GST anti-profiteering regime: जीएसटी मुनाफा रोधी व्यवस्था 1 अप्रैल, 2025 से खत्म?, सरकार ने जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी पर लगाम लेकर अधिसूचना जारी किया...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2024 05:33 PM2024-10-01T17:33:36+5:302024-10-01T17:34:28+5:30
GST anti-profiteering regime: सरकार के जीएसटी नीति प्रकोष्ठ ने एक और अधिसूचना में कहा कि साथ ही एक अक्टूबर से मुनाफाखोरी-रोधी प्रावधानों के तहत सभी लंबित शिकायतों का भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के बजाय जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की प्रधान पीठ निपटान करेगी।
GST anti-profiteering regime: जीएसटी मुनाफा-रोधी व्यवस्था एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी नहीं रहेगी। सरकार ने जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने से जुड़े उपबंध को समाप्त करने की तिथि एक अप्रैल, 2025 अधिसूचित की है। सरकार के जीएसटी नीति प्रकोष्ठ ने एक और अधिसूचना में कहा कि साथ ही एक अक्टूबर से मुनाफाखोरी-रोधी प्रावधानों के तहत सभी लंबित शिकायतों का भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के बजाय जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की प्रधान पीठ निपटान करेगी। ये अधिसूचनाएं जीएसटी परिषद की सिफारिशों के अनुरूप हैं।
परिषद ने 22 जून को अपनी 53वीं बैठक में जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी-रोधी उपबंध समाप्त करने तथा मुनाफाखोरी-रोधी मामले जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ द्वारा देखे जाने के लिए केंद्रीय जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 171 और धारा 109 में संशोधन करने की सिफारिश की थी।
परिषद ने मुनाफाखोरी-रोधी किसी भी नए आवेदन की प्राप्ति के लिए एक अप्रैल, 2025 की अंतिम तिथि की भी सिफारिश की थी। जीएसटी नीति प्रकोष्ठ की अधिसूचना का मतलब यह है कि उपभोक्ता एक अप्रैल, 2025 से जीएसटी दर में कटौती का लाभ नहीं देने वाली कंपनियों के खिलाफ मुनाफाखोरी के बारे में शिकायत दर्ज नहीं कर पाएंगे।
हालांकि, एक अप्रैल, 2025 से पहले दायर की गई शिकायतों को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने तक जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ ऐसे मामलों को देखेगा। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, ‘‘...केंद्र सरकार माल और सेवा कर परिषद की सिफारिशों के आधार पर एक अप्रैल, 2025 की तिथि निर्धारित करती है।
इस तिथि से संबंधित प्राधिकरण मुनाफखोरी-रोधी से जुड़े मामले की जांच को लेकर कोई अनुरोध स्वीकार नहीं करेंगे...।’’ लेखा कंपनी मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि यह समयसीमा कंपनियों, सरकार और उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
क्योंकि जीएसटी की शुरुआत के बाद पहली बार बाजार की ताकतें बड़े पैमाने पर कीमतें निर्धारित करेंगी, जो मुनाफा-रोधी नियमों की निगरानी से मुक्त होंगी। मोहन ने कहा, ‘‘इस बदलाव के पीछे का इरादा मुनाफाखोरी-रोधी जांच के दायरे को कम करके जीएसटी अनुपालन को सरल बनाना लगता है। इस कदम से अधिक गतिशील मूल्य निर्धारण परिवेश की शुरुआत होगी।
इससे कंपनियों को बाजार की मांग के अनुसार अपनी मूल्य निर्धारण रणनीतियों को समायोजित करने के लिए बेहतर व्यवस्था मिलेगी।’’ एकेएम ग्लोबल के कर भागीदार संदीप सहगल ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य सीसीआई पर बोझ को कम करके दक्षता बढ़ाना और जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के कर-विशिष्ट व्यवस्था के तहत मामलों का समाधान सुनिश्चित करना है। भाषा रमण अजय अजय