RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा- विदेशी मुद्रा भंडार में 9.2 बिलियन डॉलर की हुई बढ़ोतरी, लेकिन कोरोना से अर्थव्यवस्था को हुआ भारी नुकसान
By रामदीप मिश्रा | Published: May 22, 2020 10:51 AM2020-05-22T10:51:43+5:302020-05-22T10:56:25+5:30
आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण निजी उपभोग को सबसे ज्यादा झटका लगा है और निवेश की मांग रुक गई है। साथ ही साथ आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
नई दिल्लीः कोरोना वायरस के फैले प्रकोप के चलते देश में लगाया गया चौथी बार लॉकडाउन के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह प्रेस ब्रीफिंग की है, जिसमें बताया कि रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट कम किया गया है। साथ ही साथ उन्होंने कहा है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। बता दें, इससे पहले भी लॉकडाउन में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास दो बार प्रेस ब्रीफिंग कर चुके हैं।
शक्तिकांत दास ने कहा, '2020-21 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार 9.2 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी 487 बिलियन डॉलर का है। वही, भारत की जीडीपी ग्रोथ 2020-21 में निगेटिव रहने का अनुमान है। हालांकि साल के दूसरे हिस्से में ग्रोथ में कुछ तेजी दिख सकती है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के वजह से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है। एमपीसी ने रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया है। रेपो रेट 4.4% से घटकर 4% हो गई। वहीं, रिवर्स रेपो रेट घटकर 3.35% हो गई है।
RBI गवर्नर ने कहा कि मांग और उत्पादन में कमी आई है। अप्रैल महीने में निर्यात में 60.3 % की कमी आई है। मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 17 फीसदी की कमी दर्ज की गई है और कोर इंडस्टिरीज के आउटपुट में 6.5% की कमी हुई है और मैन्युफेक्चरिंग में 21 फीसदी की गिरावट हुई है।
India's foreign exchange reserves have increased by 9.2 billion during 2020-21 from 1st April onwards. So far, up to 15th May, foreign exchange reserves stand at 487 billion US dollars: Reserve Bank of India (RBI) Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/lZGidaO7WO
— ANI (@ANI) May 22, 2020
आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण निजी उपभोग को सबसे ज्यादा झटका लगा है और निवेश की मांग रुक गई है। साथ ही साथ आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मुद्रास्फीति की स्थिति बेहद अनिश्चित है। दालों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी चिंताजनक विषय है ।आयात शुल्क की समीक्षा की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मुख्य मु्द्रास्फीति की दर पहली छमाही में तेज रह सकती है, दूसरी छमाही में इसमें नरमी आएगी, वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी/ चौथी तिमाही में ये चार प्रतिशत से नीचे रह सकती है।