त्योहार से पहले अर्थव्यवस्था में हलचलः आम आदमी के लिए राहत की खबर, महंगाई दर 5 माह में सबसे नीचे, औद्योगिक उत्पादन बढ़ा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 12, 2021 07:37 PM2021-10-12T19:37:19+5:302021-10-12T21:43:50+5:30
सरकारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 5.30 प्रतिशत तथा सितंबर, 2020 में 7.27 प्रतिशत थी।
नई दिल्लीः दशहरा और दिवाली से पहले आम आदमी के लिए राहत की खबर है। कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को आज डबल डोज मिला है। महंगाई दर 5 माह में सबसे नीचे है। मोदी सरकार के लिए राहत की खबर है।
सब्जी और अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर पांच महीने के निम्न स्तर 4.35 प्रतिशत पर आ गयी। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीाई) आधारित मुद्रास्फीति में नरमी भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के आकलन के अनुरूप है।
उन्होंने पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए खुदरा महंगाई दर में कमी का अनुमान जताया था। मुद्रास्फीति अगस्त में 5.3 प्रतिशत तथा सितंबर, 2020 में 7.27 प्रतिशत थी। इससे पहले, सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2021 में 4.23 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर इस साल सितंबर में नरम होकर 0.68 प्रतिशत रही। यह पिछले महीने 3.11 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है। सब्जी की महंगाई दर में सितंबर में 22.47 प्रतिशत की कमी आयी जबकि अगस्त में इसमें 11.68 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
फल, अंडा, मांस और मछली तथा दाल एवं उत्पादों के मामले में कीमत वृद्धि की दर नरम
फल, अंडा, मांस और मछली तथा दाल एवं उत्पादों के मामले में कीमत वृद्धि की दर नरम रही। हालांकि, ईंधन और प्रकाश के मामले में मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 13.63 प्रतिशत हो गयी जो अगस्त में 12.95 प्रतिशत थी। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अगस्त में 5.3 प्रतिशत के मुकाबले सितंबर, 2021 में खुदरा महंगाई दर के कम होकर 4.35 प्रतिशत पर आना उल्लेखनीय है और यह इक्रा के अनुमान से ज्यादा है। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से महंगाई दर कम हुई है।
इसके अलावा आवास क्षेत्र का भी कुछ योगदान है। उन्होंने कहा कि उच्च तुलनात्मक आधार से अक्टूबर-नवंबर 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति कम होकर 4 प्रतिशत से नीचे जा सकती है। उसके बाद इसमें तेजी आने का अनुमान है। नायर ने कहा, ‘‘हमारे विचार से मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति को लेकर आपूर्ति पक्ष से जुड़े जोखिम की उपेक्षा करेगी। खासकर अगर यह वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में तेजी की वजह से होता है...रुख में बदलाव तभी होगा जब लंबी अवधि के लिये घरेलू मांग में तेजी से उत्पादक कीमतें बढ़ाने को प्रेरित हों।’’
आईडीएफसी एएमसी में कोष प्रबंधक और अर्थशास्त्री श्रीजीत बालासुब्रमण्यम ने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट का प्रमुख कारण खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में नरमी है। हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति 5.8 प्रतिशत पर बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर पर गौर करता है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा था कि कुल मिलाकर सीपीआई मुद्रास्फीति में नरमी दिख रही है। आने वाले महीनों में अनुकूल तुलनात्मक आधार को देखते हुए यह उल्लेखनीय रूप से कम होगी। आरबीआई ने 2021-22 के लिये सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में संतुलित जोखिम के साथ इसके 5.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।
अगस्त में औद्योगिक उत्पादन 11.9 प्रतिशत बढ़ा
देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में अगस्त में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। अगस्त, 2021 में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खनन क्षेत्र का उत्पादन 23.6 प्रतिशत तथा बिजली क्षेत्र का 16 प्रतिशत बढ़ा।
अगस्त, 2020 में औद्योगिक उत्पादन 7.1 प्रतिशत घटा था। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह अप्रैल-अगस्त में आईआईपी में 28.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में आईआईपी में 25 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
कोरोना वायरस महामारी की वजह से पिछले साल मार्च से औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ है। उस समय इसमें 18.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी। अप्रैल, 2020 में लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने से औद्योगिक उत्पादन 57.3 प्रतिशत घटा था।