कोविड-19 महामारीः आर्थिक असमानता की खाई और गहरी हुई, अमीर महंगी गाड़ियां खरीद रहे और गरीब घर खो रहे
By अभिषेक पारीक | Published: June 14, 2021 08:01 PM2021-06-14T20:01:28+5:302021-06-14T20:20:31+5:30
कोविड-19 के कारण असमानताओं की खाई और गहरी हो गई है। आलम ये है कि अमीर लोग नई गाड़ियां खरीदने की कोशिश में जुटे हैं और गरीब अपना घर खो रहे हैं।
उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने ऐतिहासिक रूप से उच्च असमानताओं को सहन किया है। उम्मीद की गई थी कि इससे कुजनेट्स कर्व प्रभावित होगा। कुजनेट्स कर्व के अनुसार, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएं विकसित होती हैं, बाजार की ताकत बढ़ती है और आर्थिक असमानताओं में कमी आती है। यह परिकल्पना चाहे जो कहे लेकिन कोविड-19 के कारण असमानताओं की खाई और गहरी हो गई है। आलम ये है कि अमीर लोग नई गाड़ियां खरीदने की कोशिश में जुटे हैं और गरीब अपना घर खो रहे हैं।
आलम ये है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत से लोगों को इलाज के लिए अपना घर तक बेचना पड़ा है। जबकि जर्मन कंपनी मर्सडीज बेंज ने 2021 तक भारत में 50 कार बेचने की योजना बनाई, लेकिन एक ही दिन में सारी कारें बेच देती है। अमीर करीब 4 लाख डॉलर की कार को खरीदने के लिए लालायित थे तो वार्षिक प्रति व्यक्ति आय दो हजार डॉलर से भी नीचे जा रही थी। इस तरह हम पड़ोसी बांग्लादेश से भी पीछे चले गए।
आज भारत खुद को जिस स्थिति में पाता है, उसमें लग्जरी कारों की तेज बिक्री और अरबपतियों की बढ़ती संपत्ति के बीच बेरोजगारी और बचत का खत्म हो जाना राजकोषीय कल्पना की कमी को दर्शाता है। उस पर राज्य की अनिच्छा महंगी साबित हो सकती है। पिछले साल गरीबों को कम खाने को मिला और अर्थशास्त्री भोजन के अभाव की एक और लहर की चेतावनी दे रहे हैं।
बावजूद इसके पिछले मई से छोटे व्यवसायियों के लिए सरकार समर्थित आपातकालीन क्रेडिट लाइन जैसी योजनाएं अनौपचारिक छोटे व्यवसायियों तक नहीं पहुंच सकी है। पीएम मोदी ने 80 करोड़ देशवासियों को निश्चित मात्रा में मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के कार्यक्रम को नवंबर तक बढ़ा दिया है। इसने पिछले साल गरीबों की मदद की थी, लेकिन आय के अभाव में निचले वर्ग को फल और ऐसी ही दूसरी चीजों पर भारी कटौती करनी पड़ रही है।
गरीबों को जीविका के लिए आय उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण
लगातार दूसरे साल पोषण संकट से बचने के लिए गरीब परिवारों को जीविका के लिए आय उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। बेंगलुरु स्थित अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्रियों की एक टीम का सुझाव है कि कम से कम तीन महीने के लिए हर रोज 2 डॉलर से अधिक की मदद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नकद हस्तांतरण पिछले साल सबसे गरीब 10 फीसद परिवारों द्वारा खोई आय के बराबर है।
अडाणी की संपत्ति में इजाफा
इस साल अरबपति गौतम अडाणी की संपत्ति में 43 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है। जिसके चलते वे एशिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स के रूप में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे हैं। वहीं अरबपति निवेशक राधाकिशन दमानी ने अप्रैल में मुंबई में 137 मिलियन डॉलर की एक हवेली खरीदी थी, जो देश में अब तक की सबसे महंगी संपत्ति थी। वहीं छोटे और मध्यम स्टील निर्माता 62 फीसद से कम क्षमता का उपयोग कर पा रहे हैं। वहीं पांच बड़े उत्पादकों ने अपनी बाजार हिस्सेदारी को महज एक ही साल में 5 फीसद बढ़ाकर 58 फीसद कर दिया है और अब कर्ज चुकाने के लिए लाभ का उपयोग कर रहे हैं।
सही हाथों में नहीं जा रहा पैसा
माना जा रहा है कि सरकार अगले मार्च में अपने वार्षिक खाते बंद करेगी तो बजट घाटा 206 अरब डॉलर के लक्ष्य से अधिक हो जाएगा। सामान्य स्थिति में यह कमी घरेलू उत्पाद का 6.8 फीसद होती। अप्रैल और मई के संक्रमण में घातक वृद्धि धीमी होगी और कर संग्रह अपेक्षा से कम होगा। सरकार जब कम कर वसूलती है तो निजी हाथों में ज्यादा पैसा रहता है, लेकिन क्या वे सही हाथ हैं?
पारंपरिक कंपनियां गायब हो जाएंगी
देश में एक अरब की वयस्क आबादी में से सिर्फ 5 फीसद को ही पूरी तरह से वैक्सीन लगाई गई है। पाबंदियों में ढील के बाद करीब अपनी आजीविका खो चुके 2.3 करोड़ लोगों को रोजी-रोटी कमाने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। नए जमाने के स्टार्टअप फल-फूल सकते हैं, लेकिन कई पारंपरिक छोटी कंपनियां गायब हो जाएंगी।