Industry Budget 2020 Expectations: आर्थिक सुस्ती के बीच उद्योग जगत को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हैं ये उम्मीदें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 30, 2020 03:20 PM2020-01-30T15:20:30+5:302020-01-30T15:22:13+5:30

IMF ने भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को कम कर 4.8 प्रतिशत कर दिया है. उद्योग जगत को इस बजट 2020-21 से काफी उम्मीदे हैं.

Industry Budget 2020 Expectations: In the midst of economic slowdown corporate sector expectations from Finance Minister Nirmala Sitharaman | Industry Budget 2020 Expectations: आर्थिक सुस्ती के बीच उद्योग जगत को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हैं ये उम्मीदें

मारुति प्लांट (एएफपी फोटो)

Highlightsबीमा उद्योग को आम बजट में और टैक्स प्रोत्साहन दिए जाने की उम्मीद है। स्टेनलैस स्टील उद्योग ने सरकार से लौह मिश्रित निकल जैसे कच्चे माल और इस्पात कबाड़ को आयात शुल्क मुक्त करने की मांग रखी है।

भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को लेकर चली मोदी सरकार से उद्योग जगत को बजट 2020-21 से काफी उम्मीदें हैं। उद्योग जगत के विभिन्न सेक्टरों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक अपनी मांगों को पहुंचा दिया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी कह चुके हैं कि एक फरवरी 2002 को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 'कार्य योजना' पेश करेगी। हाल में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाया है।

पिछले साल ही मोदी सरकार ने कम किया था कारपोरेट टैक्स

सितंबर 2019 में मोदी सरकार ने उद्योग जगत में रफ्तार देने के लिए कारपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी किया था। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई हुई है। नवंबर 2019 में मोदी सरकार ने खुद बताया कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिये कारपोरेट कर दरों में कमी के चलते 1,45,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होने के आसार हैं । मोदी सरकार ने 2025 तक 5000 अरब डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। ऐसे में उद्योग जगत ने कई वित्त मंत्री के सामने कई मांगें रखी हैं। 

एलपीजी वाहनों पर जीएसटी घटाये सरकार: उद्योग संगठन

उद्योग संगठन इंडियन आटो एलपीजी कोलिशन (आईएसी) ने स्वच्छ वाहन ईंधन को बढ़ावा देने के लिये ऑटो एलपीजी के साथ-साथ गैस ईंधन के लिये कन्वर्जन किट पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती की मांग की है। वाहनों में ईंधन के रूप में एलपीजी का उपयोग होता है। यह सर्वाधिक स्वच्छ ईंधन में शामिल है जिस पर फिलहाल 18 प्रतिशत की दर से कर लगता है। वहीं ऑटो एलपीजी /सीएनजी कन्वर्जन किट पर यह 28 प्रतिशत है।

बीमा उद्योग टैक्स प्रोत्साहनों की उम्मीद

बीमा उद्योग को आम बजट में और टैक्स प्रोत्साहन दिए जाने की उम्मीद है। उद्योग का मानना है कि बजट में प्रोत्साहनों से जनता के बीच जीवन और साधारण बीमा की पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। जीवन बीमा परिषद ने दिये बजट पूर्व ज्ञापन में व्यक्तिगत आयकर में बीमा के लिये अलग से कटौती प्रावधान किये जाने अथवा मौजूदा डेढ़ लाख रुपये तक की सीमा में बीमा पॉलिसी प्रीमियम पर मिलने वाली छूट का हिस्सा बढ़ाने की मांग की है। जीवन बीमा परिषद के सचिव एस एन भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हम वित्त मंत्री से आग्रह करते हैं कि व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसियों के लिये चुकाये गये प्रीमियम पर आयकर में कटौती के लिये अलग से प्रावधान किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘यदि अलग से कटौती नहीं दी जाती है तो धारा 80सी के तहत मौजूदा 1.5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जाना चाहिए जिसमें बीमा प्रीमियम पर मिलने वाली कटौती को बढ़ाया जाना चाहिये।’

पेंट उद्योग को GST कटौती के बजाय मांग बेहतर बनाने के उपायों की उम्मीद

पेंट उद्योग को केंद्र सरकार से आगामी बजट में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में और कटौती के बजाय उपभोक्ताओं की धारणा तथा मांग को बेहतर बनाने के उपायों की उम्मीद है। पेंट उद्योग की मांग पर अमल करते हुए सरकार ने जुलाई 2018 में जीएसटी की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी थी। बर्जर पेंट्स के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अभिजीत रॉय ने कहा, ‘‘पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था सुस्त हुई है। ऐसे में सरकार को व्यक्तिगत आयकर में प्रोत्साहन तथा बुनियादी संरचना में खर्च के जरिये मांग बढ़ाने और उपभोक्ताओं की धारणा बेहतर बनाने के उपाय करने चाहिये।’’

जैविक खाद्य उद्योग को वृद्धि के लिए बजट में सरकारी सहायता की उम्मीद

जैविक खाद्य की स्टार्ट-अप कंपनी केसरवाला ने सोमवार को इस उद्योग को गति प्रदान करने के लिए आगामी बजट में सरकार से प्रोत्साहन की मांग की है। केसरवाला के संस्थापक, दिवाकर भल्ला और यूसुफ खान ने कहा, ‘‘इस उद्योग को देश में प्रयोगशालाओं की संख्या और प्रमाणिकरण करने वाली प्रयोगशालाओं की संख्या के रूप में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। इससे लागत में कटौती करने में मदद मिलेगी जो फिलहाल महंगी हैं।’’ खान ने कहा, ‘‘जैविक उत्पाद उगाने के उद्देश्य से खेत की जमीन को फिर से तैयार करने के लिए, जो पूरी तरह से रासायनिक मुक्त हों, एक किसान को कम से कम पांच साल इंतजार करना होगा क्योंकि वह जैविक खेती के लिए उससे पहले उस जमीन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। पांच वर्षो के लिए खेत को खाली छोड़ना काफी लंबी अवधि है। यदि सरकार ऐसे किसानों के लिये सब्सिडी की घोषणा कर सकती है, तो उनके लिये यह एक बड़ी मदद होगी।’’

स्टेनलैस स्टील उद्योग की कबाड़ पर शून्य शुल्क करने की मांग

बजट से पहले स्टेनलैस स्टील उद्योग ने सरकार से लौह मिश्रित निकल जैसे कच्चे माल और इस्पात कबाड़ को आयात शुल्क मुक्त करने की मांग रखी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्तवर्ष 2020-21 का आम बजट पेश करने वाली हैं। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इंडियन स्टेनलैस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) ने सरकार को बजट में कुछ सुधारात्मक कदम उठाने के सुझाव दिए हैं। वित्त मंत्रालय को भेजी अपनी सिफारिशों में एसोसिएशन ने सरकार से लौह-निकल जैसे कच्चे माल और इस्पात कबाड़ को शुल्क मुक्त करने की मांग की है। 

इस्पात उद्योग की कोकिंग कोल, पेट कोक जैसे कच्चे माल पर सीमा शुल्क में कटौती की मांग

घरेलू इस्पात उद्योग आगामी आम बजट में महत्वपूर्ण कच्चे माल मसलन कोकिंग कोल, पेट कोक, चूना पत्थर और डोलोमाइट पर मूल सीमा शुल्क में कटौती चाहता है। उद्योग मंडल फिक्की ने घरेलू इस्पात क्षेत्र को लेकर अपनी बजट सिफारिशों में कहा है, ‘‘एंथ्रेसाइट कोयले (पत्थर का कोयला), कोकिंग कोल, कोक, चूना पत्थर और डोलोमाइट इस्पात उद्योग के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल हैं। देश में इनकी गुणवत्ता पूर्ण उपलब्धता घट रही है और उद्योग को नियमित आधार पर इनका आयात करना पड़ता है।’’ एंथ्रेसाइट कोयले पर सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत है। फिक्की ने इस पर सीमा शुल्क की दर को शून्य करने का सुझाव दिया है। 

कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाने पर कर सकती विचार

सरकार देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये आगामी बजट में उर्वरक उद्योग में उपयोग होने वाले कच्चे माल पर आयात शुल्क में कटौती पर विचार कर सकती है। सूत्रों के अनुसार डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) में उपयोग होने वाला रॉक फास्फेट और सल्फर जैसे कच्चे माल पर कम आयात शुल्क से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और आयात बिल में कमी आएगी। फिलहाल ऐसे आयात पर शुल्क 5 प्रतिशत है और देश अपनी कुल डीएपी जरूरत का करीब 95 प्रतिशत वैश्विक बाजारों से आयात करता है। वहीं यूरिया की कुल जरूरत का करीब 30 प्रतिशत आयात किया जाता है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान देश में कच्चे और तैयार उर्वरक का आयात 8.47 प्रतिशत बढ़कर 6.2 अरब डॉलर का रहा। 

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