Fact Check: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड व अप्रत्यक्ष कर बोर्ड का होगा विलय!, मोदी सरकार के वित्त मंत्रालय ने दिया ये जवाब
By अनुराग आनंद | Published: July 6, 2020 08:35 PM2020-07-06T20:35:02+5:302020-07-06T20:39:03+5:30
नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार के पास ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू एक्ट, 1963 के तहत गठित दोनों बोर्ड के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
नयी दिल्ली: पिछले दिनों एक खबर सामने आ रही थी कि राजस्व में बढ़ती गिरावट के बीच कामकाज का खर्च कम करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार कोई अहम फैसला ले सकती है। इसी के बाद से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एवं अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के विलय पर चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई।
खबर यह सामने आ रही थी कि हरेक स्तर पर कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती का भी प्रस्ताव है। ऐसे में अब इस मामले में नरेंद्र सरकार ने सफाई दी है।केंद्र सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय ने इस तरह के किसी प्रस्ताव व योजना से साफ इनकार किया है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सरकार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तथा केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के विलय पर विचार नहीं कर रही है।
◾News report of Merger of two Boards of Revenue factually incorrect
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) July 6, 2020
◾Government has no proposal to merge two Boards created under the Central Boards of Revenue Act, 1963
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पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाले आयोग ने दिया था ये सुझाव-
पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाले कर प्रशासन सुधार आयोग (टीएआरसी) ने दोनों बोर्ड के विलय का प्रस्ताव किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को 2016 में सौंपी। वित्त मंत्रालय ने मीडिया में इस विलय की सिफारिश के बारे में रिपार्ट छपने के बाद सहबयान दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर नीति बनाने वाले इन निकायों... सीबीडीटी और सीबीआईसी... के विलय पर विचार कर रही है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार के पास ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू एक्ट, 1963 के तहत गठित दोनों बोर्ड के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
मंत्रालय के अनुसार टीएआरसी की रिपोर्ट पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया लेकिन विलय की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया।
वित्त मंत्रालय ने पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाले आयोग की बात को मानने से किया है इनकार-
सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘संसद में पूछे गये सवाल के जवाब में भी सरकार ने इस बारे में आश्वास्त किया था। इस तथ्य को 2018 में सरकारी आश्वासन समिति के समक्ष रखा गया था।
टीएआरसी की सिफारिशों पर कार्रवाई रिपोर्ट राजस्व विभाग की वेबसाइट पर है और उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि इस सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया है।’’ टीएआरसी का गठन वैश्विक स्तर पर बेहतर गतिविधियों के संदर्भ में कर नीतियों और कानून के उपयोग की समीक्षा और कर प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिये उसमें जरूरी सुधारों के बारे में सिफारिश देने के लिये किया गया था।
आयोग ने 385 सिफारिशें दी थी। इसमें से 291 सीबीडीटी से और 253 सीबीअईसी से संबंधित थी।
(पीटीआई इनपुट)