अर्थव्यवस्था को दोहरा झटका: जनवरी में औद्योगिक उत्पादन 1.6 प्रतिशत घटा, खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़ी
By अनुराग आनंद | Published: March 13, 2021 07:55 AM2021-03-13T07:55:30+5:302021-03-13T08:00:02+5:30
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछली बैठक में मुद्रास्फीति दबाव का हवाला देते हुए नीतिगत दर को यथावत रखा था। एमपीसी की अगली बैठक 5-7 अप्रैल, 2021 को होगी।
नयी दिल्ली: पटरी पर आ रही इकॉनोमी को शुक्रवार को दोहरा झटका लगा। एक तरफ औद्योगिक उत्पादन फिर से नकारात्मक दायरे में आ गया और जनवरी में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट आयी वहीं खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में तीन महीने के उच्च स्तर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जनवरी 2021 के लिये औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और फरवरी के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के त्वरित अनुमान शुक्रवार को जारी किये।
विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में गिरावट से साल के पहले महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.6 प्रतिशत घटा-
आंकड़े के अनुसार मुख्य रूप से पूंजीगत सामान, विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में गिरावट के कारण साल के पहले महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.6 प्रतिशत घट गया। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 77.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में जनवरी में 2 प्रतिशत की गिरावट आयी। जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी माह में इसमें 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
आईआईपी में नवंबर 2020 में गिरावट दर्ज की गयी थी-
आंकड़े के अनुसार सबसे खराब प्रदर्शन पूंजीगत वस्तु क्षेत्र का रहा। इसमें आलोच्य महीने में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी माह में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। इस बीच, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने दिसंबर 2020 के आंकड़े को संशोधित कर 1.56 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में इसके 1.0 प्रतिशत का अनुमान जताया था। आईआईपी में नवंबर 2020 में गिरावट दर्ज की गयी थी।
खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी माह में बढ़कर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई-
वहीं सितंबर और अक्टूबर 2020 में इसमें सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी। इस बीच, खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी माह में बढ़कर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई। मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। एक माह पहले जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.06 प्रतिशत पर थी। इससे पहले, नवंबर 2020 में यह 6.93 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।
फरवरी माह के दौरान मुल्य वृद्धि 3.87 प्रतिशत रही जो कि एक माह पहले 1.89 प्रतिशत पर थी-
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सीपीआई के खाद्य समूह में फरवरी माह के दौरान मुल्य वृद्धि 3.87 प्रतिशत रही जो कि एक माह पहले 1.89 प्रतिशत पर थी। ईंधन और प्रकाश समूह में मुद्रास्फीति फरवरी माह में 3.53 प्रतिशत पर जनवरी के 3.87 प्रतिशत के मुकाबले मामूली कम रही। तेल एवं वसा के मामले में खुदरा महंगाई दर आलोच्य महीने में 20.78 प्रतिशत पहुंच गयी जो इससेपूव जनवरी में 19.71 प्रतिशत थी।
फलों की महंगाई दर बढ़कर फरवरी में 6.28 प्रतिशत पहुंच गयी-
फलों की महंगाई दर बढ़कर फरवरी में 6.28 प्रतिशत पहुंच गयी जो एक माह पहले जनवरी में 4.96 प्रतिशत थी। सब्जियों के मामले में मुद्रास्फीति में कमी की दर घटी है। आलोच्य माह में इसमें 6.27 प्रतिशत की कमी आयी जबकि जनवरी में इसमें 15.84 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। आंकड़े के अनुसार दूध और उसके उत्पादों, दाल और उसके उत्पादों की महंगाई दर क्रमश: 2.59 प्रतिशत, 12.54 प्रतिशत और 11.13 प्रतिशत रही।
छह उपयोग आधारित श्रेणियों में तीन में गिरावट दर्ज की गयी है
एक माह पहले जनवरी में यह क्रमश: 2.73 प्रतिशत, 13.39 प्रतिशत और 12.85 प्रतिशत थी। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘जनवरी में हमें आईआईपी के आंकड़े कमजोर रहने का अनुमान था लेकिन इसमें गिरावट आएगी, यह नहीं सोचा गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आंकड़ा कहीं से भी संतोषजनक नहीं है। छह उपयोग आधारित श्रेणियों में तीन में गिरावट दर्ज की गयी है जबकि अन्य तीन में मामूली वृद्धि दर्ज की गयी है।’’
आईआईपी आंकड़े में दिसंबर में सकारात्मक वृद्धि के बाद जनवरी में गिरावट
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने कहा कि आईआईपी आंकड़े में दिसंबर में सकारात्मक वृद्धि के बाद जनवरी में गिरावट कुछ हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट जारी रहने और जनवरी में 2 प्रतिशत की कमी यह बताता है कि हमें अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार से पहले कुछ दूरी अभी तय करनी है।’’ मुद्रास्फीति के बारे में नायर ने कहा कि उम्मीद के विपरीत फरवरी में महंगाई दर में तीव्र वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुएं, कपड़ा और जूते-चप्पल हैं।
मुख्य मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में बढ़कर तीन माह के उच्च स्तर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी-
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में बढ़कर तीन माह के उच स्तर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो पिछले महीने 5.5 प्रतिशत थी। जिंसों के दाम में तेजी तथा मांग में वृद्धि को देखते हुए आने वाले समय में मुद्रास्फीति दबाव बरकरार रह सकता है।’’ इफको किसान संचार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संदीप मल्होत्रा ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में तेजी का कारण खाद्य वस्तुओं खासकर खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि है जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी प्रवृत्ति के अनुरूप है।
एमपीसी की अगली बैठक 5-7 अप्रैल, 2021 को होगी-
उन्होंने कहा, ‘‘बाजार में पर्याप्त नकदी को देखते हुए ये कीमतें कुछ समय तक ऊंची बनी रह सकती है।’’ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछली बैठक में मुद्रास्फीति दबाव का हवाला देते हुए नीतिगत दर को यथावत रखा था। एमपीसी की अगली बैठक 5-7 अप्रैल, 2021 को होगी।
(एजेंसी इनपुट)