सरकार ने संसद में माना: अनुराग ठाकुर बोले-पेट्रोल पर 33 और डीजल पर 32 रुपये की कमाई, जानें मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 15, 2021 07:19 PM2021-03-15T19:19:14+5:302021-03-15T19:31:36+5:30
सरकार ने बताया कि 6 मई, 2020 के बाद से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से क्रमश: 33 रुपए और 32 रुपए प्रति लीटर की कमाई हो रही है.
नई दिल्लीः देश में एक पखवाड़े से अधिक समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित होने के बीच सरकार ने आज संसद में स्वीकार किया कि पेट्रोल-डीजल से उसे खूब कमाई हो रही है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि 6 मई, 2020 के बाद से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से क्रमश: 33 रुपए और 32 रुपए प्रति लीटर की कमाई हो रही है. मार्च, 2020 से 5 मई, 2020 के बीच उसकी यह आय क्र मश: 23 रुपए और 19 रुपए प्रति लीटर थी.
31 दिसंबर, 2020 की तुलना में सरकार की पेट्रोल से कमाई 13 रुपए और डीजल से 16 रुपए प्रति लीटर बढ़ी है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने ईंधन पर ऊंचे उत्पाद शुल्क को सही ठहराया. उन्होंने बताया कि मौजूदा राजकोषीय स्थिति को देखते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं अन्य विकास कार्याें पर खर्च के लिए संसाधन जुटाने हैं, इसलिए पेट्रोल-डीजल पर इस तरह से उत्पाद शुल्क तय किया गया है.
उन्होंने कहा कि अन्य देशों की तुलना में देश के भीतर ईंधन की ऊंची-नीची कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती हैं. इसमें अन्य देशों की सरकारों द्वारा दी जाने वाली रियायतें भी शामिल हैं. सरकार इनका रिकॉर्ड नहीं रखती.
सीतारमण ने कहा- फिलहाल जीएसटी के दायरे में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.
सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ''फिलहाल, कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. कानून के तहत जीएसटी परिषद ही अनुशंसा कर सकती है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर किस तिथि से जीएसटी लगेगा.
अब तक जीएसटी परिषद ने इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का कोई अनुशंसा नहीं की है.'' उल्लेखनीय है कि देश में एक जुलाई, 2017 को जब जीएसटी लागू किया गया था, तब पेट्रोलियम उत्पादों को इसके दायरे से बाहर रखा गया. केंद्र और राज्य सरकारों के कर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन उत्पादों पर लागू करों पर निर्भर करता है.