आईएलएण्डएफएस मामला: सेबी ने तीन रेटिंग एजेंसियों पर जुर्माना बढ़ाकर किया एक-एक करोड़, जानिए मामला

By भाषा | Published: September 23, 2020 02:07 PM2020-09-23T14:07:13+5:302020-09-23T14:07:13+5:30

बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर 2019 में इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

IL&FS case SEBI hikes fine by Rs 1 crore on three rating agencies | आईएलएण्डएफएस मामला: सेबी ने तीन रेटिंग एजेंसियों पर जुर्माना बढ़ाकर किया एक-एक करोड़, जानिए मामला

जर्माना लगाने का दूसरी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को नुकसान हो सकता है जिन्होंने कानून का पूरी तरह से अनुपालन किया। (file photo)

Highlightsआईएलएफएस में नकदी संकट सामन आने के बाद से ही कंपनी और उससे जुड़ी इकाइयों पर विभिन्न नियामकों की निगाह बनी हुई है। रेटिंग कंपनियों की ‘उदासीनता, ढीलेपन और टालमटोल वाले रवैये के चलते’ आईएलएफएस में भुगतान संकट खड़ा हुआ। नियामक ने कहा कि इससे कार्पोरेट रिण बाजार में क्रेडिट रेटिंग को लेकर निवेशकों के विश्वास को गहरा झटका पहुंचाया है।

नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आईएलएण्डएफएस के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर की ऋण साख तय करते समय कोताही बरतने के मामले में रेटिंग एजेंसियों इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स पर जुर्माना बढ़ाकर एक-एक करोड़ रुपये कर दिया।

विविध कारोबार करने वाली ‘इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस’ (आईएल एण्ड एफएस) में वर्ष 2018 में संकट सामने आया। सरकार ने स्थिति की गंभीरता को भांपते हुये कंपनी के निदेशक मंडल को हटाकर नये हाथों में सौंप दिया था।

आईएलएफएस में नकदी संकट सामन आने के बाद से ही कंपनी और उससे जुड़ी इकाइयों पर विभिन्न नियामकों की निगाह बनी हुई है। बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर 2019 में इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

टालमटोल वाले रवैये के चलते आईएलएफएस में भुगतान संकट खड़ा हुआ

सेबी का कहना था कि रेटिंग कंपनियों की ‘उदासीनता, ढीलेपन और टालमटोल वाले रवैये के चलते’ आईएलएफएस में भुगतान संकट खड़ा हुआ। कई विशेषज्ञों ने कहा कि सेबी ने रेटिंग एजेंसियों के रवैये को लेकर उन्हें जोरदार लताड़ लगाई है लेकिन जब बात जुर्माने की आई तो उसमें वह परिलक्षित नहीं होती है।

सेबी ने निर्णय अधिकारी (एओ) के आदेश की जांच की और पाया कि एओ द्वारा लगाया गया जुर्माना रेटिंग एजेंसियों के उल्लंघन से बाजार पर पड़े व्यापक प्रभाव के अनुरूप नहीं है। इसी दृष्टिकोण के साथ सक्षम प्राधिकारी ने एओ के निर्णय की समीक्षा की अनुमति दे दी। इसके बाद सेबी ने रेटिंग एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे पूछा कि उनके ऊपर जुर्माना क्यों नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

सेबी ने मंगलवार को जारी तीन अलग-अलग आदेशों में कहा कि इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स की ओर से आईएलएण्डएफएस और उसकी अनुषंगी आईएलएफएस फाइनेंशियल सर्विसेस (आईएफआईएन) की प्रतिभूतियों की रेटिंग तय करने में बरती गई कोताही के कारण निवेशकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

क्रेडिट रेटिंग को लेकर निवेशकों के विश्वास को गहरा झटका पहुंचाया

नियामक ने कहा कि इससे कार्पोरेट रिण बाजार में क्रेडिट रेटिंग को लेकर निवेशकों के विश्वास को गहरा झटका पहुंचाया है। इसके चलते सेबी ने तीनों कंपनियों पर जुर्माने को बढ़ाकर एक-एक करोड़ रुपये कर दिया। सेबी ने कहा कि इन रेटिंग एजेंसियों पर हल्का जर्माना लगाने का दूसरी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को नुकसान हो सकता है जिन्होंने कानून का पूरी तरह से अनुपालन किया।

उसने कहा, ‘‘बोर्ड को बाजार की सत्यनिष्टा की सुरक्षा की जरूरत है। जब इतने बड़े पैमाने पर घोटाला होता है, जो कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिये बनाये गये नियामकीय और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है और उसके लिये चुनौती बनता है, तब यह अहम हो जाता है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के आचरण की सख्त जांच होनी चाहिये और जुर्माना बढ़ाकर निवेशकों के विश्वास को बहाल किया जाना चाहिये।’’ 

सेबी ने डीएचएफएल के 12 प्रवर्तकों पर शेयर बाजार में कारोबार करने पर लगायी रोक

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएलएल) के 12 प्रर्वतकों के शेयर बाजार में काम करने पर रोक लगा दी है। उन पर यह रोक बाजार नियमों के उल्लंघन के चलते लगायी गयी है। बाजार नियामक सेबी ने कहा कि अप्रैल 2006 से मार्च 2019 के बीच डीएचएफएल के प्रवर्तकों द्वारा किए गए उल्लंघन काफी गंभीर प्रवृत्ति के हैं।

इस धोखाधड़ी में संलिप्त धन भी काफी ज्यादा है। सेबी ने पाया कि इस अवधि में कंपनी ने बांडों के माध्यम से 24,000 करोड़ रुपये जुटाए। जबकि कंपनी के ऑडिटर ने वित्त वर्ष 2007 से 2019 की अवधि में कंपनी की वित्तीय जानकारियों पर भरोसा करने को लेकर संदेह जताया है। सेबी ने उनके बाजार में कामकाज करने के साथ-साथ किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रवर्तक बनने या सेबी से संबद्ध किसी मध्यस्थ से जुड़ने पर भी रोक लगा दी है।

इनमें कपिल वाधवान, धीरज वाधवान, राकेश कुमार वाधवान, सारंग वाधवान, अरुणा वाधवान, मालती वाधवान, अनु एस. वाधवान, पूजी डी. वाधवान, वाधवान होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड, वाधवान रिटेल वेंचर प्राइवेट लिमिटेड और वाधवान ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड शामिल हैं। नवंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने डीएचएफएल के खिलाफ कॉरपोरेट ऋण शोधन प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन किया था। इस राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की मुंबई शाखा ने स्वीकार कर लिया। 

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