फास्टैग से मिनिमम बैलेंस का झंझट खत्म, अब टोल प्लाजा पर नहीं रुकेगी आपकी गाड़ी, जानिए नियमों में क्या हुआ संशोधन
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 10, 2021 07:53 PM2021-02-10T19:53:50+5:302021-02-10T19:54:44+5:30
FASTag news:देश में 2.54 करोड़ से अधिक फास्टैग उपभोक्ता हैं और इस माध्यम से दैनिक टोल संग्रह 89 करोड़ रुपए से अधिक बताया जाता है.
नई दिल्लीः फास्टैग में मिनिमम बैलेंस न होने के चलते शायद आपको भी कभी टोल प्लाजा पर परेशानी का सामना करना पड़ा होगा.
इसी के चलते इस नियम में बदलाव किया गया है. फास्टैग में अब मिनिमम बैलेंस (न्यूनतम राशि) की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. हालांकि यह राहत सिर्फ कार, जीप या वैन को ही दी गई है. व्यापारिक वाहनों पर पुराना नियम लागू होगा. 15 फरवरी 2021 से फास्टैग के माध्यम से टोल प्लाजा पर भुगतान अनिवार्य हो जाएगा.
देश में 2.54 करोड़ से अधिक फास्टैग उपभोक्ता हैं
गौरतलब है कि इस समय देश में 2.54 करोड़ से अधिक फास्टैग उपभोक्ता हैं और इस माध्यम से दैनिक टोल संग्रह 89 करोड़ रुपए से अधिक बताया जाता है. बैंक नहीं डाल सकते दबाव भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अनुसार अब फास्टैग को जारी करने वाले बैंक सुरक्षा निधि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) के अलावा कोई न्यूनतम राशि अनिवार्य नहीं कर सकते.
बैंकों ने 150 रुपए तो कुछ ने 200 रुपए का न्यूनतम राशि तय कर दी
इससे पहले बैंक फास्टैग में सुरक्षा निधि के अलावा न्यूनतम राशि रखने के लिए कह रहे थे. कुछ बैंकों ने 150 रुपए तो कुछ ने 200 रुपए का न्यूनतम राशि तय कर दी थी. न्यूनतम राशि की होने की वजह से कई उपभोक्ताओं को अपने फास्टैग वॉलेट में पर्याप्त धन होने के बावजूद टोल प्लाजा से गुजरने नहीं दिया जाता था.
सुरक्षा निधि से कटेगी रकम एनएचएअई के अनुसार किसी भी फास्टैग उपभोक्ता को टोल पर तब तक नहीं रोका जाएगा जब तक उसके खाते में निगेटिव बैलेंस न हो जाए. और तो और फास्टैग अकाउंट में कम पैसे होने पर भी टोल प्लाजा से गुजरने दिया जाएगा. ग्राहक द्वारा रीचार्ज न करने पर टोल की राशि सुरक्षा निधि से काट ली जाएगी.
ई-चालान के प्रकरणों के निस्तारण में तेजी के लिये ई-कोर्ट की स्थापना पर विचार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नियमों का पालन न करने वाले वाहनों के ई-चालान किये जाने के प्रकरणों के निस्तारण में तेजी लाने के लिये ई-कोर्ट की स्थापना के सम्बन्ध में कार्यवाही करने के निर्देश दिये है। सरकारी बयान में इसकी जानकारी गयी है।
बयान में कहा गया है कि तकनीक के विकास के साथ-साथ नियमों का अनुपालन न करने वाले वाहनों के ई-चालान किये जाने की व्यवस्था है और इनका निस्तारण वर्तमान समय में न्यायालयों के माध्यम से कराया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि न्यायालयों पर काम के दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ने ई-कोर्ट की स्थापना के लिये कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, अवनीश कुमार अवस्थी एवं न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को न्याय विभाग में एक संयुक्त बैठक कर इस कार्य को गति देने के विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। सरकारी बयान के मुताबिक बैठक में जानकारी दी गयी कि विगत 7 जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2020 तक किये गये ई-चालानों की कुल संख्या 1,13,33,367 है।