राजस्व कमी को दूर करने के लिये कई वस्तुओं पर बढ़ सकती है जीएसटी की दरें, स्लैब में भी बदलाव की उम्मीद

By भाषा | Published: December 11, 2019 05:26 PM2019-12-11T17:26:34+5:302019-12-11T17:26:34+5:30

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगले सप्ताह 18 दिसंबर को बैठक होने वाली है। जीएसटी के सभी फैसले जीएसटी परिषद में ही लिये जाते हैं। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि जीएसटी संग्रह उम्मीद से कम रहा है और कई राज्यों का मुआवजा भी लंबित है।

GST rates may increase on many items to overcome revenue shortage, slab expected to change | राजस्व कमी को दूर करने के लिये कई वस्तुओं पर बढ़ सकती है जीएसटी की दरें, स्लैब में भी बदलाव की उम्मीद

राजस्व कमी को दूर करने के लिये कई वस्तुओं पर बढ़ सकती है जीएसटी की दरें, स्लैब में भी बदलाव की उम्मीद

Highlights जीएसटी संग्रह उम्मीद से कम रहा है और कई राज्यों का मुआवजा भी लंबित है। राज्य उन्हें जल्द से जल्द इसकी भरपाई किये जाने की मांग कर रहे हैं।

माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में जीएसटी की दर और स्लैब में बड़ा बदलाव हो सकता है। जीएसटी की अब तक की राजस्व वसूली संतोषजनक नहीं रही है। इसकी वजह से केन्द्र तथा राज्यों की राजस्व वसूली काफी दबाव में आ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगले सप्ताह 18 दिसंबर को बैठक होने वाली है। जीएसटी के सभी फैसले जीएसटी परिषद में ही लिये जाते हैं। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि जीएसटी संग्रह उम्मीद से कम रहा है और कई राज्यों का मुआवजा भी लंबित है।

राज्य उन्हें जल्द से जल्द इसकी भरपाई किये जाने की मांग कर रहे हैं। जीएसटी के तहत इस समय मुख्यत: चार दरें -- पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 और 28 प्रतिशत हैं। इसके अलावा 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली माल एवं सेवाओं पर उपकर भी लिया जाता है। यह उपकर एक से लेकर 25 प्रतिशत के दायरे में लगाया जाता है। केन्द्र और राज्यों के अधिकारियों के एक समूह ने मंगलवार को बैठक कर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की अपनी सिफारिशों को अंतिम रुप दिया। इसमें कई विकल्पों पर विचार किया गया जिनमें से एक यह है कि पांच प्रतिशत की दर को बढ़ाकर 8 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की दर को बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाये।

जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाये जाने के मामले में विस्तृत प्रस्तुतीकरण जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान ही दिया जायेगा। इसके साथ ही अन्य मुद्दों के अलावा राज्यों की बढ़ती मुआवजा जरूरतों को देखते हुये परिषद की बैठक में कुछ और उत्पादों पर उपकर वसूले जाने पर भी विचार विमर्श किया जा सकता है। जानकार सूत्रों ने बताया कि परिषद की बैठक में जीएसटी दरों को आपस में विलय कर उनकी संख्या मौजूदा चार स्लैब से घटाकर तीन भी की जा सकती है।

परिषद विभिन्न छूटों पर भी फिर से गौर कर सकती है और यह भी देखेगी कि क्या कुछ सेवाओं पर उपकर लगाया जा सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से नवंबर की अवधि में केन्द्रीय जीएसटी प्राप्ति 2019- 20 के बजट अनुमान से 40 प्रतिशत कम रही है। इस अवधि में वास्तविक सीजीएसटी संग्रह 3,28,365 करोड़ रुपये रहा है जबकि बजट अनुमान 5,26,000 करोड़ रुपये रखा गया है। पिछले वित्त वर्ष 2018- 19 में वास्तविक केन्द्रीय जीएसटी प्राप्ति 4,57,534 करोड़ रुपये रहा जबकि वर्ष के लिये अस्थाई अनुमान 6,03,900 करोड़ रुपये का लगाया गया था।

इससे पहले 2017- 18 में सीजीएसटी संग्रह 2,03,261 करोड़ रुपये रहा था। इस बीच देश की जीडीपी वृद्धि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम 4.5 प्रतिशत रह गई। विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन पिछली नौ तिमाहियों में सबसे कम रहने की वजह से यह गिरावट आई। इससे पहले 2012- 13 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रही थी। बहरहाल, जीएसटी की प्रस्तावित बैठक काफी अहम हो सकती है। पिछले कुछ महीनों के दौरान जीएसटी और उपकर की वसूली काफी कम रही है। जीएसटी परिषद की ओर से सभी राज्यों के राज्य जीएसटी आयुक्तों को भेजे गये पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है।

Web Title: GST rates may increase on many items to overcome revenue shortage, slab expected to change

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