केंद्र सरकार चीनी की बढ़ती हुई घरेलू कीमतों को रोकने के लिए लगा सकती है निर्यात पर प्रतिबंध
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 24, 2022 04:27 PM2022-05-24T16:27:43+5:302022-05-24T16:30:29+5:30
भारत सरकार घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों पर नियंत्रण रखने और उसकी स्थिर आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए निर्यात पर लगाम लगाने की योजना बना रही थी।
दिल्ली: भारत सरकार घरेलू बाजार में चीनी की बढ़ती कीमत वृद्धि को रोकने के लिए निर्यात पर रोक लगा सकती है। केंद्र सरकार यह कदम छह साल बाद उठाने जा रही है और हो सकता है कि केंद्र इस सीजन में चीनी निर्यात पर अंकुश लगाते हुए उसे 1 करोड़ टन तक सीमित कर दे।
इससे पहले बीते मार्च में समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' ने बताया था कि भारत सरकार घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों पर नियंत्रण रखने और उसकी स्थिर आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए निर्यात पर लगाम लगाने की योजना बना रही थी।
दरअसल ब्राजील में कम चीनी उत्पादन और तेल की बढ़ती कीमतों के कारण मिलों को गन्ना आधारित इथेनॉल के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसके कारण चीनी की वैश्विक मांग में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।
वैश्विक बाजार मांग को देखते हुए भारत ने शुरू में चीनी निर्यात का लक्ष्य 80 लाख टन पर सीमित किया था लेकिन सरकार ने बाद में चीनी उत्पादन के अनुमानों में उछाल को देखते हुए 80 लाख टन वाले फैसले को संशोधित करते हुए मिलों को विश्व बाजार में कुछ चीनी बेचने की अनुमति देने का फैसला किया था।
केंद्र के 80 लाख टन चीनी निर्यात वाले फैसले को संशोधित किये जाने के बाद चीनी उत्पादकों की संस्था इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने अपने उत्पादन अनुमान को बढ़ाकर 3.55 करोड़ टन कर दिया है, जो कि पिछले अनुमानित 3.1 करोड़ टन से अधिक है।
भारतीय मिलों ने चालू बाजार वर्ष 2021-22 में बिना सरकारी सब्सिडी के अब तक 85 लाख टन चीनी निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। अनुबंधित 85 लाख टन में से मिलें पहले ही लगभग 71 लाख टन चीनी विदेशों में भेज भी चुकी हैं।
वहीं श्यर बाजा र में बीते मंगलवार को बलरामपुर चीनी, डालमिया भारत शुगर, धामपुर शुगर मिल्स, द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज और श्री रेणुका शुगर्स जैसी प्रमुख चीनी मिलों के शेयरों में 8 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।
हालांकि शेयर गिरावट पर व्यापारियों का कहना है कि केंद्र द्वारा चीनी मिलों को 1 करोड़ टन निर्यात करने की अनुमति देने से उन्हें विश्व बाजार में भारी मात्रा में चीनी बेचने में मदद मिलेगी।
इस संबंध में मुंबई में एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के डीलर ने कहा, "केंद्र की ओर से रखी गई 1 करोड़ टन की सीमा काफी बड़ी है और इससे मिल और सरकार दोनों खुश होंगे।"
इसके साथ ही डीलर ने यह भी कहा कि 1 करोड़ ओन्स निर्यात करने के बाद भी 1 अक्टूबर को जब 2022-23 का अगला सीजन शुरू होगा भारत का कुल चीनी स्टॉक लगभग 60 लाख टन होगा, जो कि दिसंबर तिमाही में घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।
मालूम हो कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है और साथ ही वह ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है।