भारत की शीर्ष सीमेंट निर्माता कंपनी 'अल्ट्राटेक' रूसी कोयले की खरीद के लिए चीनी युआन में कर रही भुगतान, जानें क्या है पूरा मामला
By विनीत कुमार | Published: June 29, 2022 10:28 PM2022-06-29T22:28:54+5:302022-06-29T22:30:17+5:30
'अल्ट्राटेक सीमेंट' (UltraTech Cement) कंपनी चीनी मुद्रा युआन का उपयोग करके भुगतान करते हुए रूसी कोयले का एक कार्गो आयात कर रही है। आखिर क्या है पूरा मामला, जानिए...
नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी सीमेंट उत्पादक कंपनी 'अल्ट्राटेक सीमेंट' (UltraTech Cement) चीनी मुद्रा युआन का उपयोग करके भुगतान करते हुए रूसी कोयले का एक कार्गो आयात कर रही है। अल्ट्राटेक कंपनी दरअसल रूसी उत्पादक एसयूईके (SUEK) से 157,000 टन कोयला ला रही है, जो रूस के सुदूर पूर्वी बंदरगाह वैनिनो से थोक वाहक एमवी मैंगास पर लोड किया गया है।
समाचार एजेंसी रायटर्स की एक्स्क्लूसिव रिपोर्ट में बताया गया है कि उसे एक भारतीय सीमा शुल्क दस्तावेज के हवाले से ये जानकारी मिली है। रिपोर्ट के अनुसार ये भुगतान का एक बेहद दुर्लभ तरीका है और व्यापारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में ये और प्रचलन में आ सकता है। दस्तावेज के अनुसार इसमें 5 जून के एक चालान का जिक्र है जिसमें कार्गो का मूल्य 172,652,900 युआन (25.81 मिलियन डॉलर/ करीब दो अरब रुपये) है।
इस मामले को जानने वाले दो व्यापार सूत्रों ने कहा कि कार्गो का प्रबंध एसयूईके (SUEK) की दुबई की इकाई द्वारा किया गया था। सूत्र ने बताया कि कुछ अन्य कंपनियों ने भी युआन में भुगतान का उपयोग करके रूसी कोयले के लिए ऑर्डर दिए हैं।
रूस पर प्रतिबंध के बाद ऐसे ट्रेंड बढ़ने की संभावना
माना जा रहा है कि रूसी कंपनियों के भुगतान के लिए युआन के बढ़ते उपयोग से मॉस्को को यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव से बचाने में मदद मिल सकती है। साथ ही इससे वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम करने और चीनी मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने में बीजिंग को मदद मिल सकती है।
न्यूज एजेंसी के अनुसार सूत्रों ने अपनी पहचान सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। अल्ट्राटेक और एसयूईके ने भी फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं दी है।
वहीं, सिंगापुर के एक करेंसी ट्रेडर ने कहा, 'यह बेहद अहम है। मैंने अपने करियर के पिछले 25 सालों में किसी भी भारतीय इकाई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए युआन में भुगतान करते नहीं सुना है। यह मूल रूप से अमेरिकी डॉलर को दरकिनार कर रहा है।'
रिपोर्ट के अनुसार यह डील इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि कैसे भारत ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद तेल और कोयले जैसी वस्तुओं के लिए रूस के साथ व्यापार संबंध जारी रखा है। भारत के रूस के साथ लंबे समय से राजनीतिक और सुरक्षा संबंध हैं और भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले की सीधी निंदा करने से हमेशा परहेज किया है।
हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि किस बैंक ने अल्ट्राटेक के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट दिया और SUEK के साथ लेनदेन कैसे किया गया। SUEK से इस संबंध में टिप्पणी मांगी गई है पर उसकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इस बीच शिप-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, कैरियर मैंगास (Mangas) अभी भारतीय बंदरगाह कांडला के पास है।
भारत-चीन-रूस व्यापार
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने रूस के साथ व्यापार के लिए रुपये से भुगतान की संभावना तलाशी है, लेकिन यह अमल में नहीं आ सका है। वहीं, चीनी व्यापारी कई सालों से रूस के साथ ट्रेड में युआन का उपयोग करते आए हैं।
पूरे मामले पर दो वरिष्ठ भारतीय बैंकरों ने बताया कि युआन का उपयोग करने वाले भारतीय व्यापारियों को पैसे के निपटान के लिए संभवत: डॉलर्स को चीन या हांगकांग में शाखाओं को भेजना पड़ा होगा और उसे युआन से बदला गया होगा।
गौरतलब है कि चीन के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार के लिए कंपनियां बड़े पैमाने पर डॉलर में भुगतान करती हैं। आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद इनके बीच व्यापार फला-फूला है। हालांकि भारत ने चीनी निवेश और आयात पर अपनी जांच और पैनी नजर जरूर बढ़ा दी है। हाल के दिनों में सुरक्षा चिंताओं को लेकर कुछ मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध भी लगाया गया है।
वहीं, मामले से परिचित भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार को युआन में भुगतान के बारे में पता है। अधिकारी ने कहा, 'चीन के अलावा अन्य देशों से आयात के भुगतान के लिए युआन का उपयोग अब तक दुर्लभ था, लेकिन रूस पर प्रतिबंधों के कारण ये बढ़ सकता है।'