बुरे दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था, भारी नुकसान, फिच रेटिंग्स ने कहा-10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 8, 2020 01:23 PM2020-09-08T13:23:05+5:302020-09-08T14:04:33+5:30

फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा। हालांकि, इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार सुस्त और असमान रहेगी।’’

India's GDP will plummet by 10.5% this fiscal year forecasts Fitch Ratings | बुरे दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था, भारी नुकसान, फिच रेटिंग्स ने कहा-10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान

जून में जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमान को पांच प्रतिशत बढ़ाया गया है।

Highlightsमहामारी की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन लगाया गया था। इसे अर्थव्यवस्था में गिरावट की एक बड़ी वजह माना जा रहा है।हमने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया है। फिच ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था।

नई दिल्लीः फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है। रेटिंग एजेंसी ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया।

इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था। फिच ने कहा कि देश में कोविड-19 संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इसके चलते देश के विभिन्न हिस्सों में टुकड़ों में लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से है। हालांकि, फिच का मानना है कि अर्थव्यवस्था अब खुल रही है, जिससे जुलाई-सितंबर की तिमाही में इसमें उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही उसने कहा कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार सुस्त और असमान रहेगी।

सबसे अधिक मंदी भारत, ब्रिटेन और स्पेन जैसे देशों में देखने को मिल रही है

वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर अपने सितंबर के अपडेट में फिच ने कहा कि सबसे अधिक मंदी भारत, ब्रिटेन और स्पेन जैसे देशों में देखने को मिल रही है। फिच ने कहा कि इन देशों में लॉकडाउन काफी सख्त और लंबा (अप्रैल-जून) रहा है। इन देशों के खुदरा और अन्य क्षेत्रों में आवाजाही सबसे अधिक प्रभावित रही है।

फिच ने कहा कि लघु और मध्यम अवधि में कई चुनौतियों हैं जिनसे वृद्धि में सुधार रुका हुआ है। फिच ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसकी वजह से कुछ राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अंकुशों को फिर से सख्त करना पड़ा है। महामारी के लगातार फैलने तथा देशभर में छिटपुट बंदी की वजह से धारणा कमजोर हुई है और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।’’ रेटिंग एजेंसी ने कहा कि गतिविधियों में भारी गिरावट से परिवारों और कंपनियों की आय भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।

वित्तीय समर्थन भी सीमित रहा

इस दौरान वित्तीय समर्थन भी सीमित रहा है। इसके साथ ही वित्तीय क्षेत्र की संपत्ति की गुणवत्ता नीचे आ रही है, जिससे बैकों के कमजोर पूंजी बफर के बीच ऋण प्रावधान पर असर पड़ेगा। फिच ने कहा कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने से परिवारों की आय पर दबाव बढ़ा है और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है। उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से कीमतें बढ़ रही हैं। हालांकि, उसका अनुमान है कि कमजोर मांग, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं समाप्त होने तथा मानसून अच्छा रहने से मुद्रास्फीति नीचे आएगी।

फिच ने कहा, ‘‘हमने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया है। जून में जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमान को पांच प्रतिशत अंक बढ़ाया गया है। हमारा अनुमान है कि हमारे वायरस पूर्व के अनुमान की तुलना में 2022 की शुरुआत तक गतिविधियों में करीब 16 प्रतिशत की गिरावट आएगी।’’ फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी जुलाई-सितंबर की तिमाही में जीडीपी में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

तीसरी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में अर्थव्यवस्था 4.8 प्रतिशत नीचे आएगी। वहीं जनवरी-मार्च की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रहेगी। फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी। 2022-23 में अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।

इस बीच, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भी मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर -11.8 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले इंडिया रेटिंग्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 5.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था।

फिच ने कहा कि चीन को छोड़कर अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह महामारी काफी तेजी से फैल रही है। इस समय कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामले ब्राजील, रूस और भारत जैसे देशों में हैं। फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था दो अंकीय वृद्धि दर्ज करेगी। इसकी मुख्य वजह पिछले वित्त वर्ष का आधार प्रभाव होगा। फिच ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च, 2022 से पहले महामारी से पूर्व का स्तर हासिल नहीं कर पाएगी।’’

जापान की अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही में 28.1 प्रतिशत की रिकॉर्ड गिरावट 

जापान की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून की दूसरी तिमाही में रिकॉर्ड गिरावट आई है। अर्थव्यवस्था में यह गिरावट शुरुआती अनुमान से कहीं अधिक रही है। कैबिनेट कार्यालय ने मंगलवार को कहा कि जापान के समायोजित वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में सालाना आधार पर 28.1 प्रतिशत की गिरावट आई है।

यह आंकड़ा पिछले महीने दिए गए 27.8 प्रतिशत के अनुमान से भी अधिक रहा है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से लोगों को अपने घर पर रहने को मजबूीर होना पड़ा है। महामारी के चलते रेस्तरां और स्टोर बंद है। यात्रा और पर्याटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं इससे बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। लेकिन निर्यात पर निर्भर जापानी अर्थव्यवस्था को इस महामारी से अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चोट लगी है। जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने जा रहे हैं। अब देश नया नेता चुनने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में नए प्रधानमंत्री के समक्ष देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। 

Web Title: India's GDP will plummet by 10.5% this fiscal year forecasts Fitch Ratings

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे