्रमाण: अगर आपने पुरानी टैक्स रिजीम का विकल्प चुना है, तो आपको 80C, 80D, 24(b) आदि के तहत कटौती का दावा करने के लिए अपने निवेश (जैसे PPF, ELSS, जीवन बीमा प्रीमियम, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम, होम लोन का ब्याज) के प्रमाण तैयार रखने होंगे।

आधार कार्ड और पैन कार्ड: ये अनिवार्य हैं और सुनिश्चित करें कि आपके सभी व्यक्तिगत विवरण PAN और आधार से मेल खाते हों।

3- फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS/AIS का मिलान करें

अपने फॉर्म 16 में दिए गए TDS विवरण को फॉर्म 26AS और AIS में उपलब्ध जानकारी से क्रॉस-चेक करें।
किसी भी विसंगति को तुरंत ठीक करवाएं, क्योंकि बेमेल होने से नोटिस या देरी हो सकती है।

4- सही ITR फॉर्म चुनें 

ITR-1 (सहज): यह उन वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए है जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है और आय वेतन, एक घर की संपत्ति, अन्य स्रोतों (ब्याज आदि) और ₹5,000 तक की कृषि आय से होती है।

ITR-2: यह उन व्यक्तियों और HUF के लिए है जो ITR-1 दाखिल करने के पात्र नहीं हैं। इसमें कई घर की संपत्ति, पूंजीगत लाभ, विदेशी आय/संपत्ति आदि जैसी जटिल आय वाले व्यक्ति शामिल होते हैं, लेकिन व्यावसायिक आय नहीं होती है।

गलत फॉर्म चुनने से आपका रिटर्न खारिज हो सकता है।

5- सभी आय स्रोतों का खुलासा करें 

वेतन के अलावा, अगर आपकी अन्य आय स्रोत जैसे किराया, पूंजीगत लाभ (शेयरों या संपत्ति की बिक्री से), बैंक खातों पर ब्याज, लाभांश, व्यावसायिक आय आदि हैं, तो उन्हें भी ITR में घोषित करना अनिवार्य है।

यहां तक कि कुछ आय, जिन पर TDS काटा गया है, फिर भी उन्हें ITR में घोषित करना आवश्यक है।

विदेश से अर्जित आय या विदेशी संपत्ति का भी खुलासा करना आवश्यक है।

6- उपलब्ध कटौतियों और छूटों का लाभ उठाएं

अगर  आपने पुरानी टैक्स रिजीम चुनी है, तो आप विभिन्न कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं जैसे:धारा 80C: ₹1.5 लाख तक (PPF, EPF, ELSS, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस आदि)।
धारा 80D: स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए।
धारा 24(b): होम लोन के ब्याज पर।
धारा 80E: शिक्षा ऋण के ब्याज पर।

HRA (हाउस रेंट अलाउंस) और LTA (लीव ट्रैवल अलाउंस): अगर आप किराए के घर में रहते हैं या यात्रा भत्ता मिला है।

सुनिश्चित करें कि आप उन सभी कटौतियों का दावा करें जिनके आप हकदार हैं।

7- बैंक खाते का विवरण 

अपने सभी बैंक खातों का विवरण प्रदान करें (यहां तक कि अगर आपने वित्तीय वर्ष में कोई खाता बंद कर दिया हो)।

उस बैंक खाते को प्राथमिक खाते के रूप में नामित करें जहाँ आप अपना रिफंड प्राप्त करना चाहते हैं।

सुनिश्चित करें कि यह खाता वैध है और प्री-वैलिडेटेड है।

8- रिटर्न को ई-सत्यापित करें 

रिटर्न दाखिल करने के बाद, इसे ई-सत्यापित करना अनिवार्य है। ई-सत्यापन के बिना, आपका रिटर्न अमान्य माना जाएगा।

ई-सत्यापन के कई तरीके हैं, जैसे आधार OTP, नेट बैंकिंग, बैंक ATM आदि।

9- समय पर दाखिल करें 

आयकर रिटर्न दाखिल करने की देय तिथि वित्तीय वर्ष के बाद 31 जुलाई होती है (हालांकि, कुछ मामलों में इसे बढ़ाया जा सकता है, जैसे वर्तमान में AY 2025-26 के लिए इसे 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है)।

समय पर रिटर्न दाखिल न करने पर ₹5,000 तक का जुर्माना लग सकता है और आपको नुकसान को आगे ले जाने (carry forward losses) का लाभ भी नहीं मिल पाएगा।

10-  दाखिल करने से पहले पुनर्विचार करें

सुनिश्चित करें कि आपने सभी जानकारी सही ढंग से भरी है।

किसी भी गलती से बचने के लिए अपने रिटर्न को दोबारा जांचें। गलतियाँ नोटिस या रिफंड में देरी का कारण बन सकती हैं।

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