भारतीय बायोगैस संघ की 'कचरे से ऊर्जा' योजना जारी रखने की मांग
By भाषा | Published: November 26, 2021 05:00 PM2021-11-26T17:00:11+5:302021-11-26T17:00:11+5:30
(परामर्श: यह खबर बृहस्पतिवार को जारी हुई थी। पांचवें पैरा में आंकड़े में सुधार के साथ पुन: जारी)
नयी दिल्ली, 26 नवंबर भारतीय बायोगैस संघ (आईबीए) ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार से मिलने वाली वित्तीय मदद से चलने वाली 'कचरे से ऊर्जा' योजना को जारी रखे।
आईबीए के अध्यक्ष ए आर शुक्ला ने बायोगैस के समक्ष मौजूद चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे सरकार को केंद्रीय वित्तीय सहायता कार्यक्रम से चलने वाली योजनाओं के जरिये प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बायोगैस एवं बायो-सीएनजी संयंत्र कचरे के निपटान एवं प्रदूषण-रोधी इकाइयों के तौर पर काम करते हैं। इसके अलावा ये संयंत्र जैविक खाद एवं गैसीय ईंधन भी पैदा करते हैं।
आईबीए प्रमुख ने कहा कि इतनी अहम भूमिका निभाने के बावजूद बायोगैस परियोजनाओं को दी जाने वाली सब्सिडी के बारे में चालू वित्त वर्ष में कोई स्पष्टता नहीं है।
उन्होंने कहा, "अगर समूचे देश की बायोगैस क्षमता का दोहन किया जाए तो सालाना 6.2 करोड़ टन बायो-सीएनजी के अलावा 65.8 करोड़ टन (रिपीट करोड़ टन) जैविक खाद पैदा हो सकती है। इससे जीवाश्म ईंधन के आयात में करीब 35 प्रतिशत और सिंथेटिक उर्वरक के आयात में करीब 27 प्रतिशत की कमी आ सकती है।"
सरकार ने वर्ष 2023 तक करीब 5,000 बायोगैस संयंत्रों की स्थापना में सहयोगी भूमिका निभाने का लक्ष्य रखा है। आईबीए ने कहा है कि अगर कृषि भूमि पर बायो-सीएनजी संयंत्र लगाने की मंजूरी जैसे कदम उठाए जाएं तो इसमें और तेजी लाई जा सकती है।
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