आर्थिक भरपाई उम्मीद से अधिक जोरदार, मांग में स्थिरता पर नजर बनाए रखने की जरूरत: आरबीआई गवर्नर

By भाषा | Published: November 26, 2020 06:52 PM2020-11-26T18:52:52+5:302020-11-26T18:52:52+5:30

Economic recovery more vigorous than expected, need to monitor demand stability: RBI Governor | आर्थिक भरपाई उम्मीद से अधिक जोरदार, मांग में स्थिरता पर नजर बनाए रखने की जरूरत: आरबीआई गवर्नर

आर्थिक भरपाई उम्मीद से अधिक जोरदार, मांग में स्थिरता पर नजर बनाए रखने की जरूरत: आरबीआई गवर्नर

मुंबई, 26 नवंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती प्रकोप से प्रभावित होने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में उम्मीद से अधिक जोरदार भरपाई हुई है, लेकिन त्योहारी सीजन के बाद के महीनों में मांग की स्थिति पर नजर बनाए रखने की जरूरत है।

उन्होंने भारतीय विदेशी मुद्रा विनियम कारोबारी संघ (एफईडीएआई) के वार्षिक समारोह में कहा कि भारत सहित दुनिया भर में आर्थिक गिराव के जोखिम बने हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट हुई, और आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत तक संकुचित हो सकती है। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान लागू प्रतिबंधों को हटाने के बाद खासकर त्योहारी सीजन के दौरान खासकर त्योहारी सीजन के दौरान भरपाई हुई है।

दास ने कहा, ‘‘पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की तेज गिरावट और दूसरी तिमाही में गतिविधियों के काफी तेजी से सामान्य होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर गति से भरपाई हुई।’’

उन्होंने कहा कि वृद्धि के परिदृश्य भी बेहतर हुए हैं, लेकिन हाल में यूरोप में और भारत के कुछ हिस्सों में संक्रमण के मामले बढ़ने के चलते वृद्धि में गिरावट के जोखिम भी बने हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें त्योहारी सीजन के बाद मांग की स्थिरता और वैक्सीन को लेकर बाजार की उम्मीदों पर नजर बनाए रखने की जरूरत है।’’

दास ने कहा कि आरबीआई वित्तीय बाजारों के कामकाज को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी नकारात्मक जोखिम को कम करने के लिए काम किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि महंगाई के मोर्चे पर अस्थाई दबाव बना हुआ है, लेकिन साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक है।

उन्होंने कहा कि भारत पूंजी खाते की परिवर्तनीयता को ‘एक घटना के बजाए एक प्रक्रिया’ के रूप में आगे बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण को बनाए रखेगा।

उन्होंने कहा कि भारत के पूंजी खाते में ‘एक बड़ी सीमा तक’ परिवर्तनीतया है। उन्होंने इस संदर्भ में देश के बाहर से पूंजी लाने-ले जाने की तमाम छूट का उल्लेख किया।

पूंजी परिवर्तनीयता का मामला काफी संवेदनशील मामला है क्योंकि यह देश से धन बाहर ले जाने और लाने की आजादी से जुड़ा है। भारत ने 1990 के दशक में आर्थिक सुधारों के साथ पूंजी परिवर्तनीयता की आंशिक मंजूरी दी थी। फिलहाल कुछ सीमा और पाबंदियों के साथ रुपया आंशिक रूप से परिवर्तनीय है।

दास ने कहा, ‘‘मौजूदा वृहत आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पूंजी खाते की परिवर्तनीयता को लेकर एक घटना के बजाए प्रक्रिया के रूप में हमारा रुख जारी रहेगा।’’

उन्होंने कहा कि इस मामले में अल्पकालीन और मध्यम अवधि के लक्ष्यों के साथ दीर्घकालीन दृष्टिकोण रखा गया है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश के बांड बाजार में पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) का सोच-विचार कर युक्तिसंगत मानदंडों के आधार पर विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि एफपीआई निवेश के लिये मध्यम अवधि की रूपरेखा के तहत सीमा को बढ़ाया गया और प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाया गया है।

दास ने कहा कि फिलहाल ज्यादातर क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। वहीं भारतीयों इकाइयों को दूसरे देशों में निवेश की मंजूरी है। इतना ही नहीं विदेशों से वाणिज्यिक उधारी को लेकर व्यवस्था को उदार बनाया गया है ताकि पात्र कर्जदारों को इसके दायरे में लाया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दशकों में भारत में एक व्यापक बदलाव आया और वह एक तरह से बंद अर्थव्यवस्था से दुनिया से जुड़ी तथा एक खुली अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आया है जहां भारी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और पूंजी प्रवाह हो रहा है।’’

दास ने कहा कि भारत में बैंकों को विदेशों में रुपया डेरिवेटिव बाजार में कामकाज की अनुमति देना बाजार खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय और विदेशी बाजारों के बीच जो विभाजन है, उसमें कमी आएगी और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव भी कम होगा।

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Web Title: Economic recovery more vigorous than expected, need to monitor demand stability: RBI Governor

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