Breaking: फिच ने घटाया भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान, 2020-2021 में 5.5% रह सकती है विकास दर
By भाषा | Published: January 22, 2020 11:59 AM2020-01-22T11:59:59+5:302020-01-22T12:14:48+5:30
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी 5.5% की दर से बढ़ेगा। हालांकि, इसके साथ ही संस्था ने यह भी कहा है कि नकारात्मक जोखिम का खतरा इस साल देश की अर्थव्यवस्था व जीडीपी पर बना रहेगा। इसके अलावा पिछले दिनों फिच ने कहा था कि भारत में अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों को क्षेत्र में होने वाले नीतिगत बदलावों और रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स कारोबार में कदम रखने से 2020 में दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी 5.5% की दर से बढ़ेगा। हालांकि, इसके साथ ही संस्था ने यह भी कहा है कि नकारात्मक जोखिम का खतरा इस साल देश की अर्थव्यवस्था व जीडीपी पर बना रहेगा। इसके अलावा पिछले दिनों फिच ने कहा था कि भारत में अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों को क्षेत्र में होने वाले नीतिगत बदलावों और रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स कारोबार में कदम रखने से 2020 में दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि पिछले साल फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का पूर्वानुमान घटाकर 6.80% किया था।
India Ratings & Research (Fitch Group) expects GDP to grow at 5.5% in FY21. However, the downside risks persist.
— ANI (@ANI) January 22, 2020
फिच सॉल्यूशंस ने शुक्रवार को जारी बयान में यह कहा। उसका कहना है कि ई-कॉमर्स नीति पर काम चल रहा है और इसके मार्च से प्रभाव में आने की उम्मीद है। पहले जारी मसौदा दिशा-निर्देशों के तहत, विदेशी ऑनलाइन विक्रेताओं को उन कंपनियों या सहयोगियों के उत्पादों को बेचने से रोका गया है, जिनमें उनकी इक्विटी हिस्सेदारी है। इसके अलावा, सरकार बड़े ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और छोटे उद्यमियों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए एक नियामकीय प्राधिकरण स्थापित करने की संभावनाओं पर भी काम कर रही है।
फिच ने कहा, "हमारा मानना है कि लगातार निवेश के बावजूद अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों को नीतिगत बदलावों और रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स मंच 'जियो मार्ट' के डिजिटल बाजार में कदम रखने से 2020 में दबाव का सामना करने का खतरा बढ़ गया है।" रेटिंग एजेंसी ने कहा, "नई नीति के तहत, अंतराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के भारत में बाजार बिगाड़ने वाली कीमतें निर्धारित करने और भारी छूट देने पर रोक होगी।"
इसके अलावा, ई-कॉमर्स कंपनियों को स्टोर से जुड़े आंकड़े भारत स्थित सर्वरों में रखने होंगे। इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।