India Rich List 2020: कोरोना से प्रभावित साल में ये हैं भारत के 10 सबसे अमीर शख्स, आम लोगों पर बेरोजगारी की मार
By विनीत कुमार | Published: December 24, 2020 10:26 AM2020-12-24T10:26:32+5:302020-12-24T11:58:17+5:30
कोरोना संक्रमण का असर भारत में भी नजर आया। एक ओर जहां कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तो वहीं लॉकडाउन के बाद करोड़ों लोगों के रोजगार पर असर पड़ा। इन सबके बीच कई ऐसे उद्योगपति भी रहे जिनकी संपत्ति में इस साल इजाफा हुआ। भारत के साल 2020 के 10 शीर्ष अमीर शख्स कौन रहे, यहां देखें पूरी लिस्ट।
साल 2020 पूरी दुनिया के लिए हाल-फिलहाल के सबसे बुरे अनुभव की तरह साबित हुआ। कोरोना वायरस संक्रमण का कहर ऐसा बरपा कि सबकुछ ठप हो गया। दुनिया भर में लाखों लोग इस महामारी की भेंट चढ़ गए, कई लोगों की नौकरी चली गई और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।
वहीं, इसी महामारी के प्रकोप के बीच एक सच्चाई ये भी है कि दुनिया भर में अरबपतियों की तिजोरी में कोई खास कमी नहीं आई। अलबत्ता कई मामलों में तो इसमें इजाफा ही दर्ज किया गया। भारत के सबसे धनी व्यक्तियों की लिस्ट को भी देखें तो लगभग यही ट्रेंड हावी है।
ये साल अब गुजरने वाला है। ऐसे में नजर डालते हैं कि इस साल के आखिर तक भारत के सबसे धनी व्यक्तियों की लिस्ट में कौन कहा है। साथ ही इस पहलू पर भी नजर डालेंगे कि इसी दौर में भारत में बेरोजगारी और पलायन से जुड़े ताजा आंकड़े क्या कहते हैं।
India Rich List 2020: मुकेश अंबानी भारत में सबसे अमीर
रिलायंस इंडस्ट्रिज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी इस लिस्ट में सबले ऊपर हैं। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स की लिस्ट के अनुसार उनकी कुल संपत्ति या नेट वर्थ 74.4 बिलियन डॉलर (5.5 लाख करोड़) है। ये लगातार 13वां साल है जब मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शीर्ष पर हैं।
कोरोना महामारी के इस दौर में अंबानी इसी साल एक समय दुनिया के शीर्ष छह सबसे धनी लोगों की लिस्ट में पहुंच गए थे। हालांकि, हाल में वे गिरकर 11वें नंबर पर खिसक गए। रिलांयस के जियो प्लेटफॉर्म और रिलायंस रिटेल में इस साल फेसबुक, गूगल सहित केकेआर, सिल्वर लेक और मुबाडाला जैसी दिग्गज कंपनियों के निवेश ने मुकेश अंबानी की दौलत में बढ़ोतरी की।
वहीं, दूसरे नंबर पर गौतम अडानी हैं। ताजा आंकड़े के अनुसार उनका नेट वर्थ करीब 26.5 बिलियन डॉलर है। इसके अलावा तीसरे नंबर पर HCL के फाउंडर शिव नादर (21.7 अरब डॉलर) और चौथे स्थान पर DMart के फाउंडर राधाकृष्ण दमानी (18.9 अरब डॉलर) हैं। फोर्ब्स के अनुसार अडानी सहित शिव नादर और दमानी के नेटवर्थ में भी इस साल इजाफा हुआ है।
कोरोना के कारण वैक्सीन की चर्चा इस साल खूब रही और ऐसे में सीरम इंस्टट्यूट के संस्थापक साइरस पूनावाला की संपत्ति में भी अच्छा उछाल आया। भारत के सबसे अमीर लोगों की टॉप 10 लिस्ट में न केवल शामिल हुए बल्कि ताजा आंकड़े के मुताबिक सातवें स्थान पर भी पहुंच गए।
सबसे अमीर | संपत्ति (बिलियन डॉलर) | इंडस्ट्री |
मुकेश अंबानी | 74.4 | रिलायंस इंडस्ट्रीज |
गौतम अडानी | 26.5 | अडानी पोर्ट्स और एसईजेड |
शिव नादर | 21.7 | HCL टेक्नोलॉजीज |
राधाकिशन दमानी | 18.9 | एवेन्यू सुपरमार्ट्स |
उदय कोटक | 15.8 | कोटक महिंद्रा बैंक |
लक्ष्मी मित्तल | 14.2 | आर्सेलर मित्तल |
साइरस पूनावाला | 11.4 | सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया |
सुनील मित्तल और परिवार | 10.1 | भारती एयरटेल |
कुमार बिड़ला | 9.5 | आदित्य बिड़ला ग्रुप |
दिलीप शांघवी | 9.4 | सन फार्मा |
किसके पैसे इस साल कितने बढ़े
फोर्ब्स की अक्टूबर तक की लिस्ट के अनुसार मुकेश अंबानी के नेट वर्थ में 37.3 अरब डॉलर का इस साल इजाफा हुआ। ऐसे ही अडानी की संपत्ति में 61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, साइरस पूनावाला की संपत्ति में भी 26 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
कोरोना के कारण पर्यटन भले ही बुरी तरह प्रभावित हुआ लेकिन अडानी ने मुंबई एयरपोर्ट में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी और उनकी योजना अन्य एयरपोर्ट पर भी अपना नियंत्रण बढ़ाने की है।
कोरोना के दौर में भारत में कहां पहुंची बेरोजगारी
एक और जहां कई बड़े बिजनेस घरानों की संपत्ति में कोरोना महामारी के बावजूद अच्छी-खासी वृद्धि हुई है तो वहीं दूसरी ओर भारत में बेरोजगारी और पलायन से जुड़ी परेशानियां भी इस साल उभर कर सामने आईं।
कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन का व्यापक असर नजर आया। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार लॉकडाउन हटने बाद रोजगार की स्थिति में सुधार पिछले कुछ महीनों में नजर आए थे लेकिन नवंबर में फिर इसमें गिरावट आई।
नवंबर का महीना लगातार दूसरा ऐसा महीना रहा जब रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या में कमी दर्ज की गई। सीएमआईई के अनुसार जहां अक्टूबर में जहां रोजगार पाने वालों की दर में 0.1 प्रतिशत की गिरावट रही तो वहीं नवंबर में ये आंकड़ा बढ़कर 0.9 प्रतिशत हो गया।
कोरोना लॉकडाउन के बाद कैसे बन गए थे हालात
इस साल मार्च के आखिरी हफ्ते में लॉकडाउन की घोषणा के बाद मई में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल अप्रैल में 12.2 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। सीएमआई की उस समय की रिपोर्ट बताती है कि भारत में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड उच्चतम स्तर 27.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
भारत में आधिकारिक तौर पर बेरोजगारी की संख्या को सार्वजनिक नहीं किया जाता लेकिन सीएमआईई का डाटा बहुत हद तक इस संबंध में संकेत देता है। भारत में एक महीने में तब बेरोजगार हुए 12.2 करोड़ लोगों में 9 करोड़ लोग छोटे व्यापारी और मजदूर थे। वहीं, 1.7 करोड़ सैलरी कामगार सहित 1.8 करोड़ वैसे लोगों को भी कामकाज बंद करना पड़ा जो अपना रोजगार करते थे।
गौरतलब है कि ये सबकुछ बाद में प्रवासी मजदूरों के घर लौटते तस्वीरों के साथ भी नजर आया था। वहीं, जीडीपी में भी अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी। वहीं जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 7.5 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जता चुका है।