टैक्स पर अपील करने की लिमिट को CBDT ने बढ़ाया, अब SC में ₹5 करोड़ से नीचे का मामला नहीं...
By आकाश चौरसिया | Published: September 18, 2024 04:01 PM2024-09-18T16:01:41+5:302024-09-18T16:33:55+5:30
Income Tax Department: केंद्र प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) में टैक्स पर कर अधिकारियों के द्वारा दायर किए जाने वाले मामलों की लिमिट को बढ़ा दिया है।
Income Tax Department: आयकर विभाग ने न्यायाधिकरण, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की न्यूनतम सीमा बढ़ा दी है। सीबीडीटी के एक सर्कुलर के अनुसार, यदि विवादित कर मांग क्रमश: 60 लाख रुपए, 2 करोड़ रुपए और 5 करोड़ रुपए से अधिक है, तो कर अधिकारी आईटीएटी, उच्च नयायालय और उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं।
साल 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने इसकी सीमा यानी इन जगहों में अपील करने की सीमा का दायरा आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) में 50 करोड़ रुपए, हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए और सुप्रीम कोर्ट की सीमा को 2 करोड़ रुपए तक रखा है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इसके साथ मौद्रिक लिमिट को स्पेशल लीव याचिका और अपील करने पर भी इस लिमिट को टीडीएस/टीसीएस से संबंधित करते हुए बराबर ही रखा है। यानी की अब टैक्स के लिए कर अधिकारी जो अपील दायर करते थे, उनके लिए टीडीएस या टीसीएस में भी इसी तरह की लिमिट के अंतर्गत रखा है।
पुरानी सभी याचिका इसके दायरे में
इसके साथ ही सर्कुलर में ये भी कहा कि जो सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और ट्रिब्यूनल में जो भी इससे संबंधित कर अधिकारियों के द्वारा याचिका दायर हैं, वे सभी अब इसके अंतर्गत आएंगी और उन्हें अब इस नियम के तहत वापस कर दिया जाएगा।
सीबीडीटी के एक सर्कुलर के अनुसार, यदि विवादित कर मांग यानी की कर अधिकारियों के द्वारा ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में क्रमशः ₹60 लाख, ₹2 करोड़ और ₹5 करोड़ से अधिक है, तो अब वे आईटीएटी (ITAT), उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं।
सीबीडीटी ने आगे कहा, "मुकदमेबाजी के प्रबंधन की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा आयकर मामलों में अपील दायर करने के लिए मौद्रिक सीमा को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है।"
इसमें यह भी कहा गया है कि अपील केवल इसलिए दायर नहीं की जानी चाहिए क्योंकि किसी मामले में कर प्रभाव निर्धारित मौद्रिक सीमा से अधिक है, बल्कि मामले की योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए।
सीबीडीटी (CBDT) के सर्कुलर में कहा, "संबंधित अधिकारी अपील दायर करने के संबंध में निर्णय लेते समय अनावश्यक मुकदमेबाजी को कम करने और करदाताओं को उनके आयकर आकलन पर निश्चितता प्रदान करने के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखेंगे।"
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में कर न्यायाधिकरणों, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यक्ष कर, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपील दायर करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाकर ₹60 लाख, ₹2 करोड़ और ₹5 करोड़ करने की घोषणा की थी।
सर्कुल में कहा गया है कि निर्धारित मौद्रिक सीमा उन मामलों में अपील दायर करने के लिए लागू नहीं होगी, जहां संबंधित मामले में विभाग द्वारा अभियोजन दायर किया गया है, मुकदमा लंबित है, दोषसिद्धि आदेश पारित किया गया है और उसका समझौता नहीं किया गया है। लगभग ₹35 लाख करोड़ की लगभग 2.7 करोड़ प्रत्यक्ष कर मांगों पर विभिन्न कानूनी मंचों पर विवाद चल रहा है।