कोविड-19 महामारीः आरबीआई गवर्नर बोले-बैंकों को सक्रियता के साथ पूंजी जुटाने, कठिन परिस्थिति आने का इंतजार नहीं करना चाहिए

By भाषा | Published: July 27, 2020 09:39 PM2020-07-27T21:39:59+5:302020-07-27T21:39:59+5:30

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने उद्योग मंडल सीआईआई के कार्यक्रम में कहा, ‘‘वास्तव में, मैंने बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कोविड-19 संकट के कारण वित्तीय कठिनाइयों की जांच करने और परिस्थिति आने का इंतजार किये बिना सक्रियता दिखाते हुए पूंजी जुटाने की सलाह दी है....।’’

Coronavirus Delhi lockdown pandemic RBI governor says banks should actively raise capital | कोविड-19 महामारीः आरबीआई गवर्नर बोले-बैंकों को सक्रियता के साथ पूंजी जुटाने, कठिन परिस्थिति आने का इंतजार नहीं करना चाहिए

वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने धोखाधड़ी के 84,545 मामलों की जानकारी दी, जिनकी कुल राशि 1.85 लाख करोड़ रुपये थी। (file photo)

Highlightsचालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 12.5 प्रतिशत हो सकती है जो मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत थी।वृहत आर्थिक परिवेश और खराब होता है, एनपीए गंभीर दबाव वाले परिदृश्य में 14.7 प्रतिशत तक जा सकता है। पूंजी जुटाना न केवल ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिये जरूरी है बल्कि वित्तीय व्यवस्था की मजबूती के लिये भी यह आवश्यक है।

नई दिल्लीः आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कोविड-19 महामारी के बीच बैंकों को सक्रियता के साथ पूंजी जुटाने और कठिन परिस्थिति आने का इंतजार नहीं करने को कहा।

बैंकों में कोरोना वायरस संकट के कारण फंसे कर्ज बढ़ने की आशंका है और इससे निपटने तथा बाजार में टिके रहने के लिये उन्हें पूंजी की जरूरत होगी। दास ने उद्योग मंडल सीआईआई के कार्यक्रम में कहा, ‘‘वास्तव में, मैंने बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कोविड-19 संकट के कारण वित्तीय कठिनाइयों की जांच करने और परिस्थिति आने का इंतजार किये बिना सक्रियता दिखाते हुए पूंजी जुटाने की सलाह दी है....।’’

आरबीआई की पिछले सप्ताह जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के अनुसार सभी बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) तुलनात्मक परिदृश्य के आधार पर चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 12.5 प्रतिशत हो सकती है जो मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत थी।’’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘अगर वृहत आर्थिक परिवेश और खराब होता है, एनपीए गंभीर दबाव वाले परिदृश्य में 14.7 प्रतिशत तक जा सकता है।’’ इससे पहले, इस महीने की शुरुआत में दास ने कहा था कि ‘बॅफर’ तैयार करना और पूंजी जुटाना न केवल ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिये जरूरी है बल्कि वित्तीय व्यवस्था की मजबूती के लिये भी यह आवश्यक है।’’

बीते वित्त वर्ष में बैंक धोखाधड़ी के 84,545 मामले सामने आए: आरबीआई

वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने धोखाधड़ी के 84,545 मामलों की जानकारी दी, जिनकी कुल राशि 1.85 लाख करोड़ रुपये थी। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने भारतीय रिजर्व बैंक से मिली जानकारी का हवाला देते हुए यह जानकारी दी।

आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने कहा कि उन्होंने जून 2020 में आरबीआई के अधिकार क्षेत्र के तहत बैंकिंग से संबंधित विभिन्न सवाल पूछे थे, और उन्हें कुछ दिन पहले उनके जवाब मिले। कोलारकर ने आरटीआई में पूछा था कि एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 के दौरान धोखाधड़ी के कितने मामले सामने आए और इसमें कितनी राशि शामिल थी।

आरबीआई ने अपने जवाब में बताया कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान धोखाधड़ी के कुल 84,545 मामलों के बारे में बताया और इसमें शामिल राशि 1,85,772.42 करोड़ रुपये है। आरटीआई में यह भी पूछा गया कि बीते वित्त वर्ष के दौरान आरबीआई के 15 लोकपाल कार्यालयों को कितनी उपभोक्ता शिकायतें मिलीं।

इसके जवाब में आरबीआई ने कहा कि एक जुलाई 2019 से मार्च 2020 के दौरान लगभग 2,14,480 शिकायतें मिलीं। केंद्रीय बैंक ने बताया कि एक अप्रैल 2019 से 30 जून 2019 के बीच 56,493 शिकायतें मिलीं। आरबीआई ने बताया कि सबसे अधिक 63,259 शिकायतें एसबीआई की थीं।

इसके बाद एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और एक्सिस बैंक का स्थान था। एक सवाल के जवाब में आरबीआई ने बताया कि 2019-2020 के दौरान 438 बैंक शाखाओं का उसी बैंक की किसी अन्य शाखा में विलय किया गया. इस दौरान कुल 194 शाखाओं को बंद किया गया। 

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