भारत की GDP बढ़ोत्तरी दर बढ़ा कर पेश किये जाने के अपने दावे पर कायम हैं अरविंद सुब्रमण्यम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 19, 2019 08:36 AM2019-07-19T08:36:16+5:302019-07-19T08:36:16+5:30
देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम भारत की आर्थिक वृद्धि बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने संबंधी अपने विश्लेषण पर कायम हैं. पूर्व सीईए ने कहा कि उन्होंने 2015 में पद पर रहते अनुमानित वृद्धि और अन्य वृहत आर्थिक संकेतकों के बीच विसंगति पाई थी और जीडीपी आंकड़ों को लेकर संदेह जताया था.
भारत का जीडीपी वृद्धि अनुमान का सत्यापन' शीर्षक से अपने शोध पत्र में सुब्रमण्यम ने 2015 की आर्थिक समीक्षा के साथ मध्यावधि आर्थिक विश्लेषण में वृद्धि के आंकड़े को लेकर संदेह जताया था. उल्लेखनीय है कि सुब्रमण्यम ने अपने पिछले एक शोध में यह दावा किया था कि वर्ष 2011-2016 के दौरान आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2.5 प्रतिशत अंक तक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया.
उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था निर्यात में गिरावट, कंपनी-बैंक खातों से जुड़ी दोहरी समस्या, सूखा और नोटबंदी जैसी कई समस्याओं को झेल रही थी. उन्होंने कहा, ''उद्योग को वास्तविक कर्ज 16 प्रतिशत से नीचे आया और इसमें एक प्रतिशत की गिरावट आई. यह वास्तविक निवेश वृद्धि के आधिकारिक आंकड़ों से प्रतिबिंबित होता है जो 13 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत पर आ गया. वास्तविक निर्यात 15 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत रह गया. कुल मिलाकर वास्तविक कर्ज में वृद्धि 13 प्रतिशत से 3 प्रतिशत पर तथा वास्तविक आयात 17 प्रतिशत से गिरता हुआ इसमें एक प्रतिशत की गिरावट आई है.''