डिजिटल मुद्रा क्रिप्टोकरेंसीः जानिए दुनिया भर के देशों में कैसे नियंत्रित किया जाता है?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 25, 2021 06:49 PM2021-11-25T18:49:55+5:302021-11-25T19:01:09+5:30

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति दिये जाने के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किये थे और कहा था कि ये वित्तीय प्रणाली के लिये गंभीर खतरा है।

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वर्तमान में भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कोई विनियमन या प्रतिबंध नहीं है।

Highlightsपूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि इस समय मौजूद 6,000 क्रिप्टोकरंसी में से 'कुछ ही' आगे बनी रहेंगी।इसका उपयोग भुगतान में किया जा सकता है।क्या हमें भुगतान करने के लिए वास्तव में 6,000 क्रिप्टोकरेंसी की जरूरत है?

नई दिल्लीः संसद शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है। इसमें निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने तथा रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को विनियमित करने के लिये ढांचा तैयार करने की बात कही गयी है।

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किये जाने वाले विधेयकों की सूची में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सूचीबद्ध है। इस विधेयक में भारतीय रिजर्ब बैंक द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के सृजन के लिये एक सहायक ढांचा सृजित करने की बात कही गयी है।

यह डिजिटल टोकन है। समान खरीद सकते हैं। मुनाफे के लिए लेन-देन कर सकते हैं। दुनिया के दो देश अल साल्वाडोर और क्यूबा में कानूनी लेन-देन का जरिया है। क्रिप्टो का आधार है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी।क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत साल 2009 में हुई थी। दुनियाभर में करीब 1000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी हैं।

अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में लेन-देन की मंजूरी देते हैं। रूस और चीन इसकी मंजूरी नहीं देते हैं। चीन ने इस साल के शुरू में सभी क्रिप्टो लेन-देन पर एकतरफा प्रतिबंध लगा दिया। भारत में आरबीआई ने 2018 में प्रतिबंध लगा दिया था। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ में चर्चा जारी है। भारत जैसे देश कहीं बीच में हैं। कनाडा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण विनियमों के माध्यम से आभासी मुद्रा को परिभाषित करता है।

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि इस समय मौजूद 6,000 क्रिप्टोकरंसी में से 'कुछ ही' आगे बनी रहेंगी। राजन ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सनक की 17 वीं शताब्दी में नीदरलैंड में ट्यूलिप फूल को लेकर दीवानगी से तुलना करते हुए कहा कि लोग दो कारणों से क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं - एक कि यह एक संपत्ति है जिसका मूल्य बढ़ सकता है ओर मुद्रा के रूप में इसे रखा जा सकता है और दूसरा, इसका उपयोग भुगतान में किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, "क्या हमें भुगतान करने के लिए वास्तव में 6,000 क्रिप्टोकरेंसी की जरूरत है? एक या दो, (क्रिप्टोकरेंसी) शायद मुट्ठी भर हो सकती हैं, जो भुगतान में इस्तेमाल के लिए आगे बनी रहें, भले ही यह तकनीक इतनी उपयोगी है कि यह नकदी और मुद्रा का विकल्प हो सकती है।"

क्रिप्टो करेंसी उद्योग ने सरकार से भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दृष्टिकोण अपनाने की अपील की और देश में निवेशकों को शांत रहने तथा जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के लिए कहा। आसन्न प्रतिबंध या प्रतिबंध के डर से क्रिप्टो धारकों द्वारा घबराहट थी। वर्तमान में भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कोई विनियमन या प्रतिबंध नहीं है।

बाय-यूक्वाइन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) शिवम ठकराल ने कहा कि कंपनी उम्मीद करती है कि विधेयक भारतीय क्रिप्टो धारकों, भारतीय क्रिप्टो उद्यमियों और निवेशकों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखेगा, जिन्होंने भारत में क्रिप्टो करेंसी के विकास में अपना विश्वास रखा है।

इस प्रस्तावित विधेयक में भारत में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की बात कही गयी है। हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है।

मूल्य का एक डिजिटल प्रतिनिधित्व, जिसका उपयोग भुगतान या निवेश के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जो कि फिएट मुद्रा नहीं है और जिसे फंड के लिए या किसी अन्य आभासी मुद्रा के लिए आसानी से एक्सचेंज किया जा सकता है।

क्रिप्टोग्राफिक प्रणाली की एक निजी कुंजी जो किसी व्यक्ति या इकाई को पैराग्राफ (ए) में संदर्भित मूल्य के डिजिटल प्रतिनिधित्व तक पहुंचने में सक्षम बनाती है। इस साल जून में थॉमसन रॉयटर्स इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा क्रिप्टो के शुरुआती अपनाने वालों में से एक रहा है।

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